जयपुर। बीते साल ही राजस्थान विश्वविद्यालय में पेपर लीक मामले का बड़े स्तर पर खुलासा हुआ था। जिससे यूनिवर्सिटी की पूरे देश में छवि बदनुमा दाग लगा था। इस छवि को यूनिवर्सिटी सुधार पाती उससे पहले एक बार फिर पेपर लीक ने विवादों में ला खड़ा कर दिया है।
जयपुर। पिछले साल पेपर लीक मामले में यूनिवर्सिटी के 21 शिक्षकों और कर्मचारियों को जेल की हवा खानी पड़ी थी। मामला सामने आने के बाद जहां 5 पेपर्स को निरस्त किया गया था तो वहीं दो पेपर्स संदेह के घेरे में रखे गए थे। उसके बाद से ही राजस्थान विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पुख्ता बंदोबस्त के दावे करता आया है। लेकिन ये दावे एक बार फिर से खोखले साबित होते हुए नजर आए। 13 अप्रैल को बीएससी सैकेंड इयर फिजिक्स का पेपर 3 से 6 बजे तक आयोजित हुआ था। लेकिन ये पेपर दोपहर 2:30 बजे ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।
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दोपहर 3 बजे होने वाला पेपर 2:30 बजे ही मार्केट में आने से विश्वविद्यालय प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। प्रशासन ने जब पेपर खत्म होने के बाद मिलान किया तो उसे असली से हूबहू पाया गया। जिसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी शिकायत गांधीनगर थाने में दी। साथ ही पेपर को लेकर यूनिवर्सिटी स्तर पर एक कमेटी का गठन किया। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी विश्वविद्यालय कुलपति आरके कोठारी और परीक्षा नियंत्रक वीके गुप्ता पेपर को लीक नहीं मान रहे हैं।
वीके कोठारी का कहना है कि एग्जाम टाइम से पहले पेपर पब्लिक तक पहुंचा ही नहीं तो पेपर आउट हुआ कहां। फिर भी मामले की जांच कमेटी से करवाई जाएगी। जांच में पेपर लीक की बात पुख्ता होने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। कोठारी ने कहा कि दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।
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पेपर लीक की सूचना के बाद आज राजस्थान विश्वविद्यालय के बाहर एनएसयूआई की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद कुलपति के ज्ञापन सौंपकर पेपर निरस्त करने की मांग की। वहीं एबीवीपी की ओर से भी पेपर निरस्त की मांग का ज्ञापन कुलपति को सौंपा। एबीवीपी ने चेतावनी भी दी कि अगर सोमवार तक पेपर निरस्त नहीं किया गया तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
पिछले 5 सालों में राजस्थान यूनिवर्सिटी की छवि लगातार गिरती जा रही है। चाहे वो स्टाफ की कमी हो, घाटे का बजट हो या फिर पेपर लीक मामला। इन्हीं सब की बदौलत विश्वविद्यालय इस साल टॉप-100 यूनिवर्सिटी की सूची से भी बाहर हो गया। ऐसे मामले सामने आने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन पर जूं तक नहीं रेंग रही।
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