भास्कर संवाददाता | डूंगरपुर सरकार ने थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती निकाली और इंटरव्यू ले लिए।10 साल
गुजर गए लेकिन अब तक सरकार पद स्वीकृत नहीं होने का बहाना कर पोस्टिंग देने
में आनाकानी कर रही है। इंटरव्यू दे चुके इन बेरोजगार प्रबोधकों को सुराज
संकल्प यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री राजे ने वादा किया था कि सरकार बनी तो
पोस्टिंग दी जाएगी। साढ़े चार साल राज करने के बाद भी अब तक प्रक्रिया आगे
तक नहीं बढ़ी।
जिले के 106 बेरोजगार प्रबोधकों की माने तो इसके लिए यहां के चुने हुए
जनप्रतिनिधि सबसे बड़े जिम्मेदार है।इसी प्रक्रिया में प्रदेश के 5 जिलों
बीकानेर, बाड़मेर, पाली, राजसमंद, नागौर जिलों में पोस्टिंग दे भी दी गई
है।
सुराज संकल्प यात्रा में सीएम ने गेपसागर की पाल पर किया था नौकरी देने का वादा
समझे... क्या है मामला :ये वे प्रबोधक है जो निजी स्कूलों
में पढ़ाते थे। इसी वसुंधरा राजे की साल 2008 के दौरान सरकार ने विज्ञप्ति
निकालकर पोस्टिंग दिए जाने का प्रावधान रखा था।
और यूं बिगड़ी स्थिति :बाद में यह कहते हुए पोस्टिंग देने से
इंकार कर दिया गया कि पद ही खाली नहीं है।इसके बाद से ये सभी जगह-जगह
ज्ञापन दे चुके है।बाद में कांग्रेस की सरकार बनी।साल 2013 दिसंबर में फिर
से तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे को ही प्रदेश की कमान मिली।इस सरकार ने अपने
कार्यकाल के साढ़े चार गुजार दिए।
106 पदों का अलग से बैकलॉग आरक्षित
उल्लेखनीय है कि साल 2013, 2015 और 2018 में जिला परिषद के जरिए
राज्य सरकार ने थर्ड ग्रेड शिक्षकों की भर्तियां की है।तीनों सालों में
भर्ती किए गए शिक्षकों की संख्या करीब 2 हजार है।चूंकि ये 106 बेरोजगार
भाजपा राज में निकली भर्तियों के शिकार है, ऐसे में सरकार चाहती तो तीन बार
हुई भर्तियों में इन्हीं 106 को बैकलॉग मानते हुए आरक्षित करते हुए
नियुक्ति दी जा सकती थी।
साढ़े चार साल में दर्जनों ज्ञापन दिए, लेकिन कोई नहीं सुनता
बैकलॉग आरक्षित करना सरकार का नीतिगत निर्णय होने पर ही संभव
है।ऐसे में स्थानीय एक बार भर्ती स्थगित किए जाने के बाद जिला स्तर पर
अधिकारी अपने स्तर पर बैकलॉग निर्धारित नहीं कर सकते, ना ही किसी तरह
समायोजित कर सकते है।इसे देखते हुए इन बेरोजगारों ने जिले के प्रभारी
मंत्री, अर्जुनलाल गर्ग, ओटाराम देवासी, श्रीचंद कृपलानी को कई ज्ञापन
दिए।इसी तरह प्रशासन स्तर पर कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी को भी कई ज्ञापन
दिए जा चुके है।प्रशासनिक अधिकारियों के पास एक ही जवाब है कि यह सरकार के
स्तर का निर्णय है, इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।
आधे से ज्यादा उम्र पार :बेरोजगारों के लिए अब एक सबसे बड़ी
समस्या है, उनका सरकार के प्रति उम्मीद जगाए रखना। पिछले 10 साल से ये लोग
अब तक कहीं न कहीं प्राइवेट नौकरी या छोटी मोटी दुकान से दो समय की रोटी का
जुगाड़ कर रहे है। सरकारी नौकरी की उम्मीद में ये सरकारी नौकरी की एजलिमिट
के लिहाज से उम्र पार या ऑवर एज हो गए। लोकेश शाह, कौशिक द्विवेदी, विभु
दीक्षित, पूर्णिमा शाह, नीलम, दिव्या, माहेश्वरी सोलंकी, जयेश जोशी, दीपक
पंड्या, विजय कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के पास काफी काम है, लेकिन
चुने हुए विधायकों को उनकी समस्या के बारे में जानकारी है। ऐसे में वे चाहे
तो अब भी मुख्यमंत्री तक उनकी समस्या पहुंचा सकते है।
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