About Us

Sponsor

आख़िरकार हार मान लिए कुलपति, सुनवाई से पहले दे दिया इस्तीफा

जयपुर। अपनी डिग्री को लेकर नियुक्ति से लेकर अब तक लगातार विवादों में रहने वाले राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल ने आख़िरकार अपना इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जयपुर के संभागीय आयुक्त को विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
सिंघल ने रविवार को सुबह इस्तीफा दिया था, उसके कुछ समय बाद ही दोपहर में राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह ने उनका त्याग पत्र स्वीकार कर लिया है।

संभागीय आयुक्त ने संभाला कार्यभार
कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने राज्य सरकार की सलाह से राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार जयपुर के संभागीय आयुक्त राजेश्वर सिंह को दे दिया है। गौरतलब है कि अपनी नियुक्त को लेकर विवि के कुपलति जेपी सिंघल शुरू से ही विवादों में रहे हैं। उनकी डॉक्टरेट की उपाधि व अयोग्यता का मुद्दा विपक्ष सहित पूरे शिक्षक समुदाय के लिए खास हमला करने का साधन बना रहा।

ये है पूरा मामला
दरअसल, राजस्थान यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर पद पर जेपी सिंघल की नियुक्ती पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वीसी का पद बहुत ऊंचे स्तर का होता है। इस पर अपात्र व्यक्ती को नहीं बैठाया जा सकता है। न्यायाधीश केएस झवेरी, वीके माथुर ने यह टिप्पणी रिटायर्ड जस्टिस आईएस इसरानी की याचिका पर की। उन्होनें कहा कि वीसी पद पर किसी अपात्र व्यक्ति को बने रहने का कोई हक नहीं है।

नाम के आगे डॉक्टर लिखना टाइपिंग मिस्टेक बताया था
वीसी सिंघल के पास पीएचडी की डिग्री नहीं है। फिर भी उनके नाम के आगे डॉक्टर लिखा हुआ है। इस पर जब कोर्ट ने सवाल उठाए तो यूनिवर्सिटी ने कहा कि टाइप की गलती के कारण ऐसा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि यह टाइपिंग की गलती नहीं है, बल्कि कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, जेपी सिंघल यूनिवर्सिटी के वीसी पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं रखते, उन्हें न तो प्रोफेसर पद पर दस साल का अनुभव है और न ही वे पीएचडी हैं। वे केवल लेक्चरर रहे हैं और इसलिए वे वीसी पद के योग्य नहीं हैं।

वीसी चयन कमेटी में यूनिवर्सिटी से संबंध रखने वाले प्रोफेसर
वहीं ह्यूमन सेटलमेंट टेक्नोलॉजी सेंटर का कहना था कि वीसी चयन के लिए बनायी गई सर्च कमेटी में यूनिवर्सिटी से संबंध रखने वाले प्रोफेसरों को ही रखा था जो गलत है। जबकि यूजीसी के नियमों के तहत कमेटी सदस्यों का संबंध यूनिवर्सिटी से नहीं होना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होनी थी।

फरवरी माह में खत्म होने वाला था कार्यकाल
इसी मामले में हाल ही में पूर्व जस्टिस आई एस असरानी की एक रिट पर हाईकोर्ट ने मौखिक रुप से तीखी टिप्पणी करते हुए पद से हटने की बात कही थी। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद हालांकि सिंघल ने अपने इस्तीफे से इनकार किया था। सिंघल का कार्यकाल फरवरी माह के अंत में खत्म होने वाला था। 

No comments:

Post a Comment

Photography

Recent

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Important News

Popular Posts