उदयपुर नामांकन बढ़ाने की जल्दबाजी और वाहवाही लूटने में राज्य सरकार से लेकर जिम्मेदार शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी तक को परवाह नहीं कि सरकारी विद्यालयों में संसाधन और व्यवस्थाएं ही आधी-अधूरी हैं। देवनानी तो अपने उस वादे पर भी खरे नहीं उतर पाए जो उन्होंने प्रवेशोत्सव के लिए किए थे। मंत्री ने कई बार अपने भाषणों में कहा था कि विद्यार्थी को प्रवेश के साथ हाथों में पुस्तकें दी जाएंगी।
लेकिन स्थिति यह है कि विद्यालयों में अगले एक माह बाद भी पुस्तकें नहीं पहुंच पाएंगी। इधर, विद्यालयों में 15 दिवसीय प्रवेशोत्सव 26 अप्रेल से शुरू हो रहा है।
नए सत्र में मिलेगी विद्यार्थियों को
जानकारी के अनुसार इन पुस्तकों को करीब डेढ़ माह पहले ही पहुंच जाना चाहिए था। लेकिन प्रवेशोत्सव से ठीक एक दिन पहले 25 अप्रेल से पुस्तकों को प्रदेश में वितरित करने का काम शुरू होगा, जो मई के अंतिम तक चलेगा। सभी पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्रों पर ये भेजी जाएंगी। लेकिन विद्यालय 26 अप्रेल से शुरू होकर 10 मई तक बंद हो जाएंगे। एेसे में नए सत्र से ही विद्यार्थियों को पुस्तकें नसीब हो पाएंगी। उदयपुर जिले में कक्षा 1 से 8 तक 18 लाख पुस्तकों का वितरण होगा।
प्रबंध में गड़बड़, समय-बजट की बर्बादी
सरकार ने पुस्तक वितरण का प्रबंध इस प्रकार किया है कि हर बार समय और बजट की बर्बादी होती है। जिला स्तर पर विभाग की ओर से यातायात के लिए वाहनों का टेंडर होता है। इसके बाद प्रत्येक नोडल से करीब चार शिक्षकों को पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्र बुलाया जाता है। वे पुस्तकों का मांग पत्र देकर पैकिंग
करवाते हैं। इसके बाद वाहन से नोडल पर पुस्तकें पहुंचती हैं। इसमें एक शिक्षक का टीए-डीए लगभग 200 रुपए बनता है। जिले में 506 नोडल हैं, इसमें 24 हजार शिक्षकों का टीए-डीए लगभग चार लाख 80 हजार
रुपए बनेगा।
यह हो सकता है
जानकारों का कहना है कि पुस्तक वितरण में खर्चें को कम करने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी समाप्त की जाए। नोडल की ओर से सीधा मांग पत्र पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्र को भेजा जाए। वहां से वाहनों में पुस्तकें नोडल तक पहुंचा दी जाएं और सभी विद्यालय पुस्तकें उठा लें। इससे शिक्षकों को कार्य से मुक्ति मिलेगी और सरकार का
व्यय बचेगा।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लेकिन स्थिति यह है कि विद्यालयों में अगले एक माह बाद भी पुस्तकें नहीं पहुंच पाएंगी। इधर, विद्यालयों में 15 दिवसीय प्रवेशोत्सव 26 अप्रेल से शुरू हो रहा है।
नए सत्र में मिलेगी विद्यार्थियों को
जानकारी के अनुसार इन पुस्तकों को करीब डेढ़ माह पहले ही पहुंच जाना चाहिए था। लेकिन प्रवेशोत्सव से ठीक एक दिन पहले 25 अप्रेल से पुस्तकों को प्रदेश में वितरित करने का काम शुरू होगा, जो मई के अंतिम तक चलेगा। सभी पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्रों पर ये भेजी जाएंगी। लेकिन विद्यालय 26 अप्रेल से शुरू होकर 10 मई तक बंद हो जाएंगे। एेसे में नए सत्र से ही विद्यार्थियों को पुस्तकें नसीब हो पाएंगी। उदयपुर जिले में कक्षा 1 से 8 तक 18 लाख पुस्तकों का वितरण होगा।
प्रबंध में गड़बड़, समय-बजट की बर्बादी
सरकार ने पुस्तक वितरण का प्रबंध इस प्रकार किया है कि हर बार समय और बजट की बर्बादी होती है। जिला स्तर पर विभाग की ओर से यातायात के लिए वाहनों का टेंडर होता है। इसके बाद प्रत्येक नोडल से करीब चार शिक्षकों को पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्र बुलाया जाता है। वे पुस्तकों का मांग पत्र देकर पैकिंग
करवाते हैं। इसके बाद वाहन से नोडल पर पुस्तकें पहुंचती हैं। इसमें एक शिक्षक का टीए-डीए लगभग 200 रुपए बनता है। जिले में 506 नोडल हैं, इसमें 24 हजार शिक्षकों का टीए-डीए लगभग चार लाख 80 हजार
रुपए बनेगा।
यह हो सकता है
जानकारों का कहना है कि पुस्तक वितरण में खर्चें को कम करने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी समाप्त की जाए। नोडल की ओर से सीधा मांग पत्र पाठ्य पुस्तक वितरण केन्द्र को भेजा जाए। वहां से वाहनों में पुस्तकें नोडल तक पहुंचा दी जाएं और सभी विद्यालय पुस्तकें उठा लें। इससे शिक्षकों को कार्य से मुक्ति मिलेगी और सरकार का
व्यय बचेगा।
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