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आदेश नहीं मानने पर सरकार RPCC पर दो-दो लाख जुर्माना, दोषी अफसरों से वसूलने को कहा

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक याचिकाकर्ता को भर्ती परीक्षा में सफल रहने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना नियुक्ति नहीं देने के दोषी अफसरों से वसूल करने के निर्देश दिए।
साथ ही अगले डेढ़ महीने में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं। 2011 में अवमानना याचिका दायर की गई थी...
याचिकाकर्ता कौशल कुमार गुप्ता की ओर से अधिवक्ता विशाल शर्मा ने रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता आरपीएससी की 2004 में आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में 134 अंक प्राप्त कर सफल रहा। उसे साक्षात्कार के लिए भी बुलाया गया। बाद में आरपीएससी ने इतने ही अंक पाने वाले अन्य अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी, लेकिन याचिकाकर्ता को वंचित रखा गया। वर्ष 2008 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2004 की भर्ती में रिक्त पदों पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर वर्ष 2011 में अवमानना याचिका दायर की गई।
अधिवक्ता ने कहा कि पहले तो सरकार एवं आरपीएससी ने कहा कि वर्ष 2004 की भर्ती में कुछ पद रिक्त हैं, लेकिन बाद यह कहकर मना कर दिया गया कि सभी रिक्त पद अगली भर्ती में कैरी-फॉरवर्ड हो गए हैं तथा 2006 में सभी पद भर लिए गए। इस पर कौशल ने अवमानना याचिका वापस लेते हुए नए सिरे से याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि सरकार और आरपीएससी ने झूठे शपथ पत्र देकर कोर्ट को गुमराह किया है। जहां एक ओर सभी पद भरे हुए बताए जा रहे हैं, वहीं विधानसभा में एक सवाल के जवाब में पद रिक्त बताए गए हैं।
29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय लाभ...
विस्तृत सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि राज्य सरकार एवं आरपीएससी दोनों ने कोर्ट को गुमराह किया है। जस्टिस संदीप मेहता ने इस मामले में अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए राज्य सरकार को छह हफ्ते में याचिकाकर्ता को तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसी भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश दिए जाने की तिथि से सेवा लाभ देने के भी आदेश दिए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की तिथि यानी 29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय लाभ एवं
इससे पूर्व के काल्पनिक (नोशनल) सेवा लाभ दिए जाएं...
कोर्ट ने राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और आरपीएससी के अध्यक्ष को इस मामले में देरी के लिए दोषी अधिकारियों का पता लगाने के भी निर्देश दिए हैं।

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