भास्करसंवाददाता| बांसवाड़ा पिछली कांग्रेस सरकार ने 2012 में शिक्षक भर्ती कर बांसवाड़ा में 629 और
प्रदेश में 40 हजार बेरोजगारों को शिक्षक बनाया। मौजूदा सरकार ने इन
शिक्षकों को 2 साल का परिवीक्षा काल पूरा करने के बाद भी तो स्थाई किया और
ही ऊपर के 2 सालों का एरियर दिया।
यदि सरकार एरियर देने की घोषणा करती है तो बांसवाड़ा के तमाम शिक्षकों को 15 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे और पूरे प्रदेश में करीब 6 अरब रुपए महज एरियर का भुगतान करना पड़ेगा।
अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दबाव पड़ा तो इस पर निर्णय करने के लिए पूरे प्रदेश के सीईओ की मंगलवार को बैठक बुलाई है। बैठक में शिक्षा और पंचायतीराज विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। भर्ती प्रक्रिया जिला परिषद के जरिए हुई थी, इसलिए सभी सीईओ को बुलाया है। बैठक में सरकार की ओर से भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़े सभी बिंदुओं पर विचार किया जाएगा।
बैठक में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों की भर्ती और टेट को लेकर पिछले 6 माह में जो भी निर्णय या नोटिस जारी किए हैं, उन पर चर्चा की जाएगी। जिला परिषद के सूत्रों के मुताबिक अब तक 5 बड़े निर्णय भी इन भर्तियों के संदर्भ में हो चुके हैं, इसलिए इसी 8 नवंबर को प्रदेश के सभी सीईओ को बुलाया है।
सरकारपर 15 करोड़ 72 लाख का अतिरिक्त भार : यदि8 नवंबर की बैठक में एरियर और स्थाईकरण आदेश देने के पक्ष में कोई निर्णय होता है तो बांसवाड़ा को लेकर राज्य सरकार पर 15 कराेड़ 72 लाख रुपए का वित्तीय भार सरकार पर पड़ेगा। यह राशि केवल बांसवाड़ा की है। प्रदेश में 40 हजार शिक्षकों की अनुमानित राशि 6 अरब रुपए का भार पड़ना है।
शिक्षक योगेश शर्मा ने बताया कि हाल ही में कोर्ट ने स्थाईकरण आदेश और एरियर को लेकर सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
नियम-2 साल के बाद जारी करना होता है आदेश
राज्यसरकार के अधीन सभी भर्तियों में नियम यह बना हुआ है कि 2 साल की सेवा पूरी होने के बाद कर्मचारी को स्थाई किया जाता है। यदि स्थाई करने में देरी होती है तो ठीक 2 साल के बाद का जितना भी समय होता है, उसका नए वेतनमान की गणना कर एरियर का भुगतान करना पड़ता है। शिक्षकों का कहना है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में भर्ती होना ही भारी पड़ गया। इसके बाद ही सरकार बदल गई और नई सरकार निर्णय कर नहीं रही है।
^शिक्षक भर्ती के संदर्भ में ही 8 नवंबर को जयपुर में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में कोर्ट के आदेश, निर्णय, नोटिस से लेकर कई तरह के पहलुओं पर संभवत: विचार किया जाएगा। -परशुराम धानका, सीईओ
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यदि सरकार एरियर देने की घोषणा करती है तो बांसवाड़ा के तमाम शिक्षकों को 15 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे और पूरे प्रदेश में करीब 6 अरब रुपए महज एरियर का भुगतान करना पड़ेगा।
अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दबाव पड़ा तो इस पर निर्णय करने के लिए पूरे प्रदेश के सीईओ की मंगलवार को बैठक बुलाई है। बैठक में शिक्षा और पंचायतीराज विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। भर्ती प्रक्रिया जिला परिषद के जरिए हुई थी, इसलिए सभी सीईओ को बुलाया है। बैठक में सरकार की ओर से भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़े सभी बिंदुओं पर विचार किया जाएगा।
बैठक में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों की भर्ती और टेट को लेकर पिछले 6 माह में जो भी निर्णय या नोटिस जारी किए हैं, उन पर चर्चा की जाएगी। जिला परिषद के सूत्रों के मुताबिक अब तक 5 बड़े निर्णय भी इन भर्तियों के संदर्भ में हो चुके हैं, इसलिए इसी 8 नवंबर को प्रदेश के सभी सीईओ को बुलाया है।
सरकारपर 15 करोड़ 72 लाख का अतिरिक्त भार : यदि8 नवंबर की बैठक में एरियर और स्थाईकरण आदेश देने के पक्ष में कोई निर्णय होता है तो बांसवाड़ा को लेकर राज्य सरकार पर 15 कराेड़ 72 लाख रुपए का वित्तीय भार सरकार पर पड़ेगा। यह राशि केवल बांसवाड़ा की है। प्रदेश में 40 हजार शिक्षकों की अनुमानित राशि 6 अरब रुपए का भार पड़ना है।
शिक्षक योगेश शर्मा ने बताया कि हाल ही में कोर्ट ने स्थाईकरण आदेश और एरियर को लेकर सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
नियम-2 साल के बाद जारी करना होता है आदेश
राज्यसरकार के अधीन सभी भर्तियों में नियम यह बना हुआ है कि 2 साल की सेवा पूरी होने के बाद कर्मचारी को स्थाई किया जाता है। यदि स्थाई करने में देरी होती है तो ठीक 2 साल के बाद का जितना भी समय होता है, उसका नए वेतनमान की गणना कर एरियर का भुगतान करना पड़ता है। शिक्षकों का कहना है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में भर्ती होना ही भारी पड़ गया। इसके बाद ही सरकार बदल गई और नई सरकार निर्णय कर नहीं रही है।
^शिक्षक भर्ती के संदर्भ में ही 8 नवंबर को जयपुर में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में कोर्ट के आदेश, निर्णय, नोटिस से लेकर कई तरह के पहलुओं पर संभवत: विचार किया जाएगा। -परशुराम धानका, सीईओ
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