भास्कर संवाददाता | चित्तौड़गढ़ राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक
एवं तत्कालीन एडीएम सुरेशचंद्र ने कहा कि आगामी समय में सर्व शिक्षा अभियान
एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान दोनों परियोजनाओं की एक्टिविटी एक
बैनर तले संचालित तथा मानिटरिंग भी प्रभावी होगी। कारण दोनों परियोजनाओं के
एकीकरण की कवायद शुरू हो गई है।
यह बात उन्होंने शनिवार शाम को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। वे यहां पर एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद सांवलियाजी के लिए जा रहे थे। अति. परियोजना निदेशक सुरेशचंद्र ने कहा कि रमसा एवं सर्व शिक्षा दोनों परियोजनाएं देशभर में वर्तमान में अलग-अलग संचालित हो रही है। दोनों परियोजनाओं के अलग-अलग संचालन में कुछ तकलीफें रही है। इसलिए भारत सरकार इन दोनों परियोजनाओं का एकीकरण करने का निर्णय लिया है। यहां प्रदेश में इन दोनों परियोजनाओं के एकीकरण का प्रपोजल तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। उन्होंने एक सवाल में जवाब में बताया कि जब शिक्षा विभाग में आंगनबाड़ी से 12वीं तक की कक्षाएं एक साथ चल रही है, इसी तर्ज पर इन दोनों परियोजनाओं को एक करने की कवायद है ताकि एक एक ही बैनर के नीचे इन परियोजनाओं का संचालन और बेहतर हो सके। उन्होंने बताया कि चित्तौड़ जिले में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चल रहा उड़ान प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में देखा जा रहा है और अब तक हुए काम उदाहरण के रूप में पेश किए जा रहे हैं। संभवतया यह प्रोजेक्ट पूरे प्रदेश में भी लागू हो सकता है। रमसा एडीपीसी सत्यनारायण शर्मा, सर्व शिक्षा एडीपीसी राजेंद्र शर्मा, शारीरिक शिक्षक सुरेश शर्मा, कल्याणी दीक्षित, पारस टेलर ने अतिरिक्त निदेशक का स्वागत कर दोनों परियोजनाओं की प्रगति से अवगत कराया।
}यह भी प्रयास होने चाहिए
उन्होंनेकहा कि डीएमएफटी फंड का अधिक से अधिक मद शिक्षा पर खर्च हो। इसके लिए सभी को प्रयास करने चाहिए ताकि स्कूलों का अधिक से अधिक विकास हो।
विकसित जिलों की तरह ऐसी पहल यहां पर भी...
अति.निदेशक सुरेशचंद्र ने कहा कि प्रदेश के विकसित जिलों मेें मृत्यु भोज के स्थान पर उनके परिजनों द्वारा स्कूलों अथवा सार्वजनिक स्थानों पर निर्माण एवं अन्य विकास कार्य कराने की पहल हो रही है। ऐसे प्रयास इस जिले में होने चाहिए। इससे दो फायदे होंगे एक तो गांव के लोगों का स्कूलों से लगाव बढ़ेगा एवं दूसरा स्कूल के डवलपमेंट में सहयोग मिलेगा।
यह बात उन्होंने शनिवार शाम को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। वे यहां पर एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद सांवलियाजी के लिए जा रहे थे। अति. परियोजना निदेशक सुरेशचंद्र ने कहा कि रमसा एवं सर्व शिक्षा दोनों परियोजनाएं देशभर में वर्तमान में अलग-अलग संचालित हो रही है। दोनों परियोजनाओं के अलग-अलग संचालन में कुछ तकलीफें रही है। इसलिए भारत सरकार इन दोनों परियोजनाओं का एकीकरण करने का निर्णय लिया है। यहां प्रदेश में इन दोनों परियोजनाओं के एकीकरण का प्रपोजल तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। उन्होंने एक सवाल में जवाब में बताया कि जब शिक्षा विभाग में आंगनबाड़ी से 12वीं तक की कक्षाएं एक साथ चल रही है, इसी तर्ज पर इन दोनों परियोजनाओं को एक करने की कवायद है ताकि एक एक ही बैनर के नीचे इन परियोजनाओं का संचालन और बेहतर हो सके। उन्होंने बताया कि चित्तौड़ जिले में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चल रहा उड़ान प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में देखा जा रहा है और अब तक हुए काम उदाहरण के रूप में पेश किए जा रहे हैं। संभवतया यह प्रोजेक्ट पूरे प्रदेश में भी लागू हो सकता है। रमसा एडीपीसी सत्यनारायण शर्मा, सर्व शिक्षा एडीपीसी राजेंद्र शर्मा, शारीरिक शिक्षक सुरेश शर्मा, कल्याणी दीक्षित, पारस टेलर ने अतिरिक्त निदेशक का स्वागत कर दोनों परियोजनाओं की प्रगति से अवगत कराया।
}यह भी प्रयास होने चाहिए
उन्होंनेकहा कि डीएमएफटी फंड का अधिक से अधिक मद शिक्षा पर खर्च हो। इसके लिए सभी को प्रयास करने चाहिए ताकि स्कूलों का अधिक से अधिक विकास हो।
विकसित जिलों की तरह ऐसी पहल यहां पर भी...
अति.निदेशक सुरेशचंद्र ने कहा कि प्रदेश के विकसित जिलों मेें मृत्यु भोज के स्थान पर उनके परिजनों द्वारा स्कूलों अथवा सार्वजनिक स्थानों पर निर्माण एवं अन्य विकास कार्य कराने की पहल हो रही है। ऐसे प्रयास इस जिले में होने चाहिए। इससे दो फायदे होंगे एक तो गांव के लोगों का स्कूलों से लगाव बढ़ेगा एवं दूसरा स्कूल के डवलपमेंट में सहयोग मिलेगा।
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