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2 दिन दस्तावेज जांच: 81 में से पहुंचे 20 अभ्यर्थी, जानकार बोले- 4 साल में कइयों की नौकरी लगी

तृतीयश्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा 2012 की तीसरी बार संशोधित परिणाम जारी होने के बाद दो दिन चले दस्तावेज जांच में केवल 20 अभ्यर्थियों ही अपने दस्तावेज सत्यापन करवाए। इतनी कम संख्या में अभ्यर्थियों द्वारा दस्तावेजों की जांच के मामले में भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया को संभाल रहे जानकारों का कहना है कि भर्ती परीक्षा लंबी चलने के कारण अधिकांश की अन्य भर्तियों नौकरी लग गई है।
वहीं कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि 2012 भर्ती में चयन होने के बाद ज्वाइन से वंचित रहे अभ्यर्थियों का 2013 तथा सेकंड ग्रेड भर्ती में चयन हो गया। यही कारण रहा कि दो दिनों में केवल 20 अभ्यर्थी ही पहुंचे। चार साल पहले जिला परिषदों के माध्यम से करवाई गई ये भर्ती विवादों में ऐसे फसी की तीन बार अब तक संशोधित परिणाम जारी हो चुका है। फिर भी 2012 में इस भर्ती की परीक्षा देने वाले हजारों अभ्यर्थियों को अब तक राहत नहीं मिल पाई। तीसरी बार भर्ती परीक्षा की कटऑफ जारी होने के बाद फिर से कटऑफ विवादों के भेंट चढ़ गई है। तीसरी बार जारी संशोधित कटऑफ बढ़ने की वजह से बाहर होने वाले वे अभ्यर्थी जो पहले इसी भर्ती के तहत शिक्षक की नौकरी कर रहे है उनके सामने भी नया संकट खड़ा हो गया है। इन शिक्षकों का कहना है कि सरकार अगर उनको इस पद से हटाती है तो कोर्ट में जाएंगे। इधर, वह अभ्यर्थी इस कटऑफ से असंतुष्ट है, जिनके आंसर की में कटऑफ से ज्यादा नंबर रहे है लेकिन विभाग द्वारा उनके 5 से 7 सवाल सही होते हुए भी गलत माना गया है। पहले से नौकरी कर रही अभ्यर्थी जो इस कटऑफ से बाहर हो रहे है उनके लिए सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं निकाला गया है कि उनको नौकरी से हटाया जाए।

एमए के आधार पर बीएड करने वालों को भी नियुक्ति नहीं

एकतरफ सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के नियुक्ति के लिए बीएड को अनिवार्य कर दिया है। वही दूसरी और जिन अभ्यर्थियों ने एमए के आधार बीएड कर तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में भाग लिया है। उनका भी चयन हो गया है। लेकिन उनको भी सरकार द्वारा नियुक्ति नहीं दी जा रही है। इसको लेकर अभ्यर्थी कोर्ट में भी गए। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

एक ही राज्य में अलग-अलग मूल्यांकन प्रकिया

विशेषज्ञोंने बताया कि किसी भी मेरिट में 15 से 25 अंकों तक का संशोधन संभव नहीं है। परीक्षा को लेकर अधिकतम पांच से सात अंक तक का बदलाव होता है। यहां पर संशोधन का आधार यह माना गया है कि यदि विषय विशेषज्ञ कमेटी ने किसी सवाल को निरस्त किया तो ही उसे बोनस अंक दिए गए हैं, लेकिन प्रश्न की त्रुटि से निगेटिव मार्किंग के कारण उस प्रश्न को हल नहीं किया तो उस समय बोनस अंक नहीं देना अनुचित है। राजस्थान लोक सेवा आयोग और सीपीएससी की ओर से होने वाली परीक्षाओं में निरस्त प्रश्न को मूल प्रश्नपत्र में से हटाकर अंकों को सभी प्रश्नों को समान रूप से विभक्त किया जाता है। एक ही राज्य की विभिन्न परीक्षाओं में मूल्यांकन का अलग-अलग तरीका कैसे रखा?

बिना एक्सपर्ट रिपोर्ट संशोधित उत्तर कुंजी जारी किए कैसी प्रक्रिया...

मेरिटकी पोजीशन बढ़ने से कई अभ्यर्थी सकते में हैं। इनका सवाल है कि अब अंक बढ़ने का आधार क्या है। हाल में राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रथम श्रेणी व्याख्याता परीक्षा पर इसी कारण रोक लगाई थी कि मांगी गई आपत्तियों की एक्सपर्ट रिपोर्ट संशोधित उत्तर कुंजी जारी नहीं की। न्यायालय आदेश के बाद आरपीएससी ने यह रिपोर्ट उत्तर कुंजी सार्वजनिक की। 

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