बॉर्डरके पास स्थित गांवों में सरकार ने शिक्षा के प्रचार प्रसार उपलब्धता
के लिए विद्यालयों को क्रमोन्नत तो कर दिया लेकिन मूलभूत सुविधाएं अभी भी
उपलब्ध नहीं हो पाई है। राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय सरूपे का तला,
बींजासर गौहड़ का तला में पदरिक्तता, विद्यालय भवन की कमी सहित अन्य
मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण यहां के विद्यार्थियों को पढ़ाई में
परेशानी हो रही है।
विषयाध्यापकों की कमी के कारण पाठ्यक्रम भी अधूरा पड़ा है। परीक्षाएं नजदीक होने के कारण पढ़ाई को लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। इन विद्यालय में गिना चुना स्टाफ होने के कारण उन्हें ही सभी विषयों का अध्ययन करवाना पड़ता है। ऐसे में कई विषयों का कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा है। सरकार ने स्कूलों को आदर्श का दर्जा तो दे दिया लेकिन सुविधाएं के बराबर है। भास्कर संवाददाता ने बॉर्डर की इन स्कूलों में पहुंचकर विद्यार्थियों अध्यापकों से बात की तो कई समस्याएं सामने आई।
इस विद्यालय का भवन 1965 में बना हुआ है। उसके बाद सिर्फ दो कमरों का निर्माण हुआ है। पूरे विद्यालय का भवन जर्जर हाल में पहुंच गया है। बरसात के दौरान पूरी स्कूल की छत से पानी टपकता है। उस दौरान अगर ज्यादा बरसात होती है तो स्कूल में अवकाश रखना पड़ता है। यह विद्यालय चौहटन विधायक ने गोद ले रखा है। बावजूद इसके यहां पर सुविधाएं छात्राओं का नामांकन बहुत कम है। यहां कुल नामांकन 459 है। कक्षा नौ से बारह तक 15 छात्राओं का ही नामांकन है। आवागमन की सुविधा के अभाव में बालिकाओं का नामांकन कम है। विद्यालय के लिए 21 पद स्वीकृत है, जिनमें से 10 पद रिक्त है। खेल मैदान के चार दीवारी नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने बीच में से रास्ता निकाल दिया है। ऐसे में बच्चों के खेलने में असुविधा रहती है। रमसा से नए कमरों की डिमांड भेजी है, जिनमें 4 कमरे ही आगामी स्वीकृति के लिए तय हुए है। विद्यालय में लाइब्रेरी की व्यवस्था नहीं है। कमरों की कमी जर्जर हाल सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है।
विद्यालय में 542 का नामांकन है। जिनमें 240 बालिकाएं है। कुल स्वीकृत 24 पदों में से 13 पद भरे हुए है और 12 खाली है। लिपिक की नियुक्ति नहीं होने के कारण लिपिकीय कार्य अध्यापकों को ही करने पड़ते है। विद्यालय में भवन की कमी है। पुराने भवन में 11 कमरे बने हुए है। जिनमें लैब, प्रधानाचार्य स्टाफ कक्ष, लाइब्रेरी, परीक्षा प्रभारी कक्ष आदि के संचालन के बाद पीछे बचे कमरों में कक्षाएं लगती है। ऐसे में कई कक्षाएं खुले में लगती है। विद्यालय में विषयाध्यापकों की कमी के कारण पढाई प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग को रिक्त पदों की डिमांड भेज रखी है लेकिन अध्यापक उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे है। रमसा से जुलाई में 7 नए कमरे निर्माण की विद्यालय की ओर से डिमांड की गई है। इसको लेक ग्रामीणों सहित विद्यार्थियों ने स्कूल में अध्यापक भवन के लिए मांग कर चुके है। लेकिन आश्वासन ही मिलता है, कार्रवाई कुछ नहीं होती।
इस विद्यालय में कुल 21 पद स्वीकृत है, जिनमें से प्रधानाचार्य सहित 13 पद रिक्त है। 8 पद ही भरे हुए है। विद्यालय में विषयाध्यापकों, एलडीसी सहित अन्य कई पद खाली पड़े है। विद्यालय में 263 छात्र 144 छात्राओं का नामांकन है। विद्यालय में स्थि खेल मैदान से होकर विद्युत लाइन जा रही है। खेल मैदान के बीचो बीच तीन विद्युत पोल लगे हुए है लेकिन इसके हटाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। विद्यालय में लिपिक की नियुक्ति नहीं होने के कारण लिपिक के सारे कार्य अध्यापकों को ही देखने पड़ते है, ऐसे में एक अध्यापक पूरे दिन लिपिक के कार्य में ही व्यस्त रहते है। कार्यवाहक प्रधानाचार्य अमोलखराम द्रविड़ ने बताया कि रिक्त पदों की सूचना शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजी गई है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कम्प्यूटर शिक्षा को लेकर विद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है। कम्प्यूटर शिक्षण व्यवस्था शुरू ही नहीं हुई है। ही विद्यालय में कम्प्यूटर है। पोषाहार को लेकर यहां पर चार माह से भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में अब सामग्री के लिए भी दुकानदार ने मना कर दिया है।
विषयाध्यापकों की कमी के कारण पाठ्यक्रम भी अधूरा पड़ा है। परीक्षाएं नजदीक होने के कारण पढ़ाई को लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। इन विद्यालय में गिना चुना स्टाफ होने के कारण उन्हें ही सभी विषयों का अध्ययन करवाना पड़ता है। ऐसे में कई विषयों का कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा है। सरकार ने स्कूलों को आदर्श का दर्जा तो दे दिया लेकिन सुविधाएं के बराबर है। भास्कर संवाददाता ने बॉर्डर की इन स्कूलों में पहुंचकर विद्यार्थियों अध्यापकों से बात की तो कई समस्याएं सामने आई।
इस विद्यालय का भवन 1965 में बना हुआ है। उसके बाद सिर्फ दो कमरों का निर्माण हुआ है। पूरे विद्यालय का भवन जर्जर हाल में पहुंच गया है। बरसात के दौरान पूरी स्कूल की छत से पानी टपकता है। उस दौरान अगर ज्यादा बरसात होती है तो स्कूल में अवकाश रखना पड़ता है। यह विद्यालय चौहटन विधायक ने गोद ले रखा है। बावजूद इसके यहां पर सुविधाएं छात्राओं का नामांकन बहुत कम है। यहां कुल नामांकन 459 है। कक्षा नौ से बारह तक 15 छात्राओं का ही नामांकन है। आवागमन की सुविधा के अभाव में बालिकाओं का नामांकन कम है। विद्यालय के लिए 21 पद स्वीकृत है, जिनमें से 10 पद रिक्त है। खेल मैदान के चार दीवारी नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने बीच में से रास्ता निकाल दिया है। ऐसे में बच्चों के खेलने में असुविधा रहती है। रमसा से नए कमरों की डिमांड भेजी है, जिनमें 4 कमरे ही आगामी स्वीकृति के लिए तय हुए है। विद्यालय में लाइब्रेरी की व्यवस्था नहीं है। कमरों की कमी जर्जर हाल सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है।
विद्यालय में 542 का नामांकन है। जिनमें 240 बालिकाएं है। कुल स्वीकृत 24 पदों में से 13 पद भरे हुए है और 12 खाली है। लिपिक की नियुक्ति नहीं होने के कारण लिपिकीय कार्य अध्यापकों को ही करने पड़ते है। विद्यालय में भवन की कमी है। पुराने भवन में 11 कमरे बने हुए है। जिनमें लैब, प्रधानाचार्य स्टाफ कक्ष, लाइब्रेरी, परीक्षा प्रभारी कक्ष आदि के संचालन के बाद पीछे बचे कमरों में कक्षाएं लगती है। ऐसे में कई कक्षाएं खुले में लगती है। विद्यालय में विषयाध्यापकों की कमी के कारण पढाई प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग को रिक्त पदों की डिमांड भेज रखी है लेकिन अध्यापक उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे है। रमसा से जुलाई में 7 नए कमरे निर्माण की विद्यालय की ओर से डिमांड की गई है। इसको लेक ग्रामीणों सहित विद्यार्थियों ने स्कूल में अध्यापक भवन के लिए मांग कर चुके है। लेकिन आश्वासन ही मिलता है, कार्रवाई कुछ नहीं होती।
इस विद्यालय में कुल 21 पद स्वीकृत है, जिनमें से प्रधानाचार्य सहित 13 पद रिक्त है। 8 पद ही भरे हुए है। विद्यालय में विषयाध्यापकों, एलडीसी सहित अन्य कई पद खाली पड़े है। विद्यालय में 263 छात्र 144 छात्राओं का नामांकन है। विद्यालय में स्थि खेल मैदान से होकर विद्युत लाइन जा रही है। खेल मैदान के बीचो बीच तीन विद्युत पोल लगे हुए है लेकिन इसके हटाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। विद्यालय में लिपिक की नियुक्ति नहीं होने के कारण लिपिक के सारे कार्य अध्यापकों को ही देखने पड़ते है, ऐसे में एक अध्यापक पूरे दिन लिपिक के कार्य में ही व्यस्त रहते है। कार्यवाहक प्रधानाचार्य अमोलखराम द्रविड़ ने बताया कि रिक्त पदों की सूचना शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजी गई है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कम्प्यूटर शिक्षा को लेकर विद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है। कम्प्यूटर शिक्षण व्यवस्था शुरू ही नहीं हुई है। ही विद्यालय में कम्प्यूटर है। पोषाहार को लेकर यहां पर चार माह से भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में अब सामग्री के लिए भी दुकानदार ने मना कर दिया है।
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