वे इशारों इशारों में ही कार्यकर्ताओं को जता दिया है कि वह अभी से ही चुनाव की तैयारी में जुटे जाएं। ताकि कांग्रेस कुछ करें, इसके पहले ही चुनाव की 50 फीसदी तैयारी पूरी कर लें, बाकी चुनाव के दौरान हो जाएगी। सीएम ने दो दिवसीय यात्रा में उन्हीं विधानसभाओं को चुना है, जहां पर जनसंवाद का कार्यक्रम नहीं हुआ था। हालांकि डूंगरपुर की सभा स्थानीय कार्यकर्ताओं की मांग पर थी, लेकिन सीएम की प्रस्तावित यात्रा में यह सभा शामिल नहीं थी। वहीं मुख्यमंत्री ने सागवाड़ा और धंबोला में सभा की। इसके पीछे भी कई कारण रहे हैं। धंबोला और सीमलवाड़ा चौरासी का सबसे बड़ा सामान्य वर्ग का गांव, यहां से सामान्य वोटर्स का झुकाव भी पार्टी की ओर हैं।
चौरासी विधानसभा डूंगरपुर से करीब 13 किमी दूर गैंजी घाटे से शुरू होता है और चिखली के आगे 8 किमी तक तक लगती है। यहां पर बड़े सामान्य वर्ग के गांवों में सीमलवाड़ा, धंबोला और पीठ आते हैं। यही कारण था कि सुशील कटारा ने मुख्यमंत्री की सभा धंबोला में ही कराने का निर्णय किया। ताकि यहां पर बड़े गांवों के लोगों को भी जोड़ा जा सके। एक बात यह भी थी इन दिनों भील मोर्चे की गतिविधि इस क्षेत्र में बढ़ गई थी, इस कारण भाजपा को संदेह था कि समय रहते सामान्य वर्ग और आदिवासी वोटर्स को नहीं साधा गया तो विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री के तीन निशाने समझिए
आदिवासी
वोट बैंक : आदिवासी समाज की ओर से 9 अगस्त को लंबे समय से अवकाश की मांग
की जा रही थी, लेकिन सरकार ने सरकार के स्तर पर स्थाई अवकाश की घोषणा नहीं
की, लेकिन कलेक्टर के माध्यम से अवकाश की घोषणा कर दी। इसके पीछे कारण यही
है कि यहां पर 73 प्रतिशत जनजाति समाज है और इसमें से भी 65 प्रतिशत से
ज्यादा वोटबैंक है। फिलहाल 65 प्रतिशत वोटबैंक में भी 35 प्रतिशत से ज्यादा
का वोटबैंक हमेशा ही कांग्रेस का परंपरागत रहा है। सामान्य वर्ग का झुकाव
भाजपा की ओर रहा है। यही रणनीति रही है कि अवकाश की घोषणा की गई।
लोगों
के मन में उम्मीदवार की छवि - पहली बार मुख्यमंत्री ने मंच पर ही विधायक
को खड़े कर सवाल और जवाब किए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लोगों के मन में
उम्मीदवार की छवि बन जाए। क्योंकि डूंगरपुर जिले में दो विधानसभा के मौजूदा
विधायकों के प्रति सामान्य वर्ग की खासी नाराजगी है। साथ ही एक यह टटोलने
का प्रयास किया है कि वर्तमान विधायक को टिकट देने से जीत संभव है या नहीं।
तालियां बजी तो सीएम ने समझा ठीक है, नहीं बजी तो समझा कि यहां नाराजगी
है।
कांग्रेस
को घेरने की आंकड़ों के दम पर कोशिश - अब तक डूंगरपुर में कांग्रेस भाजपा
पर हमेशा ही हावी रही है। चाहे वह प्रेस वार्ता की बात हो या फिर प्रदर्शन
की। लेकिन पहली बार मुख्यमंत्री ने तीनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक
काल के वर्ष और भाजपा विधायक काल के सालों की तुलना आंकड़ों के दम पर किया।
साथ ही यह साबित करने का प्रयास किया कि आखिर भाजपा ने साढ़े 4 साल में
क्या काम किए हैं। इस तरह से कांग्रेस को जनता के बीच बैकफुट पर धकेलने का
प्रयास किया है। इधर, कांग्रेस का तंज, कहा - मैडम जिस रोड से धंबोला पहुंची, वह कांग्रेस की देन
मुख्यमंत्री के धंबोला में दिए भाषण पर कांग्रेस नेता ताराचंद भगोरा ने बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री ने लोगों को गुमराह करते हुए एक बार फिर से झूठ का पुलिंदा पेश किया है। भगोरा ने कहा कि जिस रोड से मुख्यमंत्री धंबोला पहुंची थी, वह रोड कांग्रेस कार्यकाल में बना है। इसके लिए अशोक गहलोत सरकार ने स्वीकृति दी है। गलियाकोट पुल की बात कही है, लेकिन इसकी स्वीकृति और बजट कांग्रेस सरकार ने दिया है। शिक्षक भर्ती की बात सीएम ने कही है लेकिन जब सीएम भाषण दे रही थी तब करोली और मेवाड़ा में लोगों और बच्चों ने शिक्षकों की कमी को लेकर स्कूल पर ताले लगा दिए थे।
सीएम की यात्रा का पॉजीटिव इफेक्ट
कार्यकर्ता एकजुट दिखे अब तक बिखरे बिखरे कार्यकर्ता सीएम दौरे के दौरान
एक तरह से एकजुट नजर आए। इसका लाभ धंबोला की सभा में देखा गया, जहां करीब
20 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ थी।
काम गिनाने से मानसिकता बदलेगी - मुख्यमंत्री द्वारा लगातार काम गिनाने से लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा।
भाजपा नेताओं की लगातार सभा से कांग्रेस बेचैन पहले जनसंवाद, फिर सुराज
यात्रा से कांग्रेस में बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि कांग्रेस अभी तक तय नहीं
कर पाई है कि चुनावी कैंपेन कैसे ओर किस तरह से चलाए।
चौरासी
में कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा - चौरासी में झौथरी प्रधान मंजुला और
चिखली प्रधान महेंद्र बरजोड़ के बीच खींचतान है और इसका फायदा भाजपा उठा
रही है। सीएम की सभा के बाद सीधे फायदा भाजपा को मिला है।