हनुमानगढ़. चेले तो फेल-पास की चिंता से पूर्णत: मुक्त हैं। अगली कक्षा में उनको तो हर हाल में चले ही जाना है। गुरुजनों को 'कारण बताओ नोटिस' ने चिंता में डाल दिया है। कारण भी यह बताने हैं कि आखिर विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर क्यों रह गए।
ऐसे में शिक्षक सोच रहे हैं कि पढ़ेसरियों को फेल-पास की चिंता से मुक्त तो सरकार ने कर रखा है। पढ़ाई की फिक्र जगाने के लिए नोटिस उनको थमाए जा रहे हैं। खैर, इन नोटिस के जवाब तय अवधि में उनसे मांगे गए हैं।
संतोषजनक व तर्कसंगत जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। जानकारी के अनुसार गत शिक्षा सत्र में आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा डाइट ने करवाई। आरटीई के तहत कक्षा आठ तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का नियम था। ऐसे में बोर्ड परीक्षा के बावजूद कमजोर विद्यार्थियों को फेल नहीं किया गया। उनको ग्रेड देकर सशर्त अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया गया। सबसे उच्च ग्रेड 'ए' तय की गई। जबकि निम्नतम ग्रेड 'डी' निर्धारित की गई।
नोटिस भी उन्हीं शिक्षकों को दिए गए हैं जिनके यहां आधे से ज्यादा विद्याथिज़्यों ने डी ग्रेड हासिल की थी। कितनों को नोटिस थमाए प्रारंभिक शिक्षा की पाठशालाओं में कार्यरत 366 शिक्षकों को डीईओ प्रारंभिक ने नोटिस जारी किए हैं। यह सभी तृतीय श्रेणी शिक्षक हैं। इनके 40 प्रतिशत व उससे अधिक विद्यार्थियों ने आठवीं की परीक्षा में सबसे निम्न डी ग्रेड हासिल की है। इसी तरह उप निदेशक प्रारंभिक, चूरू ने 13 वरिष्ठ अध्यापकों को नोटिस थमाए हैं। इनके 50 प्रतिशत व उससे अधिक विद्यार्थियों को डी ग्रेड मिली है।
जाना भी पड़ेगा खराब परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों का तबादला भी किया जा सकता है। क्योंकि अधिक डी ग्रेड आने पर कार्रवाई संबंधी जो आदेश जयपुर से जारी हुए थे, उसमें यह उल्लेख था कि ऐसे शिक्षकों की कुंडली बनाई जाए। उनके खिलाफ कार्रवाई स्वरूप दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा जाए।
सुधार के लिए नोटिस विद्यार्थियों की तय मापदंडों से अधिक निम्नतम ग्रेड आने पर संबंधित शिक्षकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके क्या कारण रहे तथा क्या समाधान हो सकता है, इस पर कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि परिणाम सुधरे तथा शिक्षक भी गंभीरता दिखाए।
ऐसे में शिक्षक सोच रहे हैं कि पढ़ेसरियों को फेल-पास की चिंता से मुक्त तो सरकार ने कर रखा है। पढ़ाई की फिक्र जगाने के लिए नोटिस उनको थमाए जा रहे हैं। खैर, इन नोटिस के जवाब तय अवधि में उनसे मांगे गए हैं।
संतोषजनक व तर्कसंगत जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। जानकारी के अनुसार गत शिक्षा सत्र में आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा डाइट ने करवाई। आरटीई के तहत कक्षा आठ तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का नियम था। ऐसे में बोर्ड परीक्षा के बावजूद कमजोर विद्यार्थियों को फेल नहीं किया गया। उनको ग्रेड देकर सशर्त अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया गया। सबसे उच्च ग्रेड 'ए' तय की गई। जबकि निम्नतम ग्रेड 'डी' निर्धारित की गई।
नोटिस भी उन्हीं शिक्षकों को दिए गए हैं जिनके यहां आधे से ज्यादा विद्याथिज़्यों ने डी ग्रेड हासिल की थी। कितनों को नोटिस थमाए प्रारंभिक शिक्षा की पाठशालाओं में कार्यरत 366 शिक्षकों को डीईओ प्रारंभिक ने नोटिस जारी किए हैं। यह सभी तृतीय श्रेणी शिक्षक हैं। इनके 40 प्रतिशत व उससे अधिक विद्यार्थियों ने आठवीं की परीक्षा में सबसे निम्न डी ग्रेड हासिल की है। इसी तरह उप निदेशक प्रारंभिक, चूरू ने 13 वरिष्ठ अध्यापकों को नोटिस थमाए हैं। इनके 50 प्रतिशत व उससे अधिक विद्यार्थियों को डी ग्रेड मिली है।
जाना भी पड़ेगा खराब परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों का तबादला भी किया जा सकता है। क्योंकि अधिक डी ग्रेड आने पर कार्रवाई संबंधी जो आदेश जयपुर से जारी हुए थे, उसमें यह उल्लेख था कि ऐसे शिक्षकों की कुंडली बनाई जाए। उनके खिलाफ कार्रवाई स्वरूप दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा जाए।
सुधार के लिए नोटिस विद्यार्थियों की तय मापदंडों से अधिक निम्नतम ग्रेड आने पर संबंधित शिक्षकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके क्या कारण रहे तथा क्या समाधान हो सकता है, इस पर कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि परिणाम सुधरे तथा शिक्षक भी गंभीरता दिखाए।
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