जयपुर. हाईकोर्ट ने बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का
अधिकार अधिनियम की पालना को लेकर राज्य सरकार से शपथ पत्र मांगा है। कोर्ट
ने कहा है कि सरकार बताए कि अब तक इस कानून की पालना के लिए क्या-क्या
प्रयास किए हैं?
सरकारी स्कूलों को इनकी कमी से जूझना पड़ रहा है
न्यायाधीश के एस झवेरी व न्यायाधीश दिनेश मेहता की खण्डपीठ ने प्रो. राजीव गुप्ता की जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सोमवार को यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2010 में बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो गया। वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने इसकी पालना के लिए नियम बना दिए। इसके तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात व अन्य संसाधनों का प्रावधान है, लेकिन सरकारी स्कूलों को इनकी कमी से जूझना पड़ रहा है। इससे कानून का मकसद पूरा नहीं हो रहा है।
इस याचिका पर कोर्ट ने23 अपे्रल 2014 को नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा था। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस अधिनियम के तहत वर्ष 2011 में बनाए गए नियमों की पालना की जा रही है।
सरकारी स्कूलों को इनकी कमी से जूझना पड़ रहा है
न्यायाधीश के एस झवेरी व न्यायाधीश दिनेश मेहता की खण्डपीठ ने प्रो. राजीव गुप्ता की जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सोमवार को यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2010 में बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो गया। वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने इसकी पालना के लिए नियम बना दिए। इसके तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात व अन्य संसाधनों का प्रावधान है, लेकिन सरकारी स्कूलों को इनकी कमी से जूझना पड़ रहा है। इससे कानून का मकसद पूरा नहीं हो रहा है।
इस याचिका पर कोर्ट ने23 अपे्रल 2014 को नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा था। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस अधिनियम के तहत वर्ष 2011 में बनाए गए नियमों की पालना की जा रही है।
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