प्रदेश में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित अध्यापक पात्रता
परीक्षा रीट पर पूर्व में ली गई आरटेट भारी पड़ सकती है। राज्य में आरटेट
दे चुके अधिकांश अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम रीट के मुकाबले बेहतर होने
के संकेत मिल रहे है। एेसे में अध्यापक भर्ती के लिए बनने वाली अंतिम
योग्यता सूची में आरटेट अभ्यर्थियों को वरीयता मिल सकती है।
राजस्थान में कांगे्रस शासनकाल में तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती के लिए पात्रता पाने के लिए 2011 और 2012 में आरटेट का आयोजित किया गया था। इन परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र की वैधता सात वर्ष रखी गई थी। इसके मायने 2017 और 2018 तक होने वाली अध्यापक भर्ती के लिए आरटेट आवेदक कट ऑफ माक्र्स के आधार पर अपनी नियुक्ति के लिए दावा पेश कर सकते हैं।
भाजपा ने सता में आते ही आरटेट का नाम बदलकर रीट रख दिया और तीन साल के इंतजार के बाद आरटेट ले चुके माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के माध्यम से ही रीट परीक्षा भी आयोजित करा ली।
आरटेट में अधिक लेकिन रीट में कम
आरटेट प्रमाण-पत्र सात वर्ष तक वैध होने की वजह से अभ्यर्थियों का रीट के तहत होने वाली नियुक्तियों में भी दावा बरकरार रहेगा। हालांकि राज्य सरकार ने आरटेट अभ्यर्थियों को परिणाम सुधार के लिए रीट में शामिल होने का भी विकल्प दिया था। यही वजह रही कि अधिकांश आरटेट अभ्यर्थियों ने रीट में भी भाग्य आजमााया। परिणाम घोषित होने के बाद अधिकांश अभ्यर्थी दंग रह गए जब उनके रीट में अंकों का प्रतिशत आरटेट के मुकाबले काफी कम रहा।
हालात यह है कि अनेक अभ्यर्थियों के आरटेट 2011 व 2012 में परिणाम प्रतिशत 70 प्रतिशत अथवा अधिक रहा लेकिन रीट में यह प्रतिशत काफी कम हो गया यही नहीं अनेक आरटेट अभ्यर्थी तो रीट में उत्तीर्ण भी नहीं हो पाए हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
राजस्थान में कांगे्रस शासनकाल में तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती के लिए पात्रता पाने के लिए 2011 और 2012 में आरटेट का आयोजित किया गया था। इन परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र की वैधता सात वर्ष रखी गई थी। इसके मायने 2017 और 2018 तक होने वाली अध्यापक भर्ती के लिए आरटेट आवेदक कट ऑफ माक्र्स के आधार पर अपनी नियुक्ति के लिए दावा पेश कर सकते हैं।
भाजपा ने सता में आते ही आरटेट का नाम बदलकर रीट रख दिया और तीन साल के इंतजार के बाद आरटेट ले चुके माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के माध्यम से ही रीट परीक्षा भी आयोजित करा ली।
आरटेट में अधिक लेकिन रीट में कम
आरटेट प्रमाण-पत्र सात वर्ष तक वैध होने की वजह से अभ्यर्थियों का रीट के तहत होने वाली नियुक्तियों में भी दावा बरकरार रहेगा। हालांकि राज्य सरकार ने आरटेट अभ्यर्थियों को परिणाम सुधार के लिए रीट में शामिल होने का भी विकल्प दिया था। यही वजह रही कि अधिकांश आरटेट अभ्यर्थियों ने रीट में भी भाग्य आजमााया। परिणाम घोषित होने के बाद अधिकांश अभ्यर्थी दंग रह गए जब उनके रीट में अंकों का प्रतिशत आरटेट के मुकाबले काफी कम रहा।
हालात यह है कि अनेक अभ्यर्थियों के आरटेट 2011 व 2012 में परिणाम प्रतिशत 70 प्रतिशत अथवा अधिक रहा लेकिन रीट में यह प्रतिशत काफी कम हो गया यही नहीं अनेक आरटेट अभ्यर्थी तो रीट में उत्तीर्ण भी नहीं हो पाए हैं।
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