कलाशिक्षा को भले ही अनिवार्य शिक्षा के रुप में दर्शाया जाता रहा हो, लेकिन कला शिक्षा की निरंतर उपेक्षा ही सामने आई है। हाल ये हैं कि कक्षा 9 10 में कला शिक्षा अनिवार्य होने के बावजूद
सरकारी स्कूलों के लिए छपी करीब 3 लाख पुस्तकें बटी नहीं, उसको पढाए जाने
के लिए पात्र शिक्षकों की भर्ती पिछले 25 साल से नहीं हो पाई।
और तो और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के टाइम टेबिल में स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, सूचना प्रो. अवधारणा आदि को तो शामिल किया गया। लेकिन कला शिक्षा का कोई टाइम टेबिल तक नहीं है। जबकि कला शिक्षा की पुस्तक में सिद्धांतिक एवं प्रायोगिक परीक्षा के अंक तक का भी हवाला दिया गया है। लेकिन हाल ये है कि सभी विषयों की परीक्षा हो रही है। लेकिन कला शिक्षा की परीक्षा का कोई टाइम टेबिल तक नहीं बन पाया है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कला शिक्षा का विद्यालय स्तर पर मूल्यांकन कर लिया जाता है। इस संबंध में आवश्यक जानकारी करके ही कुछ कहा जा सकता है।
अनिवार्य विषय फिर परीक्षा क्यों नहीं
बेरोजगारकला शिक्षक संगठन के प्रदेश पदाधिकारी महेश गुर्जर का कहना है कि कला शिक्षा (चित्रकला, संगीत) नियमानुसार तो सैद्धांतिक प्रायोगिक परीक्षा होनी चाहिए। प्रकाशित पुस्तक में 15 नंबर का सैद्धांतिक पेपर दिया है। जब स्वास्थ्य शिक्षा का पेपर हो रहा है, तो कला शिक्षा का भी होना चाहिए। लेकिन हाल ये हैं कि 3 लाख किताबे कला शिक्षा की छपी जो बटी नहीं। किताबे बटी, ना टीचर है और ना ही मूल्यांकन होता है। केवल खानापूर्ति होती हीं नजर रही है। कला शिक्षा को हक दिलाने के लिए प्रदेश स्तर पर आंदोलन तेज किया जाएगा।
नहीं है कोई रिकॉर्ड
कलाशिक्षा की परीक्षा ही नहीं इसको लेकर स्कूलों में कोई मूल्यांकन तक नहीं होता है। इसका किसी भी सरकारी स्कूल के पास कोई रिकार्ड नहीं है। ये दावा कला शिक्षा को बढावा देने वाले संगठनों के पदाधिकारियों ने किया है। इस दावे के संबंध में िशक्षा अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नजर नहीं रहे हैं। जिससे स्पष्ट हो रहा है कि राज्य में कला शिक्षा केवल नाममात्र की ही बनी हुई है।
कलाशिक्षा में 92 से नहीं हुई भर्ती
कलाशिक्षा में तृतीय एवं द्वितीय श्रेणी में कला शिक्षकों की भर्ती 1992 से नहीं हो पाई है। जबकि कला शिक्षा अनिवार्य है, बोर्ड की परीक्षा की अंक तालिका में ग्रेड भी दी जाती है। जबकि मूल्यांकन आदि के लिए पात्र शिक्षक तक नहीं है।
टोंक. कक्षा10 की चित्रकला पुस्तक, जिसमें सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक परीक्षा एवं प्रश्न पत्र का सिलेबस दिया गया है, लेकिन परीक्षा नहीं हो पा रही है।
और तो और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के टाइम टेबिल में स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, सूचना प्रो. अवधारणा आदि को तो शामिल किया गया। लेकिन कला शिक्षा का कोई टाइम टेबिल तक नहीं है। जबकि कला शिक्षा की पुस्तक में सिद्धांतिक एवं प्रायोगिक परीक्षा के अंक तक का भी हवाला दिया गया है। लेकिन हाल ये है कि सभी विषयों की परीक्षा हो रही है। लेकिन कला शिक्षा की परीक्षा का कोई टाइम टेबिल तक नहीं बन पाया है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कला शिक्षा का विद्यालय स्तर पर मूल्यांकन कर लिया जाता है। इस संबंध में आवश्यक जानकारी करके ही कुछ कहा जा सकता है।
अनिवार्य विषय फिर परीक्षा क्यों नहीं
बेरोजगारकला शिक्षक संगठन के प्रदेश पदाधिकारी महेश गुर्जर का कहना है कि कला शिक्षा (चित्रकला, संगीत) नियमानुसार तो सैद्धांतिक प्रायोगिक परीक्षा होनी चाहिए। प्रकाशित पुस्तक में 15 नंबर का सैद्धांतिक पेपर दिया है। जब स्वास्थ्य शिक्षा का पेपर हो रहा है, तो कला शिक्षा का भी होना चाहिए। लेकिन हाल ये हैं कि 3 लाख किताबे कला शिक्षा की छपी जो बटी नहीं। किताबे बटी, ना टीचर है और ना ही मूल्यांकन होता है। केवल खानापूर्ति होती हीं नजर रही है। कला शिक्षा को हक दिलाने के लिए प्रदेश स्तर पर आंदोलन तेज किया जाएगा।
नहीं है कोई रिकॉर्ड
कलाशिक्षा की परीक्षा ही नहीं इसको लेकर स्कूलों में कोई मूल्यांकन तक नहीं होता है। इसका किसी भी सरकारी स्कूल के पास कोई रिकार्ड नहीं है। ये दावा कला शिक्षा को बढावा देने वाले संगठनों के पदाधिकारियों ने किया है। इस दावे के संबंध में िशक्षा अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नजर नहीं रहे हैं। जिससे स्पष्ट हो रहा है कि राज्य में कला शिक्षा केवल नाममात्र की ही बनी हुई है।
कलाशिक्षा में 92 से नहीं हुई भर्ती
कलाशिक्षा में तृतीय एवं द्वितीय श्रेणी में कला शिक्षकों की भर्ती 1992 से नहीं हो पाई है। जबकि कला शिक्षा अनिवार्य है, बोर्ड की परीक्षा की अंक तालिका में ग्रेड भी दी जाती है। जबकि मूल्यांकन आदि के लिए पात्र शिक्षक तक नहीं है।
टोंक. कक्षा10 की चित्रकला पुस्तक, जिसमें सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक परीक्षा एवं प्रश्न पत्र का सिलेबस दिया गया है, लेकिन परीक्षा नहीं हो पा रही है।
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