जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में डिप्टी रजिस्ट्रार परीक्षा समन्वयक 25 मार्च को होने वाले साक्षात्कार से पहले भर्ती प्रक्रिया में बरती जा रही अनियमितताओं की लगातार परतें खुलती जा रहीं हैं। भास्कर की पड़ताल में एक और अनियमितता सामने आई जिसमें जेएनवीयू की ओर से इस मामले में बनाई कमेटी ने फार्म की स्क्रूटनिंग ही नहीं की है।
स्क्रूटनिंग का कार्य शुरू कर उसे बीच में ही रोकने के साथ सभी आवेदकों को परीक्षा में शामिल करने का निर्णय ले लिया। फैसले को सही ठहराने के लिए सिंडीकेट की मुहर भी लगवाई गई। जबकि जानकारों का कहना है कि इन दोनों पदों के लिए जो योग्यताएं निर्धारित की थी उसके अनुरूप अगर आवेदनों की जांच होती तो शायद इंटरव्यू के लिए चयनित कई आवेदक यहां तक नहीं पहुंच पाते और परीक्षा के योग्य भी नहीं होते। अब कुलपति इसका ठीकरा उस कमेटी के सिर फोड़ रहे हैं जिन्हें इसका जिम्मा दिया था। कुलपति प्रो.आरपी सिंह का कहना है कि अगर आवेदन की जांच नहीं हुई तो कमेटी ही इसकी जिम्मेदार है। जबकि कमेटी के समन्वयक का कहना है कि यह फैसला तो सिंडीकेट का था।
डिप्टी रजिस्ट्रार परीक्षा समन्वयक की भर्ती के लिए कुलपति ने सिंडिकेट सदस्य प्रो.चंद्रशेखर चौधरी के समन्वय में एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में पूर्व सिंडीकेट सदस्य प्रो.अखिल रंजन गर्ग फिजिक्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.खरताराम पटेल शामिल थे। कमेटी को दोनों पदों के आवेदनों की स्क्रूटनिंग करनी थी। मगर कमेटी ने कुछ आवेदनों को चैक किया तथा इसके बाद प्रक्रिया को बीच में ही रोकने के साथ परीक्षा के माध्यम से स्क्रूटनिंग करवाने का निर्णय लिया। कमेटी की सिफारिश को जेएनवीयू की सिंडीकेट से अनुमोदन करवाया गया। इस तरह आवेदनों की बिना स्क्रूटनिंग किए परीक्षा हो गई और सफल उम्मीदवारों की साक्षात्कार के लिए मेरिट भी तैयार कर ली गई। अब कुलपति प्रो.आरपी सिंह का कहना है कि साक्षात्कार के दौरान चयन समित डॉक्यूमेंट चैक कर लेगी जो अयोग्य होंगे,उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाएगा।
जिम्मेदारों का यह कहना है…
^स्क्रूटनिंगके लिए जो कमेटी बनाई गई,वह ही इसकी जिम्मेदार है। डॉ.चंद्रशेखर चौधरी की कमेटी की सिफारिश को ही सिंडीकेट ने माना था,इसमें मेरा कोई लेना देना नहीं है। अब चयन समिति ओरिजनल डॉक्यूमेंट चैक करने के बाद अयोग्य को बाहर कर देगी।-प्रो.आरपी सिंह,कुलपतिजेएनवीयू
^हमने फार्म स्क्रूटिंग की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन इसे बीच में ही रोक दिया गया। यह तय किया कि स्क्रूटिंग का कार्य परीक्षा के बाद कर लिया जाएगा। इस संबंध में सिंडीकेट ने फैसला लेने के बाद हमने आवेदनों की जांच नहीं की है।-प्रो.चंद्रशेखर चौधरी,समन्वयकसंबंधित कमेटी
^इस संबंध में आयोजित एक बैठक में मैं शामिल हुआ था,इसके बाद लिखित परीक्षा करवाने का निर्णय लिया गया। मामले पर सिंडीकेट से मुहर भी लग गई। लेकिन इसके बाद मैंने इस कमेटी में कार्य करने की असमर्थता जता दी। मेरा इस कमेटी से कोई सरोकार नहीं।-प्रो.अखिल रंजन गर्ग,कमेटीसदस्य
^हमने कुछ डॉक्यमेंट चैक किए थे,कई आवेदनों में डॉक्यूमेंट क्लियर नहीं थे। इस संबंध में कमेटी के कन्वीनर ही कोई जवाब दे सकते है। चार माह पुरानी बात है। हां यह जरूर हैं कि हमने सभी डॉक्यूमेंट चैक नहीं किए।-डॉ.खरताराम पटेल,कमेटीसदस्य
स्क्रूटनिंग का कार्य शुरू कर उसे बीच में ही रोकने के साथ सभी आवेदकों को परीक्षा में शामिल करने का निर्णय ले लिया। फैसले को सही ठहराने के लिए सिंडीकेट की मुहर भी लगवाई गई। जबकि जानकारों का कहना है कि इन दोनों पदों के लिए जो योग्यताएं निर्धारित की थी उसके अनुरूप अगर आवेदनों की जांच होती तो शायद इंटरव्यू के लिए चयनित कई आवेदक यहां तक नहीं पहुंच पाते और परीक्षा के योग्य भी नहीं होते। अब कुलपति इसका ठीकरा उस कमेटी के सिर फोड़ रहे हैं जिन्हें इसका जिम्मा दिया था। कुलपति प्रो.आरपी सिंह का कहना है कि अगर आवेदन की जांच नहीं हुई तो कमेटी ही इसकी जिम्मेदार है। जबकि कमेटी के समन्वयक का कहना है कि यह फैसला तो सिंडीकेट का था।
डिप्टी रजिस्ट्रार परीक्षा समन्वयक की भर्ती के लिए कुलपति ने सिंडिकेट सदस्य प्रो.चंद्रशेखर चौधरी के समन्वय में एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में पूर्व सिंडीकेट सदस्य प्रो.अखिल रंजन गर्ग फिजिक्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.खरताराम पटेल शामिल थे। कमेटी को दोनों पदों के आवेदनों की स्क्रूटनिंग करनी थी। मगर कमेटी ने कुछ आवेदनों को चैक किया तथा इसके बाद प्रक्रिया को बीच में ही रोकने के साथ परीक्षा के माध्यम से स्क्रूटनिंग करवाने का निर्णय लिया। कमेटी की सिफारिश को जेएनवीयू की सिंडीकेट से अनुमोदन करवाया गया। इस तरह आवेदनों की बिना स्क्रूटनिंग किए परीक्षा हो गई और सफल उम्मीदवारों की साक्षात्कार के लिए मेरिट भी तैयार कर ली गई। अब कुलपति प्रो.आरपी सिंह का कहना है कि साक्षात्कार के दौरान चयन समित डॉक्यूमेंट चैक कर लेगी जो अयोग्य होंगे,उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाएगा।
जिम्मेदारों का यह कहना है…
^स्क्रूटनिंगके लिए जो कमेटी बनाई गई,वह ही इसकी जिम्मेदार है। डॉ.चंद्रशेखर चौधरी की कमेटी की सिफारिश को ही सिंडीकेट ने माना था,इसमें मेरा कोई लेना देना नहीं है। अब चयन समिति ओरिजनल डॉक्यूमेंट चैक करने के बाद अयोग्य को बाहर कर देगी।-प्रो.आरपी सिंह,कुलपतिजेएनवीयू
^हमने फार्म स्क्रूटिंग की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन इसे बीच में ही रोक दिया गया। यह तय किया कि स्क्रूटिंग का कार्य परीक्षा के बाद कर लिया जाएगा। इस संबंध में सिंडीकेट ने फैसला लेने के बाद हमने आवेदनों की जांच नहीं की है।-प्रो.चंद्रशेखर चौधरी,समन्वयकसंबंधित कमेटी
^इस संबंध में आयोजित एक बैठक में मैं शामिल हुआ था,इसके बाद लिखित परीक्षा करवाने का निर्णय लिया गया। मामले पर सिंडीकेट से मुहर भी लग गई। लेकिन इसके बाद मैंने इस कमेटी में कार्य करने की असमर्थता जता दी। मेरा इस कमेटी से कोई सरोकार नहीं।-प्रो.अखिल रंजन गर्ग,कमेटीसदस्य
^हमने कुछ डॉक्यमेंट चैक किए थे,कई आवेदनों में डॉक्यूमेंट क्लियर नहीं थे। इस संबंध में कमेटी के कन्वीनर ही कोई जवाब दे सकते है। चार माह पुरानी बात है। हां यह जरूर हैं कि हमने सभी डॉक्यूमेंट चैक नहीं किए।-डॉ.खरताराम पटेल,कमेटीसदस्य
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