बीकानेर । बाल दिवस पर स्कूलों में समारेाह आयोजित करने के बाल अधिकारिता विभाग के आदेशों के तहत जिले की कई स्कूलों में समारोह आयोजित किए गए तो कई स्कूलों में अवकाश रहे। जिला कलक्टर ने भी बाल अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए
जिला शिक्षा अधिकारियों को इन आदेशों के तहत कार्यक्रम करने के निर्देश दिए तो उन्ही आदेशों को जिला शिक्षा अधिकारी ने पृष्ठांकित कर सभी संस्था प्रधानों को इसकी अक्षरश: पालना के निर्देश देकर अपने कर्तव्यों को पूरा कर लिया।
कोई स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण कई संस्था प्रधानों ने बाल दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए तो कई स्कूलों के ताले भी नहीं खुले।
कलेण्डर में अवकाश
शिक्षा विभाग के शिविरा कलेण्डर में पहले से ही 14 नवंबर को गुरुनानक जयंती का अवकाश घोषित किया जा चुका था तथा बाल दिवस पर उत्सव आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही उत्सव के दिन अवकाश होने पर उसे एक दिन पूर्व अथवा बाद में मनाए जाने के आदेश पहले से ही लागू हैं।
समन्वय का अभाव
शिक्षाविदों का कहना है कि बाल अधिकारिता विभाग द्वारा सीधे ही जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों में 14 नवंबर को कार्यक्रम आयोजित करने, ग्राम बाल सभाओं का आयोजन करने के निर्देश देना उचित नहीं है।
शिक्षा विभाग की स्कूलों का संचालन शिविरा कलेण्डर के अनुसार होता है एेसे में स्कूलों में किसी भी तरह के आयोजन के लिए अन्य विभागों को सीधे जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश नहीं देने चाहिए।
फिर रहेगा असंमजस
20 नवंबर को अन्तर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस मनाया जाना है। इस दिन स्कूलों में रविवार का अवकाश है एेसे में शिक्षा निदेशक की ओर से संस्था प्रधानों को स्पष्ट निर्देश अभी तक नहंी मिले है। जिससे संस्था प्रधान असमंजस की स्थिति में है।
विभिन्न प्रतियोगिताएं
नायकों मोहल्ला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के संस्था प्रधान राजूराम ने बताया कि श्रुत लेख व सुलेख प्रतियोगिताओं में क्रमश: प्रकाश नायक व साधना प्रथम, दौड़ में राहुल व बालिका दौड़ में सोनू नायक प्रथम रही।
मुख्य अतिथि मांगीलाल भद्रवाल व अध्यक्ष ताराचंद जावा रहे।वक्ताओं ने पंडित नेहरू के बारे में बच्चों को जानकारी दी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
जिला शिक्षा अधिकारियों को इन आदेशों के तहत कार्यक्रम करने के निर्देश दिए तो उन्ही आदेशों को जिला शिक्षा अधिकारी ने पृष्ठांकित कर सभी संस्था प्रधानों को इसकी अक्षरश: पालना के निर्देश देकर अपने कर्तव्यों को पूरा कर लिया।
कोई स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण कई संस्था प्रधानों ने बाल दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए तो कई स्कूलों के ताले भी नहीं खुले।
कलेण्डर में अवकाश
शिक्षा विभाग के शिविरा कलेण्डर में पहले से ही 14 नवंबर को गुरुनानक जयंती का अवकाश घोषित किया जा चुका था तथा बाल दिवस पर उत्सव आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही उत्सव के दिन अवकाश होने पर उसे एक दिन पूर्व अथवा बाद में मनाए जाने के आदेश पहले से ही लागू हैं।
समन्वय का अभाव
शिक्षाविदों का कहना है कि बाल अधिकारिता विभाग द्वारा सीधे ही जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों में 14 नवंबर को कार्यक्रम आयोजित करने, ग्राम बाल सभाओं का आयोजन करने के निर्देश देना उचित नहीं है।
शिक्षा विभाग की स्कूलों का संचालन शिविरा कलेण्डर के अनुसार होता है एेसे में स्कूलों में किसी भी तरह के आयोजन के लिए अन्य विभागों को सीधे जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश नहीं देने चाहिए।
फिर रहेगा असंमजस
20 नवंबर को अन्तर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस मनाया जाना है। इस दिन स्कूलों में रविवार का अवकाश है एेसे में शिक्षा निदेशक की ओर से संस्था प्रधानों को स्पष्ट निर्देश अभी तक नहंी मिले है। जिससे संस्था प्रधान असमंजस की स्थिति में है।
विभिन्न प्रतियोगिताएं
नायकों मोहल्ला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के संस्था प्रधान राजूराम ने बताया कि श्रुत लेख व सुलेख प्रतियोगिताओं में क्रमश: प्रकाश नायक व साधना प्रथम, दौड़ में राहुल व बालिका दौड़ में सोनू नायक प्रथम रही।
मुख्य अतिथि मांगीलाल भद्रवाल व अध्यक्ष ताराचंद जावा रहे।वक्ताओं ने पंडित नेहरू के बारे में बच्चों को जानकारी दी।
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