■शाला के मूल्यांकन आधारित उन्नयन हेतु, सात आयाम (क्षेत्र) होंगे। इन आयामों में शाला का मूल्यांकन किया जाएगा।
■प्रत्येक आयाम के लिए चिन्हित मानक (उपक्षेत्र) निर्धारित किए गए हैं। प्रत्येक आयाम में मानकों की संख्या आवश्यकतानुसार अलग-अलग है।
■ निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर, शाला अपना मूल्यांकन इन 7 आयामों में करके अपना वर्तमान स्तर (स्थिति) निर्धारित करेगी।
शाला ने किसी आयाम के मानक पर अपने आप को जिस स्तर पर रखा है, उसके लिए उसे उसका प्रमाण/आधार देना होगा।
■स्व-मूल्यांकन के बाद बाह्य-मूल्यांकन निर्धारित व्यक्ति/एजेंसी द्वारा किया जाएगा और उसके उपरांत ही स्तर-निर्धारण को निश्चित माना जाएगा।
■ शाला अपने स्तर में सुधार के लिए उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक योजना बनाएगी जिसे शाला उन्नयन कार्य-योजना कहा जाएगा।
■यह योजना शाला प्रमुख, सभी शिक्षक, शाला प्रबन्धन समिति (एसएमसी) के सदस्य और शाला की बाल केबिनेट के सदस्य साथ मिलकर बनाएँगे।
■ शाला की इस कार्य-योजना में वे आयाम एवं उनसे सम्बंधित मानक जिनमें कार्य करने की आवश्यकता है, की प्राथमिकताओं का निर्धारण करते हुए ये कार्य कौन, कैसे, एवं कब तक करेगा इसका विवरण होग
*शाला सिद्धि 👉👉*
*– हमारी शाला ऐसी हो- कोई नया कार्यक्रम नहीं है अपितु पूर्व वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता के क्षेत्र में किए गए विभिन्न प्रयासों को एकीकृत कर इन्हें सुनियोजित रूप से क्रियान्वयन करने का प्रयास*
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु शाला के मूल्यांकन से उन्नयन से तात्पर्य यह है कि शाला का विकास इस प्रकार से हो कि शाला की अकादमिक एवं सह-अकादमिक प्रक्रियाओं से विद्यार्थियों को भयमुक्त एवं आनन्ददायी वातावरण में सीखने के अवसर मिलें और प्रत्येक विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप निर्धारित दक्षताएँ एवं कौशल अर्जित कर सक
शाला सिद्धि कार्यक्रम के संवैधानिक और प्रशासनिक आधार -
●भारत के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीतियाँ
●निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995.
● राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005.
● निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009.
●लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012.
●"एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा तैयार परर्फॉर्मेंस इंडिकेटर्स फॉर टीचर्स (पिंडिक्स), 2013.
●स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान, 2014 .
शैक्षिक समाचार राजस्थान
*शाला सिद्धि कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य -👉👉*
🔰🔰🔰
◆शाला मूल्यांकन हेतु राज्य में एक संस्थागत प्रक्रिया निश्चित करना तथा उसका क्रियान्वयन करना।
◆शाला मूल्यांकन हेतु शालाओं तथा सम्बन्धित अधिकारियों को सक्षम बनाना जिससे शालाएँ निरंतर उन्नति करती रहें।
◆शाला को इस प्रकार सहयोग देना कि वे अपनी आवश्यकताओं का विश्लेषण कर उनकी पूर्ति हेतु निरंतर प्रयास करने में सक्षम हों।
कार्यक्रम क्रियान्वयन – प्रक्रिया -
01 स्व-मूल्यांकन
02 बाह्य मूल्यांकन
03 शाला उन्नयन कार्ययोजना
04 कार्ययोजना का क्रियान्वयन.
05 शाला उन्नयन.
■प्रत्येक आयाम के लिए चिन्हित मानक (उपक्षेत्र) निर्धारित किए गए हैं। प्रत्येक आयाम में मानकों की संख्या आवश्यकतानुसार अलग-अलग है।
■ निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर, शाला अपना मूल्यांकन इन 7 आयामों में करके अपना वर्तमान स्तर (स्थिति) निर्धारित करेगी।
शाला ने किसी आयाम के मानक पर अपने आप को जिस स्तर पर रखा है, उसके लिए उसे उसका प्रमाण/आधार देना होगा।
■स्व-मूल्यांकन के बाद बाह्य-मूल्यांकन निर्धारित व्यक्ति/एजेंसी द्वारा किया जाएगा और उसके उपरांत ही स्तर-निर्धारण को निश्चित माना जाएगा।
■ शाला अपने स्तर में सुधार के लिए उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक योजना बनाएगी जिसे शाला उन्नयन कार्य-योजना कहा जाएगा।
■यह योजना शाला प्रमुख, सभी शिक्षक, शाला प्रबन्धन समिति (एसएमसी) के सदस्य और शाला की बाल केबिनेट के सदस्य साथ मिलकर बनाएँगे।
■ शाला की इस कार्य-योजना में वे आयाम एवं उनसे सम्बंधित मानक जिनमें कार्य करने की आवश्यकता है, की प्राथमिकताओं का निर्धारण करते हुए ये कार्य कौन, कैसे, एवं कब तक करेगा इसका विवरण होग
*शाला सिद्धि 👉👉*
*– हमारी शाला ऐसी हो- कोई नया कार्यक्रम नहीं है अपितु पूर्व वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता के क्षेत्र में किए गए विभिन्न प्रयासों को एकीकृत कर इन्हें सुनियोजित रूप से क्रियान्वयन करने का प्रयास*
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु शाला के मूल्यांकन से उन्नयन से तात्पर्य यह है कि शाला का विकास इस प्रकार से हो कि शाला की अकादमिक एवं सह-अकादमिक प्रक्रियाओं से विद्यार्थियों को भयमुक्त एवं आनन्ददायी वातावरण में सीखने के अवसर मिलें और प्रत्येक विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप निर्धारित दक्षताएँ एवं कौशल अर्जित कर सक
शाला सिद्धि कार्यक्रम के संवैधानिक और प्रशासनिक आधार -
●भारत के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीतियाँ
●निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995.
● राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005.
● निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009.
●लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012.
●"एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा तैयार परर्फॉर्मेंस इंडिकेटर्स फॉर टीचर्स (पिंडिक्स), 2013.
●स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान, 2014 .
शैक्षिक समाचार राजस्थान
*शाला सिद्धि कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य -👉👉*
🔰🔰🔰
◆शाला मूल्यांकन हेतु राज्य में एक संस्थागत प्रक्रिया निश्चित करना तथा उसका क्रियान्वयन करना।
◆शाला मूल्यांकन हेतु शालाओं तथा सम्बन्धित अधिकारियों को सक्षम बनाना जिससे शालाएँ निरंतर उन्नति करती रहें।
◆शाला को इस प्रकार सहयोग देना कि वे अपनी आवश्यकताओं का विश्लेषण कर उनकी पूर्ति हेतु निरंतर प्रयास करने में सक्षम हों।
कार्यक्रम क्रियान्वयन – प्रक्रिया -
01 स्व-मूल्यांकन
02 बाह्य मूल्यांकन
03 शाला उन्नयन कार्ययोजना
04 कार्ययोजना का क्रियान्वयन.
05 शाला उन्नयन.