हंगामे के बीच पारित हो गए एसबीसी-ईबीसी आरक्षण बिल, रह गई त्रुटि
जयपुर। विधानसभा में हंगामे के बीच बिना बहस के चार विधेयक पारित कर दिए गए। गुर्जर सहित चार जातियों को एसबीसी में 5 फीसदी आरक्षण के लिए विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पारित किया गया। गरीब सवर्णों को 14 फीसदी आरक्षण देने के लिए आर्थिक पिछड़ा आरक्षण विधेयक भी बिना बहस पारित कर दिया गया।
एसबीसी और ईबीसी के आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए दोनों के लिए अलग अलग संकल्प विधानसभा में पारित किए गए। इन दोनों शासकीय संकल्पों को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। अगर एसबीसी और ईबीसी का आरक्षण संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाता है तो इस पर कोर्ट में रोक नहीं लग सकेगी।
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जयपुर। विधानसभा में हंगामे के बीच बिना बहस के चार विधेयक पारित कर दिए गए। गुर्जर सहित चार जातियों को एसबीसी में 5 फीसदी आरक्षण के लिए विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पारित किया गया। गरीब सवर्णों को 14 फीसदी आरक्षण देने के लिए आर्थिक पिछड़ा आरक्षण विधेयक भी बिना बहस पारित कर दिया गया।
एसबीसी और ईबीसी के आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए दोनों के लिए अलग अलग संकल्प विधानसभा में पारित किए गए। इन दोनों शासकीय संकल्पों को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। अगर एसबीसी और ईबीसी का आरक्षण संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाता है तो इस पर कोर्ट में रोक नहीं लग सकेगी।
इसके अलावा विधानसभा में हंगामे के बीच बिना चर्चा दो और विधेयक पारित किए
गए। 247 आउटडेटेड कानूनों को खत्म करने के लिए राजस्थान विधियां निरसन
विधेयक पारित कर दिया गया। इन विधेयकों को पारित करने के बाद अनुपूरक
अनुदान की मांगे पारित करवाई गई। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही
अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
एसबीसी विधेयक को खामी दूर किए बिना ही कर दिया पारित
वहीं हुआ जिसका अंदेशा था। एसबीसी विधेयक में वहीं गलती रह गई जो मीणा और मीना में है। एसबीसी विधेयक में देवासी की जगह देबासी लिखा हुआ ही विधानसभा से पारित हो गया। कांग्रेस विधायक सुखराम बिश्नोई ने देबासी की जगह देवासी करने का संशोधन भी दिया था, लेकिन हंगामे के बीच बिना बहस बिल पारित करवा दिया गया और संशोधन पर विचार ही नहीं किया।
गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भी माना है कि एसबीसी बिल में गलती रह गई है,देवासी लिखकर देबासी ब्रेकेट में होना चाहिए था। इस गलती को अब संशोधन विधेयक लाकर ठीक किया जाएगा। आपको बता दें, यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि समय रहते सरकार को गलती का पता लग गया था लेकिन फिर भी इस खामी को दूर नहीं किया गया। जिम्मेदार मंत्रियों को सब पता था लेकिन फिर भी गलती को नहीं सुधारा गया।
एसबीसी विधेयक को खामी दूर किए बिना ही कर दिया पारित
वहीं हुआ जिसका अंदेशा था। एसबीसी विधेयक में वहीं गलती रह गई जो मीणा और मीना में है। एसबीसी विधेयक में देवासी की जगह देबासी लिखा हुआ ही विधानसभा से पारित हो गया। कांग्रेस विधायक सुखराम बिश्नोई ने देबासी की जगह देवासी करने का संशोधन भी दिया था, लेकिन हंगामे के बीच बिना बहस बिल पारित करवा दिया गया और संशोधन पर विचार ही नहीं किया।
गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भी माना है कि एसबीसी बिल में गलती रह गई है,देवासी लिखकर देबासी ब्रेकेट में होना चाहिए था। इस गलती को अब संशोधन विधेयक लाकर ठीक किया जाएगा। आपको बता दें, यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि समय रहते सरकार को गलती का पता लग गया था लेकिन फिर भी इस खामी को दूर नहीं किया गया। जिम्मेदार मंत्रियों को सब पता था लेकिन फिर भी गलती को नहीं सुधारा गया।
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