भास्कर न्यूज | मदनगंज-किशनगढ़ शिक्षाविभाग के नियम कायदे बेरोजगारों को किस कदर छल रहे हैं, इसका
नमूना बीकॉम के बाद बीएड करने वाले बेरोजगारों की स्थिति से सहज ही देखा जा
सकता है।
बीकॉम की पढ़ाई के बाद बीएड कर शिक्षक बनने का सपना अब ऐसे लाखों बेरोजगारों का सपना ही रह जाएगा। कारण साफ है वाणिज्य स्नातकों के लिए तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में कोई पद तक नहीं रखे गए हैं।
यानी पहले तो 2 साल की मेहनत और हजारों रुपए खर्च कर कर बीएड की पढ़ाई की। फिर पहले टेट और बाद में सरकारी फरन से रीट परीक्षा पास करने में दिन-रात एक कर दिए। इंतजार के बाद जब भर्ती आई तो सामने आया कि वाणिज्य विषयों की स्नातक डिग्री लेने वालों के लिए तो तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती में पद है और ही वरिष्ठ शिक्षक भर्ती में कोई प्रावधान रखा है। इन दिनों तृतीय श्रेणी के लेवल द्वितीय के लिए भर्ती के ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। लेकिन कॉमर्स के विषयों के लिए कोई पद नहीं होने से प्रदेश के हजारों बेरोजगार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
सरकार नहीं सुनेगी तो न्यायालय की लेंगे शरण
^शिक्षाविभाग वाणिज्य के अभ्यर्थियों को अध्यापक पद के योग्य नहीं मानता है तो बीएड और रीट की परीक्षा में शामिल भी नहीं करना चाहिए। हमारा श्रम, समय और पैसे की बर्बादी हो गई। सरकार को हमारी पीड़ा सुननी चाहिए अन्यथा फिर न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी। संदीपकुमार, बीकॉम, बीएड डिग्रीधारी
बीकॉम की पढ़ाई के बाद बीएड कर शिक्षक बनने का सपना अब ऐसे लाखों बेरोजगारों का सपना ही रह जाएगा। कारण साफ है वाणिज्य स्नातकों के लिए तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में कोई पद तक नहीं रखे गए हैं।
यानी पहले तो 2 साल की मेहनत और हजारों रुपए खर्च कर कर बीएड की पढ़ाई की। फिर पहले टेट और बाद में सरकारी फरन से रीट परीक्षा पास करने में दिन-रात एक कर दिए। इंतजार के बाद जब भर्ती आई तो सामने आया कि वाणिज्य विषयों की स्नातक डिग्री लेने वालों के लिए तो तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती में पद है और ही वरिष्ठ शिक्षक भर्ती में कोई प्रावधान रखा है। इन दिनों तृतीय श्रेणी के लेवल द्वितीय के लिए भर्ती के ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। लेकिन कॉमर्स के विषयों के लिए कोई पद नहीं होने से प्रदेश के हजारों बेरोजगार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
सरकार नहीं सुनेगी तो न्यायालय की लेंगे शरण
^शिक्षाविभाग वाणिज्य के अभ्यर्थियों को अध्यापक पद के योग्य नहीं मानता है तो बीएड और रीट की परीक्षा में शामिल भी नहीं करना चाहिए। हमारा श्रम, समय और पैसे की बर्बादी हो गई। सरकार को हमारी पीड़ा सुननी चाहिए अन्यथा फिर न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी। संदीपकुमार, बीकॉम, बीएड डिग्रीधारी
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