जयपुर। शिक्षा विभाग की नीतियों के खिलाफ प्रदेशभर से हजारों शिक्षक उद्योग मैदान पर उमड़ पड़े। इन शिक्षकों ने स्कूलों में समय बढ़ोतरी, स्टाफिंग पैटर्न, निजीकरण सहित कई मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए।
करीब 32 से अधिक शिक्षक संगठनों ने सरकार को चेताया कि उनकी मांगें नहीं मानी तो अगले माह प्रदेशभर में लाखों शिक्षक धरना-प्रदर्शन करेंगे। आक्रोशित शिक्षकों ने राज्य सरकार व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ जमकर भड़ांस निकाली। राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में सबसे पहले मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान शिक्षकों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद शिक्षकों ने सीएम आवास के घेराव करने के ऐलान कर दिया।
इस ऐलान के बाद पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। इन अधिकारियों ने शिक्षक नेताओं से समझाइश कर उन्हें शासन सचिवालय में ही सरकार के प्रतिनिधि से वार्ता कराने का भरोसा दिलाया। सचिवालय में मुख्य सचिव को ज्ञापन दिया मगर इससे शिक्षक संगठन संतुष्ट नहीं हुए। शिष्टमण्डल ने सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर सचिवालय या सिविल लाईन फाटक के लिये कूच करने के लिये तैयार रहने की घोषणा कर दी। तत्पश्चात् प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मूलचन्द गुर्जर के नेतृत्व में दस सदस्यीय शिष्टमण्डल ने संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ से मिलकर वार्ता की। इसके उपरान्त शिष्टमण्डल ने उद्योग मैदान पहुंचकर वार्ता सकारात्मक होना बताया। इस पर सभी विसर्जित होना प्रारम्भ हो गये। उद्योग मैदान पर भारी पुलिस जाब्ते की तैनाती के कारण शिक्षकों ने भाजपा कार्यालय या सीएम आवास के घेराव की हिम्मत नहीं जुटाई। इस प्रदर्शन के लिए सुबह से ही राज्यभर से बसों के जरिए शिक्षकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। दोपहर होते होते तो पांडाल छोटा पड़ गया और शिक्षकों को बाहर खड़े रहना पड़ा। शिक्षा विभाग की नीतियों के खिलाफ शिक्षकों में इस कदर आक्रोश था कि बारिश भी उनके जोश को दबा नहीं पाई और शिक्षकों ने भीगते हुए ही प्रदर्शन किया। शिक्षकों की भीड़ को देखते हुए पुलिस को उद्योग मैदान के सामने वाले रास्ते से ट्रेफिक का आवागमन बंद करना पड़ा। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार शिक्षकों की ताकत को कम आंकने की भूल नहीं करे। आने वाले निकाय चुनाव में वे इसके परिणाम को भुगतने के लिए तैयार रहे। मोर्चा के प्रवक्ता विपिन प्रकाश शर्मा, नारायण सिंह, गिरिश शर्मा ने कहा कि सरकार प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को नजर अंदाज कर समय बढ़ा रही है, इसे वापस ले। नए स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर स्कूलों से पद खत्म किए जा रहे हैं। शिक्षकों पर तबादले की तलवार लटक रही है। इस पैटर्न को बंद करे। स्कूलों में भौतिक सुविधाओं का अभाव है। राज्य में अब तक तबादला नीति ही नहीं बनी। इससे तबादला उद्योग पनपता जा रहा है। प्रतिबंधित जिलों से 17 सालों से तबादलों पर बैन लगा है। वहां 15 हजार शिक्षक परेशान हो रहे हैं। तबादला नीति बनाए और इन शिक्षकों को राहत दे। उन्होंने सरकार के सामने 7 सूत्री मांगपत्र रखा है।
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करीब 32 से अधिक शिक्षक संगठनों ने सरकार को चेताया कि उनकी मांगें नहीं मानी तो अगले माह प्रदेशभर में लाखों शिक्षक धरना-प्रदर्शन करेंगे। आक्रोशित शिक्षकों ने राज्य सरकार व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ जमकर भड़ांस निकाली। राजस्थान शिक्षा एवं शिक्षक बचाओ संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में सबसे पहले मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान शिक्षकों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद शिक्षकों ने सीएम आवास के घेराव करने के ऐलान कर दिया।
इस ऐलान के बाद पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। इन अधिकारियों ने शिक्षक नेताओं से समझाइश कर उन्हें शासन सचिवालय में ही सरकार के प्रतिनिधि से वार्ता कराने का भरोसा दिलाया। सचिवालय में मुख्य सचिव को ज्ञापन दिया मगर इससे शिक्षक संगठन संतुष्ट नहीं हुए। शिष्टमण्डल ने सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर सचिवालय या सिविल लाईन फाटक के लिये कूच करने के लिये तैयार रहने की घोषणा कर दी। तत्पश्चात् प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मूलचन्द गुर्जर के नेतृत्व में दस सदस्यीय शिष्टमण्डल ने संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ से मिलकर वार्ता की। इसके उपरान्त शिष्टमण्डल ने उद्योग मैदान पहुंचकर वार्ता सकारात्मक होना बताया। इस पर सभी विसर्जित होना प्रारम्भ हो गये। उद्योग मैदान पर भारी पुलिस जाब्ते की तैनाती के कारण शिक्षकों ने भाजपा कार्यालय या सीएम आवास के घेराव की हिम्मत नहीं जुटाई। इस प्रदर्शन के लिए सुबह से ही राज्यभर से बसों के जरिए शिक्षकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। दोपहर होते होते तो पांडाल छोटा पड़ गया और शिक्षकों को बाहर खड़े रहना पड़ा। शिक्षा विभाग की नीतियों के खिलाफ शिक्षकों में इस कदर आक्रोश था कि बारिश भी उनके जोश को दबा नहीं पाई और शिक्षकों ने भीगते हुए ही प्रदर्शन किया। शिक्षकों की भीड़ को देखते हुए पुलिस को उद्योग मैदान के सामने वाले रास्ते से ट्रेफिक का आवागमन बंद करना पड़ा। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार शिक्षकों की ताकत को कम आंकने की भूल नहीं करे। आने वाले निकाय चुनाव में वे इसके परिणाम को भुगतने के लिए तैयार रहे। मोर्चा के प्रवक्ता विपिन प्रकाश शर्मा, नारायण सिंह, गिरिश शर्मा ने कहा कि सरकार प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को नजर अंदाज कर समय बढ़ा रही है, इसे वापस ले। नए स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर स्कूलों से पद खत्म किए जा रहे हैं। शिक्षकों पर तबादले की तलवार लटक रही है। इस पैटर्न को बंद करे। स्कूलों में भौतिक सुविधाओं का अभाव है। राज्य में अब तक तबादला नीति ही नहीं बनी। इससे तबादला उद्योग पनपता जा रहा है। प्रतिबंधित जिलों से 17 सालों से तबादलों पर बैन लगा है। वहां 15 हजार शिक्षक परेशान हो रहे हैं। तबादला नीति बनाए और इन शिक्षकों को राहत दे। उन्होंने सरकार के सामने 7 सूत्री मांगपत्र रखा है।
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