15 किलोमीटर दूर सरकारी स्कूल, बेटियों ने पॉकेट मनी खर्च कर लगाई स्कूल बस
पाटन. सरकारी स्कूलों के बेटे-बेटियों की इस पहल को शिक्षा के लिए क्रांति ही कहेंगे। पाटन के जमुना देवी पांडेय राजकीय स्कूल की बेटियों ने पॉकेट मनी से स्कूल बस लगाई है। पाटन के जमुना देवी स्कूल में करीब 15 किमी के एरिया से बेटियां पढ़ने आती हैं। परिवहन का साधन नहीं होने से छेड़छाड़ के अलावा दूसरी मजबूरी है कि निजी स्कूल का रास्ता अख्तियार करना। जाहिर सी बात है इसमें ज्यादा रुपए खर्च होते हैं। इसलिए शिक्षकों ने प्रेरित किया तो स्कूल की बेटियों ने तय किया कि वे अपने दम पर स्कूल बस लगाएंगी। बस मालिक को हर महीने 35 हजार रुपए किराया देना होता है। किराया आपस में बेटियां हर महीने बस मालिक को करीब 18 हजार रुपए का पेमेंट करती हैं।
बाकी राशि करीब 17 हजार रुपए भामाशाह कैलाशचंद शर्मा देते हैं। यह बस दो चक्कर करती है और 85 बेटियां आती-जाती हैं। सार्वजनिक परिवहन का साधन सुरक्षित भी है। क्योंकि छेड़छाड़ का डर नहीं रहता है। स्कूल की कार्यवाहक प्राचार्य मंजू यादव ने बताया कि स्कूल की सुविधाओं को देखते हुए कई अभिभावक बेटियों के एडमिशन के लिए संपर्क कर रहे हैं।पाटन. सरकारी स्कूलों के बेटे-बेटियों की इस पहल को शिक्षा के लिए क्रांति ही कहेंगे। पाटन के जमुना देवी पांडेय राजकीय स्कूल की बेटियों ने पॉकेट मनी से स्कूल बस लगाई है। पाटन के जमुना देवी स्कूल में करीब 15 किमी के एरिया से बेटियां पढ़ने आती हैं। परिवहन का साधन नहीं होने से छेड़छाड़ के अलावा दूसरी मजबूरी है कि निजी स्कूल का रास्ता अख्तियार करना। जाहिर सी बात है इसमें ज्यादा रुपए खर्च होते हैं। इसलिए शिक्षकों ने प्रेरित किया तो स्कूल की बेटियों ने तय किया कि वे अपने दम पर स्कूल बस लगाएंगी। बस मालिक को हर महीने 35 हजार रुपए किराया देना होता है। किराया आपस में बेटियां हर महीने बस मालिक को करीब 18 हजार रुपए का पेमेंट करती हैं।
स्कूल में 500 बेटियां, निशुल्क दी है यूनिफॉर्म | वरिष्ठ अध्यापक सुमेरसिंह ने बताया कि 500 बेटियां स्कूल में पढ़ रही हैं। निशुल्क यूनिफॉर्म, जूते, जुराब, गर्म शाल आदि की व्यवस्था भी भामाशाह द्वारा निशुल्क की जाती है। कोई बेटी बोर्ड फीस या अन्य कोई फीस नहीं दे पाती है तो उसके लिए भामाशाह ने अलग से फंड बना रखा है। भामाशाह कैलाश शर्मा की मदद से विज्ञान संकाय के लिए लैब का सामान उपलब्ध हुआ है।
...और न्यौराणा स्कूल के विद्यार्थी टैंपों के लिए देते हैं हर महीने 250 रुपए
गांव-ढाणी दूर होने की वजह से न्यौराणा स्कूल का नामांकन गिर रहा था। शारीरिक शिक्षक शिवकुमार सैनी ने विद्यार्थियों को समझाया। विद्यार्थियों ने प्रयास किए और तीन टैंपों लगाए। प्रत्येक विद्यार्थी महीने के 250 रुपए देता है। इन टैंपों से हर दिन करीब 82 विद्यार्थी आते-जाते हैं। संस्था प्रधान हनुमान प्रसाद सैनी के मुताबिक आसपास में करीब दस निजी स्कूल हैं। उनसे कंपीटिशन करने के लिए यह पहल जरूरी थी। जरूरतमंद विद्यार्थियों को पेन, कॉपी व बैग भी शिक्षकों ने रुपए एकत्रित कर निशुल्क बांटे हैं। वर्तमान में स्कूल का नामांकन 457 है।
गांव-ढाणी दूर होने की वजह से न्यौराणा स्कूल का नामांकन गिर रहा था। शारीरिक शिक्षक शिवकुमार सैनी ने विद्यार्थियों को समझाया। विद्यार्थियों ने प्रयास किए और तीन टैंपों लगाए। प्रत्येक विद्यार्थी महीने के 250 रुपए देता है। इन टैंपों से हर दिन करीब 82 विद्यार्थी आते-जाते हैं। संस्था प्रधान हनुमान प्रसाद सैनी के मुताबिक आसपास में करीब दस निजी स्कूल हैं। उनसे कंपीटिशन करने के लिए यह पहल जरूरी थी। जरूरतमंद विद्यार्थियों को पेन, कॉपी व बैग भी शिक्षकों ने रुपए एकत्रित कर निशुल्क बांटे हैं। वर्तमान में स्कूल का नामांकन 457 है।
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