राजस्थानप्रशासनिक सेवा के मंगलवार को घोषित परिणाम में जिले का दबदबा बढ़
रहा है। इस बार जिले के 20 से अधिक युवाओं ने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल
किया है। खास बात तो यह है कि इस बार सबसे ज्यादा अभ्यर्थी ग्रामीण
क्षेत्रों से सफल हुए हैं, जो किसान परिवार से हैं।
यही नहीं, एक अभ्यर्थी ने तो पूरे प्रदेश में 9वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा धाणदा की बेटी सुमन का भी पहले प्रयास में ही आरएएस चयन हुआ है। उसे 158वीं रैंक हासिल हुई है। “भास्कर’ ने परीक्षा के 3 साल बाद घोषित किए गए परिणाम में सफल रहे इन अभ्यर्थियों से चर्चा की तो सामने आया कि कड़े परिश्रम के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।
सुरेशने तीसरे प्रयास में 53वीं रैंक हासिल की
सोजतकेकमेडा बाग बेरे के सुरेश सांखला का आरएएस भर्ती परीक्षा 2013 में 53 वीं रैंक हासिल की है। सांखला वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने यह सफलता तीसरे प्रयास की पाई। उन्होंने ओबीसी में 22 वीं रैंक हासिल की। वो अपनी सफलता का श्रेय पिता-माता सहित दोस्तों को देते है। सुरेश के अनुसार शैक्षणिक कार्य के बाद सहयोगी शिक्षकों से विभिन्न विषयों पर चर्चा करने से उनको इस परीक्षा में काफी सहयोग मिला।
शेष| पेज 11
भाणियां के जयप्रकाश को 924वीं रैंक
सोजततहसील के भाणियां गांव जयप्रकाश पूनिया ने आरएएस परीक्षा में 924वीं रैंक हासिल की। जोधपुर में विषय विशेषज्ञों से मार्गदर्शन दिल्ली से कोचिंग के बाद पूनिया ने यह सफलता पाई है। बीकानेर से सिविल में बीटेक करने के बाद जोधपुर में पुलिस विभाग में सीआई पद पर सेवारत पिता रामसिंह पूनिया के परामर्श से परीक्षा की तैयारी कर जोश बढ़ता गया।
बरी गांव के रणजीतसिंह चारण काे 118वीं रैंक
बरीगांव के रणजीतसिंह चारण ने इस परीक्षा में 118वीं रैंक हासिल की। 2011 में पटवारी परीक्षा में सफलता हासिल कर उन्होंने यह नौकरी तो ज्वाइन कर ली, लेकिन उनका खास लक्ष्य था प्रशासनिक सेवा में जाने का था। इस बीच 2013 में चारण का एसआई के पद पर नियुक्ति हो गई थी। वर्तमान में चित्तौडग़ढ़ में रणजीत अपनी सफलता श्रेय पिता-माता और दोस्तों को देते हैं।
सुमन सोनल ने पहले प्रयास में 158वीं रैंक प्राप्त की
जिलेकी बेटी सुमन ने पहले ही प्रयास में आरएएस परीक्षा में कामयाबी का परचम लहराया है। बाली तहसील के धाणदा गांव की इस बेटी ने सीमित संसाधनों के बाद भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा में जाने का अपना सपना साकार कर दिया। वन सेवा में सेवारत पिता मांगीलाल सोनल का सामयिक विषयों का मार्गदर्शन मिलता रहा, तो कड़ी तैयारी के बाद उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल किया।
गोल्ड मेडलिस्ट योद्धेश चौहान का पहले प्रयास में ही चयन
जोधपुरएमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई में गोल्ड मेडलिस्ट योद्धेश ने पहले ही प्रयास में आरएएस परीक्षा में 408वीं रैंक हासिल की। वर्तमान में सेंट्रल एक्साइज में इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत चौहान अपनी सफलता का श्रेय अपनी दादी गायत्री देवी, पिता तोषचंद्र माता उमा चौहान को देते हैं। सहशैक्षणिक गतिविधियों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जरूरी मानते हुए योद्धेश बताते हैं कि लक्ष्य स्पष्ट हो तो सफलता तक पहुंचा जा सकता है। वे इन दिनों भारतीय प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं। उनका मानना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में करेंट अफेयर्स का ध्यान रखना चाहिए।
पिता आरएएस बनाना चाहते थे, शिक्षक बना, अब सपना पूरा
पुनाड़ियागांव निवासी रमेश सीरवी ने उसके पिता सुजाराम ही नहीं, बल्कि पूरे गांव का सपना साकार कर दिया। रमेश के आरएएस परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल करने की खबर मिलने के बाद पूरा गांव ढोल थाली की खनक से गूंज उठा। रमेश ने 2011 में ग्रामसेवक की नौकरी ज्वाइन की थी, लेकिन उनका सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का था। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान वे 2013 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक तो बन गए, लेकिन आरएएस परीक्षा की तैयारी में दिन-रात जुटे रहे। यह संयोग ही रहा कि परीक्षा के साक्षात्कार में जल स्वावलंबन अभियान, रणकपुर, जवाई बांध पैंथर कंजर्वेशन से जुड़े सवाल पूछे गए। यानि, अपने ही जिले से जुड़े सामान्य ज्ञान के भी उन्हें अच्छे नंबर मिल गए।
यही नहीं, एक अभ्यर्थी ने तो पूरे प्रदेश में 9वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा धाणदा की बेटी सुमन का भी पहले प्रयास में ही आरएएस चयन हुआ है। उसे 158वीं रैंक हासिल हुई है। “भास्कर’ ने परीक्षा के 3 साल बाद घोषित किए गए परिणाम में सफल रहे इन अभ्यर्थियों से चर्चा की तो सामने आया कि कड़े परिश्रम के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।
सुरेशने तीसरे प्रयास में 53वीं रैंक हासिल की
सोजतकेकमेडा बाग बेरे के सुरेश सांखला का आरएएस भर्ती परीक्षा 2013 में 53 वीं रैंक हासिल की है। सांखला वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने यह सफलता तीसरे प्रयास की पाई। उन्होंने ओबीसी में 22 वीं रैंक हासिल की। वो अपनी सफलता का श्रेय पिता-माता सहित दोस्तों को देते है। सुरेश के अनुसार शैक्षणिक कार्य के बाद सहयोगी शिक्षकों से विभिन्न विषयों पर चर्चा करने से उनको इस परीक्षा में काफी सहयोग मिला।
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भाणियां के जयप्रकाश को 924वीं रैंक
सोजततहसील के भाणियां गांव जयप्रकाश पूनिया ने आरएएस परीक्षा में 924वीं रैंक हासिल की। जोधपुर में विषय विशेषज्ञों से मार्गदर्शन दिल्ली से कोचिंग के बाद पूनिया ने यह सफलता पाई है। बीकानेर से सिविल में बीटेक करने के बाद जोधपुर में पुलिस विभाग में सीआई पद पर सेवारत पिता रामसिंह पूनिया के परामर्श से परीक्षा की तैयारी कर जोश बढ़ता गया।
बरी गांव के रणजीतसिंह चारण काे 118वीं रैंक
बरीगांव के रणजीतसिंह चारण ने इस परीक्षा में 118वीं रैंक हासिल की। 2011 में पटवारी परीक्षा में सफलता हासिल कर उन्होंने यह नौकरी तो ज्वाइन कर ली, लेकिन उनका खास लक्ष्य था प्रशासनिक सेवा में जाने का था। इस बीच 2013 में चारण का एसआई के पद पर नियुक्ति हो गई थी। वर्तमान में चित्तौडग़ढ़ में रणजीत अपनी सफलता श्रेय पिता-माता और दोस्तों को देते हैं।
सुमन सोनल ने पहले प्रयास में 158वीं रैंक प्राप्त की
जिलेकी बेटी सुमन ने पहले ही प्रयास में आरएएस परीक्षा में कामयाबी का परचम लहराया है। बाली तहसील के धाणदा गांव की इस बेटी ने सीमित संसाधनों के बाद भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा में जाने का अपना सपना साकार कर दिया। वन सेवा में सेवारत पिता मांगीलाल सोनल का सामयिक विषयों का मार्गदर्शन मिलता रहा, तो कड़ी तैयारी के बाद उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल किया।
गोल्ड मेडलिस्ट योद्धेश चौहान का पहले प्रयास में ही चयन
जोधपुरएमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई में गोल्ड मेडलिस्ट योद्धेश ने पहले ही प्रयास में आरएएस परीक्षा में 408वीं रैंक हासिल की। वर्तमान में सेंट्रल एक्साइज में इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत चौहान अपनी सफलता का श्रेय अपनी दादी गायत्री देवी, पिता तोषचंद्र माता उमा चौहान को देते हैं। सहशैक्षणिक गतिविधियों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जरूरी मानते हुए योद्धेश बताते हैं कि लक्ष्य स्पष्ट हो तो सफलता तक पहुंचा जा सकता है। वे इन दिनों भारतीय प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं। उनका मानना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में करेंट अफेयर्स का ध्यान रखना चाहिए।
पिता आरएएस बनाना चाहते थे, शिक्षक बना, अब सपना पूरा
पुनाड़ियागांव निवासी रमेश सीरवी ने उसके पिता सुजाराम ही नहीं, बल्कि पूरे गांव का सपना साकार कर दिया। रमेश के आरएएस परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल करने की खबर मिलने के बाद पूरा गांव ढोल थाली की खनक से गूंज उठा। रमेश ने 2011 में ग्रामसेवक की नौकरी ज्वाइन की थी, लेकिन उनका सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का था। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान वे 2013 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक तो बन गए, लेकिन आरएएस परीक्षा की तैयारी में दिन-रात जुटे रहे। यह संयोग ही रहा कि परीक्षा के साक्षात्कार में जल स्वावलंबन अभियान, रणकपुर, जवाई बांध पैंथर कंजर्वेशन से जुड़े सवाल पूछे गए। यानि, अपने ही जिले से जुड़े सामान्य ज्ञान के भी उन्हें अच्छे नंबर मिल गए।