जयपुर (भारत दीक्षित)। सरकार भले ही दिव्यांग बच्चों
के लिए हर सुविधा देने की बात कहती हों, लेकिन धरातल की बात की जाए तो आज
भी दिव्यांग छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित नजर आ रहे हैं। यही नहीं,
दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले विशेष शिक्षक भी नियुक्ति नहीं होने के
कारण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
प्रदेश में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार कितनी सजग है, ये आंकड़ों से बखूबी पता चलता है। सोचिए, अगर 1 लाख 16 हजार 683 बच्चों को मात्र 207 शिक्षक अध्ययन कराएंगे, तो क्या विचित्र स्थिति होगी। जी हां, आज यही स्थिति प्रदेश में दिव्यांग बच्चों की है, जो बिना शिक्षकों के अध्ययन करने को मजबूर हैं।
वहीं दूसरी ओर, लम्बे समय से शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर लगातार विशेष शिक्षकों ने सरकार को पत्र लिखे, लेकिन सरकार अपने अड़ीयल रैवये पर अड़ी रही। हाल में ही 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक पीएलआई पर आदेश देते हुए सरकार को 2 महीने के अंदर विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं।
दिव्यांग बच्चों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से मात्र 407 शिक्षक ही स्कूलों में नियुक्त किए हुए हैं, जबकि अधिकतर स्कूलों में सामान्य शिक्षक ही दिव्याग बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जबकि इसे कानूनन अपराध माना गया है। दिव्यांग बच्चों को मात्र विशेष शिक्षक ही पढ़ा सकता है। अगर कोई सामान्य शिक्षक दिव्यांग बच्चों को पढ़ाता हुआ पाया जाता है, तो उसे दो वर्ष का कारावास निर्धारित है। लेकिन सरकार सामान्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर इन बच्चों को पढ़ा रही है।
विशेष शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय से न केवल इन दिव्यांग बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगा है, अपितु जो दिव्यांग छात्र स्कूलों में बिना शिक्षा के पढ़ रहे हैं, उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। इन सबके बावजूद सरकार लगातार विशेष शिक्षकों के साथ साथ दिव्यांग बच्चों के साथ भी धोखा कर रही है।
क्या दर्शातें हैं ये आंकड़े :
प्रदेश में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की संख्या : 1 लाख 16 हजार 683
दिव्यांग बच्चों पर शिक्षकों की संख्या : 450
स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या : 207
शिक्षा अभियान में कार्य करने वाले विशेष शिक्षक : 243
स्कूलों में विशेष शिक्षकों की आवश्यकता : 14 हजार 585
प्रदेश में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार कितनी सजग है, ये आंकड़ों से बखूबी पता चलता है। सोचिए, अगर 1 लाख 16 हजार 683 बच्चों को मात्र 207 शिक्षक अध्ययन कराएंगे, तो क्या विचित्र स्थिति होगी। जी हां, आज यही स्थिति प्रदेश में दिव्यांग बच्चों की है, जो बिना शिक्षकों के अध्ययन करने को मजबूर हैं।
वहीं दूसरी ओर, लम्बे समय से शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर लगातार विशेष शिक्षकों ने सरकार को पत्र लिखे, लेकिन सरकार अपने अड़ीयल रैवये पर अड़ी रही। हाल में ही 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक पीएलआई पर आदेश देते हुए सरकार को 2 महीने के अंदर विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं।
दिव्यांग बच्चों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से मात्र 407 शिक्षक ही स्कूलों में नियुक्त किए हुए हैं, जबकि अधिकतर स्कूलों में सामान्य शिक्षक ही दिव्याग बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जबकि इसे कानूनन अपराध माना गया है। दिव्यांग बच्चों को मात्र विशेष शिक्षक ही पढ़ा सकता है। अगर कोई सामान्य शिक्षक दिव्यांग बच्चों को पढ़ाता हुआ पाया जाता है, तो उसे दो वर्ष का कारावास निर्धारित है। लेकिन सरकार सामान्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर इन बच्चों को पढ़ा रही है।
विशेष शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय से न केवल इन दिव्यांग बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगा है, अपितु जो दिव्यांग छात्र स्कूलों में बिना शिक्षा के पढ़ रहे हैं, उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। इन सबके बावजूद सरकार लगातार विशेष शिक्षकों के साथ साथ दिव्यांग बच्चों के साथ भी धोखा कर रही है।
क्या दर्शातें हैं ये आंकड़े :
प्रदेश में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की संख्या : 1 लाख 16 हजार 683
दिव्यांग बच्चों पर शिक्षकों की संख्या : 450
स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या : 207
शिक्षा अभियान में कार्य करने वाले विशेष शिक्षक : 243
स्कूलों में विशेष शिक्षकों की आवश्यकता : 14 हजार 585
No comments:
Post a Comment