धर्मेन्द्र अदलक्खा. अलवर. प्रदेश
में सोशल मीडिया पर सबसे अधिक सक्रिय सरकारी शिक्षकों पर शिक्षा विभाग ने
शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब सोशल मीडिया पर मनमर्जी से पोस्ट डालकर
अपनी भड़ास निकालने वाले शिक्षकों को चिह्नित किया जाएगा। ऐसे शिक्षकों के
खिलाफ शिक्षा विभाग ने विभागीय कार्रवाई करना प्रारम्भ कर दिया है।
प्रदेश में इन दिनों सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर ग्रुप पर सक्रिय हैं। इनमें शिक्षा विभाग के शिक्षक आदेश जारी होने के कुछ मिनटों बाद ही उसे कई ग्रुपों में वायरल कर देते हैं। शिक्षा विभाग के लिए यह ग्रुप सरकार की नीतियों को आमजन तक पहुंचाने में सकारात्मक भूमिका भी निभा रहे हैं।
शिक्षक संगठनों से जुड़े बहुत से शिक्षक नेता इन सोशल ग्रुपों में जमकर सरकारी नीतियों की आलोचना भी करते हैं। शिक्षा विभाग में काउंसलिंग हो या आवासीय प्रशिक्षण शिविर सहित शिक्षकों को नामांकन लक्ष्य मिले या और कोई काम, इन सभी की इन ग्रुपों में जमकर आलोचना की जाती है।
ऐसे में कई बार शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकतर अधिकारियों को साइबर क्राइम की जानकारी ही नहीं है जिसके अभाव में वे सम्बन्धित शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।
इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक रोहिताश मित्तल का कहना है कि सोशल मीडिया संचार का सकारात्मक साधन है जिसका दुरुपयोग करने पर कार्रवाई भी हो सकती है।
इधर, पंचायती राज शिक्षक व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर के अनुसार सोशल मीडिया के सकारात्मक परिणााम सामने आए हैं। सभी को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इस आधार पर कार्रवाई करना गलत है।
जारी किए आदेश
शिक्षा विभाग ने अब सोशल मीडिया पर विभाग के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का मानस बना लिया है। शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करने तथा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
ऐसी ही एक कार्रवाई राजसमंद के ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी ने एक शिक्षक के खिलाफ की है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय किशनपुरा के एक शिक्षक महेन्द्र सिंह राव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
प्रदेश में इन दिनों सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर ग्रुप पर सक्रिय हैं। इनमें शिक्षा विभाग के शिक्षक आदेश जारी होने के कुछ मिनटों बाद ही उसे कई ग्रुपों में वायरल कर देते हैं। शिक्षा विभाग के लिए यह ग्रुप सरकार की नीतियों को आमजन तक पहुंचाने में सकारात्मक भूमिका भी निभा रहे हैं।
शिक्षक संगठनों से जुड़े बहुत से शिक्षक नेता इन सोशल ग्रुपों में जमकर सरकारी नीतियों की आलोचना भी करते हैं। शिक्षा विभाग में काउंसलिंग हो या आवासीय प्रशिक्षण शिविर सहित शिक्षकों को नामांकन लक्ष्य मिले या और कोई काम, इन सभी की इन ग्रुपों में जमकर आलोचना की जाती है।
ऐसे में कई बार शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकतर अधिकारियों को साइबर क्राइम की जानकारी ही नहीं है जिसके अभाव में वे सम्बन्धित शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।
इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक रोहिताश मित्तल का कहना है कि सोशल मीडिया संचार का सकारात्मक साधन है जिसका दुरुपयोग करने पर कार्रवाई भी हो सकती है।
इधर, पंचायती राज शिक्षक व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर के अनुसार सोशल मीडिया के सकारात्मक परिणााम सामने आए हैं। सभी को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इस आधार पर कार्रवाई करना गलत है।
जारी किए आदेश
शिक्षा विभाग ने अब सोशल मीडिया पर विभाग के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का मानस बना लिया है। शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करने तथा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
ऐसी ही एक कार्रवाई राजसमंद के ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी ने एक शिक्षक के खिलाफ की है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय किशनपुरा के एक शिक्षक महेन्द्र सिंह राव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
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