विष्णु शर्मा/ जयपुर । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मंगलवार सुबह एक
ओर जहां पूरा विश्व योगा करने में लगा हुआ था, वहीं सरकारी स्कूलों में
ताला योग हो रहा था। जी हां, विश्व योगा दिवस पर सांगानेर क्षेत्र की कुछ
स्कूलों में ताले लगे हुए थे और बच्चे बाहर फुटपाथ पर इंतज़ार में बैठे हुए
थे। वहीं दूसरी ओर कुछ सरकारी स्कूलों में योगा के नाम पर महज खानापूर्ति
हुई।
दरअसल, विश्व योगा दिवस पर स्कूल, कॉलेज, पुलिस थानों सहित कई जगहों पर सामूहिक रूप से योगा करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन ज़मीनी हकीकत चौंकाने वाली थी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संवाददाता ने जिन सरकारी स्कूलों का जायज़ा लिया उनकी तस्वीर कुछ अलग ही नज़ारा पेश कर रही थी।
ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए संवावदाता मंगलवार सुबह सांगानेर स्थित सरकारी स्कूलों में पहुंचा। यहां के कुछ स्कूलों के गेट पर तो ताले लगे हुए थे। जो कुछ खुले भी थे उनमें भी योगा के नाम पर खानापूर्ति ज्यादा दिखाई दी। स्कूलों में सुबह साढ़े 6 बजे से लेकर साढ़े 9 बजे तक योग करने के निर्देश दिए गए थे।
स्कूल पर ताला, टीचर का नहीं अता-पता
सभी जगह योगा करने का समय सुबह साढ़े बजे से था, लेकिन विश्व योग दिवस के दिन ही सांगानेर सिंधी कॉलोनी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में सुबह 7.50 बजे तक ताला लगा हुआ था। दो-तीन बच्चे बस्ता लिए बाहर खड़े दिखाई दिए। पूछने पर बताया गया कि अभी स्कूल नहीं खुला है। मैडम आई थी, कहीं चली गई है, पता नहीं कब आएगी। योगा के बारे में पूछने एक अन्य छात्र ने कहा कि हमारे यहां तो रोज ही योगा कराया जाता है। इस दौरान मिड डे मील वाला वाहन भी आया, लेकिन उसे भी जाना पड़ा।
योग हुआ, लेकिन खानापूर्ति ज्यादा
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ओल्ड सांगानेर में करीब 8 बजे बच्चे व टीचर योगा कर रहे थे, लेकिन उनकी उपस्थिति की बात की जाए तो, बहुत कम थी। योगा करने वालों की संख्या स्कूल में मौजूदा बच्चों की तुलना में 10 प्रतिशत भी बच्चे नहीं थे। इसके बाद भी स्कूल में बच्चे आ रहे थे।
फुटपाथ पर बैठ, किया ताला खुलने का इंतजार
स्कूल के गेट पर लगे ताले और फुटपाथ पर बैठे बच्चों को देखकर एेसा लग रहा था, मानों जैसे सरकारी विद्यालयों को आदेशों की परवाह ही नहीं। एेसा ही एक नजारा राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय सांगानेर में देखने को मिला, जहां करीब आठ बजे स्कूल पर ताला लगा हुआ था। इधर ताला खुलने के इंतजार में स्कूली पोशाक में छोटी-छोटी बच्चियां स्कूल के सामने दुकानों के बाहर फुटपाथ पर बैठी हुई थी।
सातवीं कक्षा की छात्रा नेहा ने बताया कि मेडम ने सुबह 7 बजे के लिए बोला था, योग के लिए, लेकिन अब तक नहीं आई। अब पता नहीं कब ताला खुलेगा।
स्कूल मर्ज, बच्चों को पता नहीं
संवाददाता जब सांगानेर के राजकीय उच्च प्राथमिक शिवबाड़ी पहुंचा तो वहां मंदिर परिसर में दो-तीन बच्चे बैठे हुए थे,जबकि कमरों पर ताला लगा हुआ था। पूछने पर बताया कि आज ही स्कूल खुला है, योग दिवस का पता नहीं। वहीं नजदीक ही स्कूल की कुछ बालिकाएं बैठी बतिया रही थी। आठवीं कक्षा की छात्रा बेबी वर्मा ने कहा कि मेडम पांच सेक्टर स्कूल गई है और योग के लिए वहीं बुलाया था, लेकिन दूर होने से हम नहीं गए। स्कूल के ताले क्यों नहीं खुले हमें पता नहीं।
इन स्कूलों में हुई खानापूर्ति के बेसह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तथा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में योग जरूर हुआ, लेकिन यहां विद्यार्थियों की कुल संख्या के मुकाबले बहुत कम ने योगा में भाग लिया। इन स्कूलों में विघार्थियों की संख्या करीब दो हज़ार बताई जा रही है, लेकिन स्कूलों के ग्राउंड को देखने के बाद हकीकत तो कुछ और सामने आई।
वहीं बालिका स्कूल की बात करें तो हालत यह थी कि यहां बालिकाओं की तुलना में टीचरों की संख्या ज्यादा नजर आ रही थी।
58 मिनट करने थे योग-प्राणायाम
शिक्षा विभाग की ओर से योग कार्यक्रम का शिड्यूल जारी किया गया था। इसमें दस चरणों में योगा एवं प्राणायाम करना बताया गया था। इनमें प्रत्येक के लिए एक से तीन मिनट का समय निर्धारित किया गया था।
इनका कहना है
''ऐसा नहीं हो सकता। 12 वर्ष तक के उम्र के बच्चों व अध्यापकों को स्टेडियम में जाना था, इसलिए ताले लगे होंगे। बच्चे कैसे आए दिखवाता हूं। '' - जीवन शंकर शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक), जयपुर।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
दरअसल, विश्व योगा दिवस पर स्कूल, कॉलेज, पुलिस थानों सहित कई जगहों पर सामूहिक रूप से योगा करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन ज़मीनी हकीकत चौंकाने वाली थी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संवाददाता ने जिन सरकारी स्कूलों का जायज़ा लिया उनकी तस्वीर कुछ अलग ही नज़ारा पेश कर रही थी।
ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए संवावदाता मंगलवार सुबह सांगानेर स्थित सरकारी स्कूलों में पहुंचा। यहां के कुछ स्कूलों के गेट पर तो ताले लगे हुए थे। जो कुछ खुले भी थे उनमें भी योगा के नाम पर खानापूर्ति ज्यादा दिखाई दी। स्कूलों में सुबह साढ़े 6 बजे से लेकर साढ़े 9 बजे तक योग करने के निर्देश दिए गए थे।
स्कूल पर ताला, टीचर का नहीं अता-पता
सभी जगह योगा करने का समय सुबह साढ़े बजे से था, लेकिन विश्व योग दिवस के दिन ही सांगानेर सिंधी कॉलोनी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में सुबह 7.50 बजे तक ताला लगा हुआ था। दो-तीन बच्चे बस्ता लिए बाहर खड़े दिखाई दिए। पूछने पर बताया गया कि अभी स्कूल नहीं खुला है। मैडम आई थी, कहीं चली गई है, पता नहीं कब आएगी। योगा के बारे में पूछने एक अन्य छात्र ने कहा कि हमारे यहां तो रोज ही योगा कराया जाता है। इस दौरान मिड डे मील वाला वाहन भी आया, लेकिन उसे भी जाना पड़ा।
योग हुआ, लेकिन खानापूर्ति ज्यादा
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ओल्ड सांगानेर में करीब 8 बजे बच्चे व टीचर योगा कर रहे थे, लेकिन उनकी उपस्थिति की बात की जाए तो, बहुत कम थी। योगा करने वालों की संख्या स्कूल में मौजूदा बच्चों की तुलना में 10 प्रतिशत भी बच्चे नहीं थे। इसके बाद भी स्कूल में बच्चे आ रहे थे।
फुटपाथ पर बैठ, किया ताला खुलने का इंतजार
स्कूल के गेट पर लगे ताले और फुटपाथ पर बैठे बच्चों को देखकर एेसा लग रहा था, मानों जैसे सरकारी विद्यालयों को आदेशों की परवाह ही नहीं। एेसा ही एक नजारा राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय सांगानेर में देखने को मिला, जहां करीब आठ बजे स्कूल पर ताला लगा हुआ था। इधर ताला खुलने के इंतजार में स्कूली पोशाक में छोटी-छोटी बच्चियां स्कूल के सामने दुकानों के बाहर फुटपाथ पर बैठी हुई थी।
सातवीं कक्षा की छात्रा नेहा ने बताया कि मेडम ने सुबह 7 बजे के लिए बोला था, योग के लिए, लेकिन अब तक नहीं आई। अब पता नहीं कब ताला खुलेगा।
स्कूल मर्ज, बच्चों को पता नहीं
संवाददाता जब सांगानेर के राजकीय उच्च प्राथमिक शिवबाड़ी पहुंचा तो वहां मंदिर परिसर में दो-तीन बच्चे बैठे हुए थे,जबकि कमरों पर ताला लगा हुआ था। पूछने पर बताया कि आज ही स्कूल खुला है, योग दिवस का पता नहीं। वहीं नजदीक ही स्कूल की कुछ बालिकाएं बैठी बतिया रही थी। आठवीं कक्षा की छात्रा बेबी वर्मा ने कहा कि मेडम पांच सेक्टर स्कूल गई है और योग के लिए वहीं बुलाया था, लेकिन दूर होने से हम नहीं गए। स्कूल के ताले क्यों नहीं खुले हमें पता नहीं।
इन स्कूलों में हुई खानापूर्ति के बेसह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तथा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में योग जरूर हुआ, लेकिन यहां विद्यार्थियों की कुल संख्या के मुकाबले बहुत कम ने योगा में भाग लिया। इन स्कूलों में विघार्थियों की संख्या करीब दो हज़ार बताई जा रही है, लेकिन स्कूलों के ग्राउंड को देखने के बाद हकीकत तो कुछ और सामने आई।
वहीं बालिका स्कूल की बात करें तो हालत यह थी कि यहां बालिकाओं की तुलना में टीचरों की संख्या ज्यादा नजर आ रही थी।
58 मिनट करने थे योग-प्राणायाम
शिक्षा विभाग की ओर से योग कार्यक्रम का शिड्यूल जारी किया गया था। इसमें दस चरणों में योगा एवं प्राणायाम करना बताया गया था। इनमें प्रत्येक के लिए एक से तीन मिनट का समय निर्धारित किया गया था।
इनका कहना है
''ऐसा नहीं हो सकता। 12 वर्ष तक के उम्र के बच्चों व अध्यापकों को स्टेडियम में जाना था, इसलिए ताले लगे होंगे। बच्चे कैसे आए दिखवाता हूं। '' - जीवन शंकर शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक), जयपुर।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC