विदेशी छात्रों और शिक्षकों को प्रदेश में लाने और यहां के छात्रों को
विदेश में भेजने के प्रोग्राम राजस्थान विश्वविद्यालय में फिसड्डी साबित
हुए है। पिछले 14 साल में राजस्थान विश्वविद्यालय से सिर्फ 21 छात्र और
शिक्षक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत विदेश में गए। इसी तरह विदेशों से यहां
आने वाले छात्रों और शिक्षकों की तादाद भी सिर्फ 28 रही।
राजस्थान विश्वविद्यालय ने पिछले 14 सालों में विदेशी विश्वविद्यालयों और कंपनियों से छात्र और शिक्षक एक्सचेंज कार्यक्रम के लिए 11 एमओयू किए हैं। इनमें से 9 विदेशी विश्वविद्यालय हैं। विश्वविद्यालयों से स्टूडेंट एक्सचेंज, फेकल्टी एक्सचेंज और जॉइंट रिसर्च के लिए ये एमओयू हुए थे। लेकिन 2007 में इंटरनेशनल कोऑपरेशन सेल बनने के बाद 21 शिक्षक और छात्र विदेश गए हैं और 20 छात्र व 8 शिक्षक यहां आए हैं। इनमें से कई विश्वविद्यालयों से तीसरी बार एमओयू रिन्यू करने की कवायद चल रही है। वहीं कई विदेशी यूनिवर्सिटी ऐसी हैं जिनसे एमओयू हुए और खत्म भी हो गए लेकिन ना कोई आया, ना कोई गया।
2014 में आई थी छात्रा-
राजस्थान यूनिवर्सिटी में आखिरी बार विदेश से छात्रा लूना ज्योग्राफी डिपार्टमेंट में आई थी। लेकिन यहां कक्षाएं हिंदी में होने, हॉस्टल आदि में उसे परेशानी हुई। 2015- 16 में यूनिवर्सिटी के पंकज और प्रदीप फ्रांस गए थे। अभी दो छात्रों ने यहां से फ्रांस जाने के लिए आवेदन किया है। पिछले साल फ्रांस ल्योन से राजस्थान यूनिवर्सिटी में आने के लिए 3 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन स्कॉलरशिप नहीं मिलने से नहीं आए। इंटरनेशनल कोऑपरेशन सेल की डायरेक्टर डॉ. रश्मि जैन ने बताया कि फ्रांस के साथ ही कनाडा, यूरोप के कई विवि से बात करके संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।
ये परेशानी होती है विवि के बीच
विदेशों से आने वाले छात्रों के लिए यहां हॉस्टल नहीं है। छात्रों के वीजा, मेडिकल, ट्रैवल, फीस के लिए फंड की कमी। एमओयू होने के बाद रेस्पॉन्स की कमी। परीक्षा का पैटर्न अलग है।
दिसंबर में आएगी फ्रेंच एम्बेसी की टीम
यूनिवर्सिटी से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर में फ्रेंच एम्बेसी से 3 लोगों की टीम यूनिवर्सिटी विजिट करेगी। ये कुलपति, डीन और टॉप मैनेजमेंट से मीटिंग करेंगे। साथ ही एकेडमिक पार्टनरशिप, एक्सचेंज प्रोग्राम, नए रिसर्च पर चर्चा करेंगे।
राजस्थान विश्वविद्यालय ने पिछले 14 सालों में विदेशी विश्वविद्यालयों और कंपनियों से छात्र और शिक्षक एक्सचेंज कार्यक्रम के लिए 11 एमओयू किए हैं। इनमें से 9 विदेशी विश्वविद्यालय हैं। विश्वविद्यालयों से स्टूडेंट एक्सचेंज, फेकल्टी एक्सचेंज और जॉइंट रिसर्च के लिए ये एमओयू हुए थे। लेकिन 2007 में इंटरनेशनल कोऑपरेशन सेल बनने के बाद 21 शिक्षक और छात्र विदेश गए हैं और 20 छात्र व 8 शिक्षक यहां आए हैं। इनमें से कई विश्वविद्यालयों से तीसरी बार एमओयू रिन्यू करने की कवायद चल रही है। वहीं कई विदेशी यूनिवर्सिटी ऐसी हैं जिनसे एमओयू हुए और खत्म भी हो गए लेकिन ना कोई आया, ना कोई गया।
2014 में आई थी छात्रा-
राजस्थान यूनिवर्सिटी में आखिरी बार विदेश से छात्रा लूना ज्योग्राफी डिपार्टमेंट में आई थी। लेकिन यहां कक्षाएं हिंदी में होने, हॉस्टल आदि में उसे परेशानी हुई। 2015- 16 में यूनिवर्सिटी के पंकज और प्रदीप फ्रांस गए थे। अभी दो छात्रों ने यहां से फ्रांस जाने के लिए आवेदन किया है। पिछले साल फ्रांस ल्योन से राजस्थान यूनिवर्सिटी में आने के लिए 3 छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन स्कॉलरशिप नहीं मिलने से नहीं आए। इंटरनेशनल कोऑपरेशन सेल की डायरेक्टर डॉ. रश्मि जैन ने बताया कि फ्रांस के साथ ही कनाडा, यूरोप के कई विवि से बात करके संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।
ये परेशानी होती है विवि के बीच
विदेशों से आने वाले छात्रों के लिए यहां हॉस्टल नहीं है। छात्रों के वीजा, मेडिकल, ट्रैवल, फीस के लिए फंड की कमी। एमओयू होने के बाद रेस्पॉन्स की कमी। परीक्षा का पैटर्न अलग है।
दिसंबर में आएगी फ्रेंच एम्बेसी की टीम
यूनिवर्सिटी से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर में फ्रेंच एम्बेसी से 3 लोगों की टीम यूनिवर्सिटी विजिट करेगी। ये कुलपति, डीन और टॉप मैनेजमेंट से मीटिंग करेंगे। साथ ही एकेडमिक पार्टनरशिप, एक्सचेंज प्रोग्राम, नए रिसर्च पर चर्चा करेंगे।
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