राजस्थान के जालोर जिले में सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के नाम हो रही धांधली को रोकने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से अच्छी पहल शुरू की गई है. अब मिड-डे मील व्यवस्था की मॉनिटरिंग सरकारी तंत्र के साथ ही एसएमएस के जरिए भी होगी.
हर रोज सरकारी स्कूलों में पोषाहार की रिपोर्ट एसएमएस के जरिए अध्यापक उच्च अधिकारियों को भेजेंगे.
प्रतिकात्मक तस्वीर.
वहीं, एसएमएस में कितने विद्यार्थी स्कूल में उपस्थित हैं और कितने विद्यार्थियों ने पोषाहार खाया जिसकी पूरी जानकारी एसएमएस में होगी. एसएमएस से मॉनिटरिंग से धांधली तो रुकेगी वहीं मॉनिटरिंग भी प्रभावी होगी. इस सत्र से जिलेभर के सभी राजकीय स्कूलों में एसएमएस का सिस्टम शुरू कर दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि मिड-डे मील कार्यक्रम राज्य के 73,199 से अधिक स्कूल में चल रहा है. सरकार आंकड़ों के मुताबिक इस कार्यक्रम से 62.50 लाख बच्चे लाभांवित हो रहे हैं.
क्या है मिड-डे मील योजना?
मिड-डे मील एक केंद्रीय प्रवृतित योजना के रूप में 15 अगस्त 1995 को पूरे देश में लागू की गई थी. इसके पश्चात सितम्बर 2004 में मिड-डे-मील कार्यक्रम में व्यापक परिवर्तन करते हुए मेन्यू आधारित पका हुआ गर्म भोजन देने की व्यवस्था प्रारम्भ की गई. वर्त्तमान में यह कार्यक्रम भारत सरकार के सहयोग से राज्य सरकार द्वारा राज्य के उच्च प्राथमिक स्तर तक के सभी राजकीय, अनुदानित, स्थानीय निकाय विभाग द्वारा संचालित, शिक्षा गारन्टी योजना, ए.आई.ई., एन.सी.एल.पी., मदरसा आदि में संचालित किया जा रहा है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण को बढावा देने, विद्यालयों में छात्रों के नामांकन एवं उपस्तिथि में वृद्धि, ड्रोप आउट को रोकना तथा सीखने के स्तर को बढावा देना मुख्य है.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
हर रोज सरकारी स्कूलों में पोषाहार की रिपोर्ट एसएमएस के जरिए अध्यापक उच्च अधिकारियों को भेजेंगे.
प्रतिकात्मक तस्वीर.
वहीं, एसएमएस में कितने विद्यार्थी स्कूल में उपस्थित हैं और कितने विद्यार्थियों ने पोषाहार खाया जिसकी पूरी जानकारी एसएमएस में होगी. एसएमएस से मॉनिटरिंग से धांधली तो रुकेगी वहीं मॉनिटरिंग भी प्रभावी होगी. इस सत्र से जिलेभर के सभी राजकीय स्कूलों में एसएमएस का सिस्टम शुरू कर दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि मिड-डे मील कार्यक्रम राज्य के 73,199 से अधिक स्कूल में चल रहा है. सरकार आंकड़ों के मुताबिक इस कार्यक्रम से 62.50 लाख बच्चे लाभांवित हो रहे हैं.
क्या है मिड-डे मील योजना?
मिड-डे मील एक केंद्रीय प्रवृतित योजना के रूप में 15 अगस्त 1995 को पूरे देश में लागू की गई थी. इसके पश्चात सितम्बर 2004 में मिड-डे-मील कार्यक्रम में व्यापक परिवर्तन करते हुए मेन्यू आधारित पका हुआ गर्म भोजन देने की व्यवस्था प्रारम्भ की गई. वर्त्तमान में यह कार्यक्रम भारत सरकार के सहयोग से राज्य सरकार द्वारा राज्य के उच्च प्राथमिक स्तर तक के सभी राजकीय, अनुदानित, स्थानीय निकाय विभाग द्वारा संचालित, शिक्षा गारन्टी योजना, ए.आई.ई., एन.सी.एल.पी., मदरसा आदि में संचालित किया जा रहा है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण को बढावा देने, विद्यालयों में छात्रों के नामांकन एवं उपस्तिथि में वृद्धि, ड्रोप आउट को रोकना तथा सीखने के स्तर को बढावा देना मुख्य है.
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