उदयवीरसिंह राजपुरोहित | पाली बात 1997 की है। छठी कक्षा में पढ़ रहे दिनेश विश्नोई को उसके दोस्त
दिलीप ने किसी बात पर ताना मारा। कहा- अगर इतना ही होशियार है तो 10वीं की
परीक्षा पास करके बता। यह बात दिनेश को इतनी चुभी कि उन्होंने उसी साल
स्टेट ओपन से सीधा 10वीं की परीक्षा दी और सफलता प्राप्त की।
इसके बाद विश्नोई को सफलता का ऐसा नशा चढ़ा कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। जाे भी परीक्षा दी उसमें उन्होंने कामयाबी हासिल की। मूलतः जोधपुर गुड़ा विश्नोई गांव के निवासी दिनेश पिछले 4 साल से पाली में ही रहते है। विश्नोई के पिता मोहनलाल किसान हैं जो गांव में खेती किसानी का काम करते हैं। दो भाई हैं, उनमें एक शिक्षक है तो दूसरा व्यवसायी। शेष|पेज11
दूसरेबच्चों को ट्यूशन करवाकर अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाते
अपने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी के साथ-साथ चंपालाल जीनगर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए बच्चों को ट्यूशन कोचिंग करवाते थे। साथ ही जो भी समय मिलता था, उसमें पढ़ाई भी करते थे। अपने 4 छोटे भाई-बहिनों में सबसे बड़े चंपालाल उनको भी पढ़ाते थे।
चुनौतियां हमेशा अच्छे लोगो के हिस्से में आती हैं - चंपालाल
आजकल के युवाओं में किसी भी परीक्षा को लेकर फोबिया बना हुआ है। लेकिन वास्तव में अगर सही तरीके लगन से मेहनत की जाए तो कोई भी परीक्षा में सफल हो सकते हैं। इसके लिए कोई भी परिस्थिति मायने नही रखती है। चुनौतियों से घबराना नही चाहिए, चुनौतियां हमेशा अच्छे लोगों के हिस्से में आती हैं, क्योंकि वो उनको अच्छे तरीके से हल करना जानते हैं।
आरएएस बनने तक 10 प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल रहे चंपालाल
{2007 शिक्षक भर्ती परीक्षा
{ 2007 आरएएस में चयन, आबकारी निरीक्षक का पद मिला
{ 2008 आरएएस में पुन: चयन, सहायक पंजीयक अधिकारी,
{ 2008 अधिशाषी अधिकारी, नगर निकाय
{ 2010 आरएएस में एकबार और चयन, एसीटीआे बने
{ 2012 आरएएस चाैथी बार चयन, एसडीएम, प्रतापगढ़
{ पीटीईटी, बीएड़, एसएससी रेलवे में भी चयन हुआ
{खुद की पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए पढ़ाते दूसरे बच्चों को ट्यूशन
{परिवार में सबसे बड़े होने के कारण छोटे भाई-बहनों को भी पढ़ाया
यह खबर इसलिए
आजकल युवा एक दो परीक्षा में असफल होने पर ही हार मानकर बैठ जाते हैं, अच्छी बात यह कि पिछली दो आरएएस परीक्षाओं में जिले से पहली बार 60 से अधिक युवाओं ने आरएएस में कामयाबी हासिल की। यह खबर उन युवाओं के लिए जिन्होंने बड़े सपने देखे हैं।
{छठी कक्षा में एक दोस्त ने ताना मारा था कि इतना ही इंटेलीजेंट है तो 10वीं पास कर बता, दिनेश ने उसी साल सीधे ओपन बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर दिखा दिया
{तृतीय श्रेणी शिक्षक से लेकर आरएएस तक, किसी परीक्षा में नहीं ली कोचिंग, आरएएस में 73वीं रैंक मिली
कॅरियर के दौरान 11 परीक्षाएं दी, सभी में सफलता
{2004में एसआई, बीएसएफ
{पीटीईटी 2005 में प्रदेश में 105वीं रैंक
{2007 तृतीय श्रेणी शिक्षक
{2008, संस्कृत शिक्षा में तृतीय श्रेणी, 125वीं रैंक के साथ
{2007 एसआई, राजस्थान पुलिस, 131 रैंक के साथ
{2008 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक, प्रदेश में 8वीं रैंक के साथ
{2012 आरएएस में चयन, सहकारी निरीक्षक
{2013 में आरएएस में 73वीं रैंक
{इसके अलावा तीन बार एसएससी में चयन
इसके बाद विश्नोई को सफलता का ऐसा नशा चढ़ा कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। जाे भी परीक्षा दी उसमें उन्होंने कामयाबी हासिल की। मूलतः जोधपुर गुड़ा विश्नोई गांव के निवासी दिनेश पिछले 4 साल से पाली में ही रहते है। विश्नोई के पिता मोहनलाल किसान हैं जो गांव में खेती किसानी का काम करते हैं। दो भाई हैं, उनमें एक शिक्षक है तो दूसरा व्यवसायी। शेष|पेज11
दूसरेबच्चों को ट्यूशन करवाकर अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाते
अपने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी के साथ-साथ चंपालाल जीनगर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए बच्चों को ट्यूशन कोचिंग करवाते थे। साथ ही जो भी समय मिलता था, उसमें पढ़ाई भी करते थे। अपने 4 छोटे भाई-बहिनों में सबसे बड़े चंपालाल उनको भी पढ़ाते थे।
चुनौतियां हमेशा अच्छे लोगो के हिस्से में आती हैं - चंपालाल
आजकल के युवाओं में किसी भी परीक्षा को लेकर फोबिया बना हुआ है। लेकिन वास्तव में अगर सही तरीके लगन से मेहनत की जाए तो कोई भी परीक्षा में सफल हो सकते हैं। इसके लिए कोई भी परिस्थिति मायने नही रखती है। चुनौतियों से घबराना नही चाहिए, चुनौतियां हमेशा अच्छे लोगों के हिस्से में आती हैं, क्योंकि वो उनको अच्छे तरीके से हल करना जानते हैं।
आरएएस बनने तक 10 प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल रहे चंपालाल
{2007 शिक्षक भर्ती परीक्षा
{ 2007 आरएएस में चयन, आबकारी निरीक्षक का पद मिला
{ 2008 आरएएस में पुन: चयन, सहायक पंजीयक अधिकारी,
{ 2008 अधिशाषी अधिकारी, नगर निकाय
{ 2010 आरएएस में एकबार और चयन, एसीटीआे बने
{ 2012 आरएएस चाैथी बार चयन, एसडीएम, प्रतापगढ़
{ पीटीईटी, बीएड़, एसएससी रेलवे में भी चयन हुआ
{खुद की पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए पढ़ाते दूसरे बच्चों को ट्यूशन
{परिवार में सबसे बड़े होने के कारण छोटे भाई-बहनों को भी पढ़ाया
यह खबर इसलिए
आजकल युवा एक दो परीक्षा में असफल होने पर ही हार मानकर बैठ जाते हैं, अच्छी बात यह कि पिछली दो आरएएस परीक्षाओं में जिले से पहली बार 60 से अधिक युवाओं ने आरएएस में कामयाबी हासिल की। यह खबर उन युवाओं के लिए जिन्होंने बड़े सपने देखे हैं।
{छठी कक्षा में एक दोस्त ने ताना मारा था कि इतना ही इंटेलीजेंट है तो 10वीं पास कर बता, दिनेश ने उसी साल सीधे ओपन बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर दिखा दिया
{तृतीय श्रेणी शिक्षक से लेकर आरएएस तक, किसी परीक्षा में नहीं ली कोचिंग, आरएएस में 73वीं रैंक मिली
कॅरियर के दौरान 11 परीक्षाएं दी, सभी में सफलता
{2004में एसआई, बीएसएफ
{पीटीईटी 2005 में प्रदेश में 105वीं रैंक
{2007 तृतीय श्रेणी शिक्षक
{2008, संस्कृत शिक्षा में तृतीय श्रेणी, 125वीं रैंक के साथ
{2007 एसआई, राजस्थान पुलिस, 131 रैंक के साथ
{2008 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक, प्रदेश में 8वीं रैंक के साथ
{2012 आरएएस में चयन, सहकारी निरीक्षक
{2013 में आरएएस में 73वीं रैंक
{इसके अलावा तीन बार एसएससी में चयन