बीकानेर । सरकार शिक्षा के बढावे के लिए अनेक योजना व कार्यक्रम चलाकर अच्छी शिक्षा देने के लिए गांव- गांव और ढाणी- ढाणी स्कूल खोल रही है लेकिन सोनियासर गांव की पहाडज़ी का चेनाणिया ढाणी के ग्रामीणों के लिए यह सब कागजी योजना सिद्ध हो रही है।
ग्रामीणों के प्रयासों से वर्ष 2013 में ढाणी में प्राथमिक विद्यालय तो खोल दिया गया, अच्छा खासा भवन भी बना दिया गया लेकिन अप्रेल 2016 के बाद स्कूल का ताला नही खुला है।
विद्यालय में एक भी अध्यापक नियुक्त नहीं है। यहां पर बच्चे बस्ता लेकर आते हैं और स्वयं ही पढ़ कर घर लौट जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार अपे्रल में शिक्षा सत्र पूर्ण हुआ था। इसके बाद यहां पर कोई अध्यापक नहीं आया। विद्यालय को ताला लगा हुआ है।
चार किलोमीटर की परिधि में कोई विद्यालय नहीं है। बच्चे घर से बस्ता लेकर आते हैं और अपने स्तर पर थोड़ा बहुत पढ़ कर लौट जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार ना तो गुरूजी आते है ना ही पोषाहार बनता है। स्कूल के सभी कमरों के ताला लगा होने के कारण बच्चे खुले में बैठकर स्वयं ही कुछ समय पढाई करने के बाद धीरे-धीरे अपने स्तर पर घर लौट जाते हैं।
पदोन्नति के बाद नया नियुक्त करना भूले
ग्रामीण शंकरलाल कस्वां ने बताया कि ढाणी में एकमात्र प्राथमिक विद्यालय है और यह भी इस सत्र से बंद पड़ा है।
आसपास भी पढ़ाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। बताया जा रहा है गत शिक्षा सत्र में एक अध्यापक ईमरता लाल नियुक्त था और उनका पदोन्नति पर स्थानान्तरण हो गया, इसके बाद किसी की नियुक्ति करना ही शिक्षा विभाग भूल गया।
अध्यापक की हो गई पदोन्नति
नोडल अधिकारी रामखिलाड़ी मीणा के अनुसार विद्यालय में गत शिक्षा सत्र में 64 बच्चों का नामाकन है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ग्रामीणों के प्रयासों से वर्ष 2013 में ढाणी में प्राथमिक विद्यालय तो खोल दिया गया, अच्छा खासा भवन भी बना दिया गया लेकिन अप्रेल 2016 के बाद स्कूल का ताला नही खुला है।
विद्यालय में एक भी अध्यापक नियुक्त नहीं है। यहां पर बच्चे बस्ता लेकर आते हैं और स्वयं ही पढ़ कर घर लौट जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार अपे्रल में शिक्षा सत्र पूर्ण हुआ था। इसके बाद यहां पर कोई अध्यापक नहीं आया। विद्यालय को ताला लगा हुआ है।
चार किलोमीटर की परिधि में कोई विद्यालय नहीं है। बच्चे घर से बस्ता लेकर आते हैं और अपने स्तर पर थोड़ा बहुत पढ़ कर लौट जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार ना तो गुरूजी आते है ना ही पोषाहार बनता है। स्कूल के सभी कमरों के ताला लगा होने के कारण बच्चे खुले में बैठकर स्वयं ही कुछ समय पढाई करने के बाद धीरे-धीरे अपने स्तर पर घर लौट जाते हैं।
पदोन्नति के बाद नया नियुक्त करना भूले
ग्रामीण शंकरलाल कस्वां ने बताया कि ढाणी में एकमात्र प्राथमिक विद्यालय है और यह भी इस सत्र से बंद पड़ा है।
आसपास भी पढ़ाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। बताया जा रहा है गत शिक्षा सत्र में एक अध्यापक ईमरता लाल नियुक्त था और उनका पदोन्नति पर स्थानान्तरण हो गया, इसके बाद किसी की नियुक्ति करना ही शिक्षा विभाग भूल गया।
अध्यापक की हो गई पदोन्नति
नोडल अधिकारी रामखिलाड़ी मीणा के अनुसार विद्यालय में गत शिक्षा सत्र में 64 बच्चों का नामाकन है।
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