आंदोलन की राह पर व्याख्याता : 5 अक्टूम्बर को जयपुर में होगी महारैली :- व्याख्याता पद पर पदोन्नत शिक्षको को मिले नवीन पद का वेतन। :- शिक्षा विभाग में हल ही में द्वितीय श्रेणी से पदोन्नति पर व्याख्याता बने शिक्षको को वेतन निर्धारण में विसंगति के कारण नव पदोंन्नत व्याख्याताओ को कम वेतन मिलेगा।
नव पदोंन्नत व्याख्याताओ को नवीन पद के अनुरूप 18750 न्यूनतम वेतन पर निर्धारण होना चाहिए। शिक्षा विभाग के वितीय सलाहकार,माध्यमिक शिक्षा,ने पदोंन्नति पर वेतन नियम 24 A के अनुसार निर्धारण करनेके लिए सभी उप निदेशक और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जार किये है।इस विसंगति के कारण नव पदोंन्नत व्याख्याताओ को लगभग 1900 रूपये प्रतिमाह का नुकसान हो रहा है।जबकि rpsc से नव चयनित व्याख्याताओ को 2 वर्ष बाद भी इनसे ज्यादा वेतन मिलेगा। इस विसंगति का मूल कारण वरिष्ठ अध्यापकों को नियुक्ति के समय उनका वास्तविक मूल वेतन 16290 न देकर वित्त विभाग की तकनीकी त्रुटि के कारण 14430 पर फिक्स कर दिया जिसके कारण वरिष्ठ अध्यापक व लेक्चरर के मूल वेतन में भारी अंतर रह गया। जबकि कि दो पदो के बीच इतना ही अंतर रहना चाहिए था जो पांच साल बाद तत्काल उच्च पद के न्यूनतम वेतन के बराबर हो जाये। इसकी वजह से नव पदोन्नत व्याख्याता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और ये श्रम कानून समान कार्य पर समान न्यूनतम वेतन तथा समानता के मौलिक अधिकारों का सीधा सीधा उल्लंघन है। लेक्चरर पदो पर 50% सीधी भर्ती व 50% विभागीय पदौन्नती होती है, भर्ती के तरीकों के आधार पर न्यूनतम वेतन में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। पांचवें वेतन आयोग तक यही व्यवस्था चली आ रही थी लेकिन अब इस नये नियम ने दुविधा उत्पन कर दी है। अधिकांश वेतन आहरण अधिकारी न्यूनतम वेतन पर स्थरीकरण कर भी कर चुके हैं लेकिन विभाग के इस तुगलकी फरमान ने नव पदोन्नत व्याख्याताओं की आशाओं पर पानी फेरते हुए वसूली के आदेश जारी कर दिये हैं जो कही से भी न्यायसंगत नहीं है
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
नव पदोंन्नत व्याख्याताओ को नवीन पद के अनुरूप 18750 न्यूनतम वेतन पर निर्धारण होना चाहिए। शिक्षा विभाग के वितीय सलाहकार,माध्यमिक शिक्षा,ने पदोंन्नति पर वेतन नियम 24 A के अनुसार निर्धारण करनेके लिए सभी उप निदेशक और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जार किये है।इस विसंगति के कारण नव पदोंन्नत व्याख्याताओ को लगभग 1900 रूपये प्रतिमाह का नुकसान हो रहा है।जबकि rpsc से नव चयनित व्याख्याताओ को 2 वर्ष बाद भी इनसे ज्यादा वेतन मिलेगा। इस विसंगति का मूल कारण वरिष्ठ अध्यापकों को नियुक्ति के समय उनका वास्तविक मूल वेतन 16290 न देकर वित्त विभाग की तकनीकी त्रुटि के कारण 14430 पर फिक्स कर दिया जिसके कारण वरिष्ठ अध्यापक व लेक्चरर के मूल वेतन में भारी अंतर रह गया। जबकि कि दो पदो के बीच इतना ही अंतर रहना चाहिए था जो पांच साल बाद तत्काल उच्च पद के न्यूनतम वेतन के बराबर हो जाये। इसकी वजह से नव पदोन्नत व्याख्याता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और ये श्रम कानून समान कार्य पर समान न्यूनतम वेतन तथा समानता के मौलिक अधिकारों का सीधा सीधा उल्लंघन है। लेक्चरर पदो पर 50% सीधी भर्ती व 50% विभागीय पदौन्नती होती है, भर्ती के तरीकों के आधार पर न्यूनतम वेतन में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। पांचवें वेतन आयोग तक यही व्यवस्था चली आ रही थी लेकिन अब इस नये नियम ने दुविधा उत्पन कर दी है। अधिकांश वेतन आहरण अधिकारी न्यूनतम वेतन पर स्थरीकरण कर भी कर चुके हैं लेकिन विभाग के इस तुगलकी फरमान ने नव पदोन्नत व्याख्याताओं की आशाओं पर पानी फेरते हुए वसूली के आदेश जारी कर दिये हैं जो कही से भी न्यायसंगत नहीं है
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