सुखाड़ियाविश्वविद्यालयमें रोज 60 लाख और प्रति पीरियड 23 हजार से ज्यादा खर्चा होने के बाद भी नियमित क्लासें नहीं लगती हैं। हैरान करने वाली स्थिति ये है कि कभी प्रोफेसर क्लास में नहीं आते तो कभी छात्र।
इतना ही नहीं एक साल यानी 365 दिन में शैक्षणिक सत्र भी महज 120 दिन का ही रहता है। बाकी के दिन अवकाश या रविवार होते हैं।
2015-16 में विश्वविद्यालय का बजट करीब 76 करोड़ था। सिर्फ शैक्षणिक कार्य दिवस का हिसाब लगाएं तो विश्वविद्यालय को चलाने में प्रतिदिन 60 लाख रुपये खर्च होते हैं। वहीं एक पीरियड पर 23,250 रुपये खर्च होते हैं। कॉलेज में ऐसे छात्र बहुत हैं जो सिर्फ नामांकन कराकर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। छात्र जहां इसके लिए शैक्षणिक माहौल को जिम्मेदार बता रहे हैं वहीं शिक्षक छात्रों में नियमित क्लास नहीं लेने की कमियां थोप रहे हैं।
सीबीसीएस लागू हो
^चॉइसबेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) और सेमेस्टर सिस्टम लागू करना बहुत जरूरी है। इसमें मन मुताबिक विषय पढ़ने और बीच में बदलने का विकल्प है, पर इसके लिए फैकल्टी पूरी होनी चाहिए। प्रो.आईवी त्रिवेदी, पूर्व कुलपति, सुविवि
नियुक्तियों में राजनीति
^दक्षिणभारत के छात्र हमेशा अच्छे शिक्षकों की मांग करते हैं। जबकि उत्तर भारत में राजनीति ने माहौल खराब कर रखा है। सियासी नियुक्तियां होंगी तो वे क्यों पढ़ाना चाहेंगे। परीक्षा पैटर्न भी ऐसा है। गांव से सपने लेकर आने वाले छात्रों के लिए कुंठा के अलावा और कुछ नहीं बचता। -प्रो. वीबी सिंह, पूर्व कुलपति, एमपीयूएटी
टीचिंग प्रोफेशन में कम हुई प्रतिबद्धता
^छात्रकोचिंग और अन्य कार्य साथ-साथ करते हैं। वे जानते हैं कि डिग्री तो मिल जाएगी। कहीं कहीं टीचिंग प्रोफेशन में समर्पण और प्रतिबद्धता कम हुई है। छात्रों को यह अहसास होना चाहिए कि क्लास में नहीं जाने पर उन्हें नुकसान होगा। -प्रो. बीपी भटनागर, पूर्व कुलपति, राजस्थान विद्यापीठ
कॉन्फ्रेंस-सेमीनार पर इतना खर्च :विवि में पिछले वर्ष कई सेमीनार, कॉन्फ्रेंस या फेस्टीवल के हुए। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष इन पर 25 से 30 लाख रुपये खर्च हुए।
कितनी मिलती है शिक्षकों को सैलेरी
वरिष्ठप्रोफेसर- 1.5लाखप्रतिमाह
अन्य प्रोफेसर - 1.25से1.5लाखके बीच
एसोसिएट प्रोफेसर - 1से1.25लाखके बीच
असिस्टेंट प्रोफेसर - 45हजारसे 60हजारतक।
किसकॉलेज का कितना बजट (2015-16)
साइंसकॉलेज : 14.9करोड़रु.
आर्ट्स कॉलेज : 9.42करोड़
कॉमर्स कॉलेज : 4.6करोड़
भू विज्ञान विभाग : 3.41करोड़
एफएमएस : 1.59करोड़
ऐसे मिलते हैं यूनिवर्सिटी को पैसे
ऐसे समझिए विश्वविद्यालय के खर्च का गणित
{राज्य सरकार से वित्त वर्ष 2016-17 में सुविवि को मिले 37करोड़
{कर्मचारियों की सैलेरी पर सालाना खर्च - 51करोड़
{पंचवर्षीय योजना के तहत यूजीसी ग्रांट के रूप में मिले 11करोड़
{यूनिवर्सिटी की कुल आय में बड़ा हिस्सा एफिलिएटेड कॉलेजों का होता है।
{ एफिलिएशन फीस : निजी कॉलेजों को औसतन 1.5 लाख रुपए सालाना शुल्क देना होता है। इससे करीब 6करोड़रु. की आय होती है।
{परीक्षा शुल्क : यूनिवर्सिटी को करीब 35करोड़रु. की आय हुई।
शिक्षकों की बनती है ज्यादा जवाबदेही
^शिक्षकोंका यह दायित्व है कि विद्यार्थी में रुचि पैदा करे, उन्हें प्रेरित करे। यह उनकी जवाबदेही ज्यादा है। आखिरकार सरकार इतने पैसे कक्षाओं के लिए ही खर्च करती है। -किरण माहेश्वरी, उच्च शिक्षा मंत्री
(साल भर में शैक्षणिक कार्य दिवस-120, चारों कॉलेज में प्रोफेसर- 69, एसो. प्रोफेसर- 2, असि. प्रोफेसर- 60)
गेस्ट फैकल्टी के भरोसे विवि
{विविमें कुल नियमित शिक्षक- 131
{गेस्टफैकल्टी- 300केकरीब
{गेस्ट फैकल्टी को सप्ताह में 1 से लेकर 6 पीरियड पढ़ाने को मिलते हैं। इस हिसाब से साल भर में 54 पीरियड होते हैं। उन्हें 500 रु. की दर से भुगतान किया जाता है। एक शैक्षणिक सत्र में अमूमन गेस्ट फैकल्टी की जरूरत चार महीने तक ही रहती है।
पद सप्ताह में कक्षाएं साल में
प्रोफेसर12216
एसो.प्रोफेसर 14252
असि.प्रोफेसर 16288
इतना ही नहीं एक साल यानी 365 दिन में शैक्षणिक सत्र भी महज 120 दिन का ही रहता है। बाकी के दिन अवकाश या रविवार होते हैं।
2015-16 में विश्वविद्यालय का बजट करीब 76 करोड़ था। सिर्फ शैक्षणिक कार्य दिवस का हिसाब लगाएं तो विश्वविद्यालय को चलाने में प्रतिदिन 60 लाख रुपये खर्च होते हैं। वहीं एक पीरियड पर 23,250 रुपये खर्च होते हैं। कॉलेज में ऐसे छात्र बहुत हैं जो सिर्फ नामांकन कराकर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। छात्र जहां इसके लिए शैक्षणिक माहौल को जिम्मेदार बता रहे हैं वहीं शिक्षक छात्रों में नियमित क्लास नहीं लेने की कमियां थोप रहे हैं।
सीबीसीएस लागू हो
^चॉइसबेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) और सेमेस्टर सिस्टम लागू करना बहुत जरूरी है। इसमें मन मुताबिक विषय पढ़ने और बीच में बदलने का विकल्प है, पर इसके लिए फैकल्टी पूरी होनी चाहिए। प्रो.आईवी त्रिवेदी, पूर्व कुलपति, सुविवि
नियुक्तियों में राजनीति
^दक्षिणभारत के छात्र हमेशा अच्छे शिक्षकों की मांग करते हैं। जबकि उत्तर भारत में राजनीति ने माहौल खराब कर रखा है। सियासी नियुक्तियां होंगी तो वे क्यों पढ़ाना चाहेंगे। परीक्षा पैटर्न भी ऐसा है। गांव से सपने लेकर आने वाले छात्रों के लिए कुंठा के अलावा और कुछ नहीं बचता। -प्रो. वीबी सिंह, पूर्व कुलपति, एमपीयूएटी
टीचिंग प्रोफेशन में कम हुई प्रतिबद्धता
^छात्रकोचिंग और अन्य कार्य साथ-साथ करते हैं। वे जानते हैं कि डिग्री तो मिल जाएगी। कहीं कहीं टीचिंग प्रोफेशन में समर्पण और प्रतिबद्धता कम हुई है। छात्रों को यह अहसास होना चाहिए कि क्लास में नहीं जाने पर उन्हें नुकसान होगा। -प्रो. बीपी भटनागर, पूर्व कुलपति, राजस्थान विद्यापीठ
कॉन्फ्रेंस-सेमीनार पर इतना खर्च :विवि में पिछले वर्ष कई सेमीनार, कॉन्फ्रेंस या फेस्टीवल के हुए। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष इन पर 25 से 30 लाख रुपये खर्च हुए।
कितनी मिलती है शिक्षकों को सैलेरी
वरिष्ठप्रोफेसर- 1.5लाखप्रतिमाह
अन्य प्रोफेसर - 1.25से1.5लाखके बीच
एसोसिएट प्रोफेसर - 1से1.25लाखके बीच
असिस्टेंट प्रोफेसर - 45हजारसे 60हजारतक।
किसकॉलेज का कितना बजट (2015-16)
साइंसकॉलेज : 14.9करोड़रु.
आर्ट्स कॉलेज : 9.42करोड़
कॉमर्स कॉलेज : 4.6करोड़
भू विज्ञान विभाग : 3.41करोड़
एफएमएस : 1.59करोड़
ऐसे मिलते हैं यूनिवर्सिटी को पैसे
ऐसे समझिए विश्वविद्यालय के खर्च का गणित
{राज्य सरकार से वित्त वर्ष 2016-17 में सुविवि को मिले 37करोड़
{कर्मचारियों की सैलेरी पर सालाना खर्च - 51करोड़
{पंचवर्षीय योजना के तहत यूजीसी ग्रांट के रूप में मिले 11करोड़
{यूनिवर्सिटी की कुल आय में बड़ा हिस्सा एफिलिएटेड कॉलेजों का होता है।
{ एफिलिएशन फीस : निजी कॉलेजों को औसतन 1.5 लाख रुपए सालाना शुल्क देना होता है। इससे करीब 6करोड़रु. की आय होती है।
{परीक्षा शुल्क : यूनिवर्सिटी को करीब 35करोड़रु. की आय हुई।
शिक्षकों की बनती है ज्यादा जवाबदेही
^शिक्षकोंका यह दायित्व है कि विद्यार्थी में रुचि पैदा करे, उन्हें प्रेरित करे। यह उनकी जवाबदेही ज्यादा है। आखिरकार सरकार इतने पैसे कक्षाओं के लिए ही खर्च करती है। -किरण माहेश्वरी, उच्च शिक्षा मंत्री
(साल भर में शैक्षणिक कार्य दिवस-120, चारों कॉलेज में प्रोफेसर- 69, एसो. प्रोफेसर- 2, असि. प्रोफेसर- 60)
गेस्ट फैकल्टी के भरोसे विवि
{विविमें कुल नियमित शिक्षक- 131
{गेस्टफैकल्टी- 300केकरीब
{गेस्ट फैकल्टी को सप्ताह में 1 से लेकर 6 पीरियड पढ़ाने को मिलते हैं। इस हिसाब से साल भर में 54 पीरियड होते हैं। उन्हें 500 रु. की दर से भुगतान किया जाता है। एक शैक्षणिक सत्र में अमूमन गेस्ट फैकल्टी की जरूरत चार महीने तक ही रहती है।
पद सप्ताह में कक्षाएं साल में
प्रोफेसर12216
एसो.प्रोफेसर 14252
असि.प्रोफेसर 16288