Rajasthan Service Rules (Service Conditions) राजस्थान सेवा नियम: प्रथम खण्ड (सेवा की शर्तें) - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

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Sunday 9 December 2018

Rajasthan Service Rules (Service Conditions) राजस्थान सेवा नियम: प्रथम खण्ड (सेवा की शर्तें)

एक सेवारत व राजकीय सेवा में नए नियुक्त होने वाले कार्मिकों हेतु अत्यावश्यक नियम।

1. प्रथम नियुक्ति के समय आयु –

राज्य सेवा में प्रविष्ट होने की न्यूनतम एवं अधिकतम आयु सीमा क्रमश: 16 वर्ष व 35 वर्ष होगी। महिलाओं के लिये प्रथम नियुक्ति के समय अधिकतम आयु 42 वर्ष तथा भारतीय सेवाओं के आरक्षित जवानों की नियुक्ति के लिये अधिकतम आयु 50 वर्ष होगी। अनुसूचित जाति जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग के पुरुष एवं सामान्य प्रवर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 5 वर्ष की छूट होग
(नियम 8 क(1) आ.वि. 30.4.2001
एवं प 1(6) वित्त नियम/98 दि, 24.5.2004)
अनुसचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को 10 वर्ष की छूट होगी।
(प.7(2)कार्मिक/क-2/84/दि. 22.11.01)
राजकीय सेवाओं में नियुक्ति हेतु अधिकतम आयु सीमा में 2 वर्ष की छूट 24 मई 2004 से लागू होगी।
(प.7(2)कार्मिक/क-2/84 पार्ट दि. 15.6.2004)
राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाओं में आवेदन हेतु राज्य कर्मचारियों की आयु सीमा 40 वर्ष के स्थान पर 45 वर्ष निर्धारित।
(एफ 7(2) कार्मिक/(क-2) 84 लय (14/2012) दि, 6.3.2012

2. कर्तव्य (Duty) :

(i) एक विशिष्ट दिवस राजकीय कार्मिक कर्तव्य पर उपस्थित होकर पद का कार्यभार ग्रहण के समय से कर्तव्य प्रारम्भ और कर्तव्य बिन्द (Duty Point) छोड़ने पर समाप्त होता है। तद्नुसार निवास से कार्यालय और कार्यालय से निवास की यात्रा कर्त्तव्य का भाग नहीं मानी जायेगी।
(ii) दौरे पर मुख्यालय से अनुपस्थिति एक विशिष्ट दिवस निवास/ कार्यालय छोड़ने के वास्तविक समय से प्रारम्भ और दौरे के दौरान आकस्मिक अवकाश सहित अवकाश अवधि यदि कोई हो को छोड़कर वहाँ लौटने पर समाप्त अवधि कर्तव्य मानी जायेगी।
-नियम 7(8) आ. दि. 14.12.12

3. नाम परिवर्तन की प्रक्रिया –

राज्य कर्मचारी को नाम परिवर्तन हेतु नियम 8(क) में निर्धारित बन्ध पत्र कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा तथा इसका प्रकाशन स्थानीय समाचार पत्र व राजपत्र में कर्मचारी के स्वयं के व्यय पर करना होगा। बन्ध पत्र की प्रविष्टि कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में की जायेगी।

4. जन्म दिनांक का आधार –

(क) एक व्यक्ति जो 1 जनवरी, 1979 को राज्य सेवा में था, सेवा पुस्तिका में अंकित जन्म दिनांक ही राज्य सरकार द्वारा स्वीकार की जायेगी चाहे उसका आधार कुछ भी हो। सेवा पुस्तिका में अंकित जन्म तिथि में संशोधन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आदि के प्रमाण पत्र के आधार पर नहीं किया जाएगा।
(नियम 8(2)(क))
(ख) जो कर्मचारी राज्य सेवा में 1 जनवरी1979 या उसके पश्चात् नियुक्त किया जाता है, जन्म दिनांक का निर्धारण उसके द्वारा प्रस्तुत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आदि के प्रमाण पत्र में अंकित जन्म तिथि होगी। नियक्ति आदेशों में भी शिक्षा बोर्ड के प्रमाण पत्र में अंकित जन्म तिथि का उल्लेख किया जावेगा।
(नियम 8(2) (ख) (i)
माध्यमिक/उच्च माध्यमिक प्रमाणपत्र अथवा किसी शिक्षा मण्डल द्वारा जारी पत्र में अंकित जन्म दिनांक का उल्लेख किसी व्यक्ति को राज्य सेवा में नियुक्त करने वाले सक्षम अधिकारी ने द्वारा प्रसारित नियुक्ति आदेश में किया जावेगा।
नियम 8(2)(ख) (i))
जहाँ राज्य सेवा में नियुक्ति के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी कम निर्धारित हैं, वहाँ सम्बन्धित कर्मचारी के जन्म दिनांक का निर्धारण नगरपालिका पंचायत द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर किया जावेगा
(नियम 8(2)(ख) (i))
1 जनवरी 1979 के पश्चात् जन्म तिथि में परिवर्तन वित्त
विभाग की पूर्वानुमति से होगा।
नियम 8 ए (2)(ए)
सेवा पुस्तिका में अंकित जन्मतिथि में कोई कांट-छांट संशोधन नहीं किया जा सके इसके लिये पारदर्शी टेप जन्म तिथि पर लगाई जाए।
-आ. दि. 21.2.2012
(ग) वर्कचार्ज कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में अंकित जन्म तिथि ही अन्तिम रूप से मान्य होगी।
नियम 8(2)( ग))
(घ) अधिक आयु की नियुक्तियों को नियमित करने के अभाव’ में पेंशन प्रकरण के निस्तारण में विलम्ब नहीं किया जावेगा।

5. स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र –

किसी कर्मचारी को राज्य सेवा में निर्धारित स्वस्थता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के अभाव में नियुक्त नहीं किया जावेगा। अंशकालीन पदों पर नियुक्ति वाले मामले में भी शारीरिक स्वास्थ्य का प्रमाण पत्र पूर्णकालिक कर्मचारियों की भांति ही प्रस्तुत करना होगा।
(नियम 9)
नियम 10 द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य परीक्षा प्रमाण पत्र जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा उससे उच्च पद के चिकित्सा अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किये जाने चाहिये किन्तु महिलाओं के सम्बन्ध में सक्षम अधिकारी, किसी महिला चिकित्सक का स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रमाण पत्र स्वीकार कर सकता है।
(नियम 11)
ऐसी गर्भवती महिलायें जो गर्भावस्था में ही कार्यग्रहण करना चाहती है वे गर्भावस्था में होते हुए भी कार्यग्रहण कर सकती है तथा ऐसी गर्भवती महिलायें जो गर्भावस्था के कारण कार्यग्रहण नहीं करना चाहती उनका कार्यग्रहण काल सक्षम चिकित्सा अधिकारी के प्रमाण पत्र चिकित्सकीय सलाह के आधार पर 9 माह तक बढाया जा सकता है।
(एफ.15(1)कार्मिक/क-2/74 दि. 168.2005)
6. सीधी भर्ती से नियुक्ति पर 6 माह तक कार्यग्रहण किया जा सकता है।

7. धूम्रपान /गुटखा सेवन न करने की वचनबद्धता

अभ्यार्थियों को सीधी भर्ती हेतु नियुक्ति से पूर्व धूम्रपान/गुटखा सेवन न करने की वचनबद्धता देनी होगी।’
(प. 7 (3) कार्मिक/क-2/06 पार्ट दिनांक 4.10.2013

8. कर्मचारी को उसकी सेवा पुस्तिका की सत्यापित प्रति-

एक कर्मचारी को प्रार्थना पत्र के आधार पर उसकी सेवा पुस्तिका की सत्यापित फोटो प्रति 2 रु. प्रतिपृष्ठ जमा कराने पर दी जाएगी।
नियम 160 (4) (आदेश दिनांक 18.1.2016)
9. राजकीय सेवाओं के लिये आवेदन पत्र में विवाह पंजीयन की सूचना अंकित करना अनिवार्य।
(प 7 (3) कार्मिक/क-2/2006 दिनांक 30.6.2016)
10. राजकीय सेवा में पदों पर चयनित अभ्यर्थियों का चरित्रसत्यापन हेतु दिशा-निर्देश।
(प.1(1) कार्मिक/क-2/2016 दिनांक 15.7.2016, लेखानियम अगस्त 2016 प्र. 28)
11. जून 2002 या इसके पश्चात् दो से अधिक बच्चे होने
पर अभ्यर्थी राजकीय सेवा में नियुक्ति का पात्र नहीं : ऐसा कोई भी अभ्यर्थी जिसके 1.6.2002 को या उसके पश्चात् दो से अधिक बच्चे हो, राजकीय सेवा में नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होगा।
परन्तु दो से अधिक बच्चे वाले किसी भी अभ्यर्थी को नियुक्ति के लिये तब तक निर्हरित नहीं समझा जायेगा, जब तक कि 1 जून 2002 को विद्यमान उसके बच्चों की संख्या में बढोतरी नहीं होती। परन्तु यह और कि जहां किसी अभ्यर्थी के पूर्वतर प्रसव से केवल एक बच्चा है किंतु किसी पश्चातवर्ती प्रसव से एक से अधिक पैदा हो जाते हैं वहां बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय इस प्रकार पैदा हुए बच्चों को एक इकाई समझा जायेगा
(एफ.7(1)कार्मिक/क-II/1995 दि. 8.4.2003)
समय पूर्व प्रसव के कारण निशक्त बच्चा होने पर बच्चों की
संख्या की गणना में शामिल नहीं किया जायेगा।
(एफ.7(1)कार्मिक/क-2/95 पार्ट II दिनांक 24.2.2011)
एसीपी स्वीकृति हेतु बच्चों की संख्या की गणना में समय पूर्व प्रसव के कारण विकलांग संतान को शामिल नहीं किया जायेगा।
(एफ.14(88वित्त (नियम)/2008 1& II दिनांक 16.11.2011)
शिशु गृह से ली गई दत्तकगृहीत सन्तान के कारण संतानों कीबसंख्या वृद्धि होकर दो से अधिक हो जाती है तो ऐसे प्रकरण में दत्तकग्रहीत संतान को संतानों की संख्या में नहीं माना जावेगा।
(प. 7 (1) कार्मिक/क-2/95/पार्ट II दिनांक 2.8.2016)

3 वर्ष तक पदोन्नति पर विचार नहीं होगा –
ऐसे किसी व्यक्ति की पदोन्नति पर उस तारीख से जिसको उसकी पदोन्नति देय हो जाती है 3 भर्ती वर्ष तक विचार नहीं किया जायेगा यदि उसके 1 जून 2002 को या उसके पश्चात् दो से अधिक बच्चे हों ।
(प.71कार्मिक/क-2/95 दि. 19.92017दिनांक 1.4.2017

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