भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा रीट लेवल टू का परिणाम जारी होने के बाद अब शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन जमा कराने का दौर शुरू हो चुका है। जिसके अब महज 7 दिन बचे हैं लेकिन टीएसपी क्षेत्र में अभ्यर्थियों के सामने आवेदन भरना तो दूर विशेष मूल निवास बनाना आफत बन गया है।
इसी कारण अभ्यर्थियों असमंजस में तहसील, और उपखंड अधिकारी कार्यालय के आगे पीछे चक्कर लगा रहे हैं। जहां समस्याआें का समाधान तो दूर दूसरी नई समस्याएं सामने आ खड़ी हो रही है। इनमें भी सबसे अधिक दुविधा विवाहित महिलाओं के लिए है, क्योंकि उन्हें अपना मूल निवास पति का माने या पिता का। सैकड़ों महिला अभ्यर्थी ऐसी हैं, जिनका ससुराल डूंगरपुर में है और मायका बांसवाड़ा, किसी का ससुराल बांसवाड़ा तो मायका डूंगरपुर, ऐसे में दोनों जिलों में चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
तहसीलदार का प्रमाण मान्य या अमान्य
कुछ अभ्यर्थियों के सामने एक दुविधा यह भी है कि उन्होंने पहले ही तहसीलदार के माध्यम से अपना विशेष मूल निवास पहले ही बनवा लिए, लेकिन जुलाई से विशेष मूल निवास बनाने का अधिकार उपखंड अधिकारी को दिए जाने के बाद अभ्यर्थियों के सामने संकट यह है कि नया प्रमाण पत्र बनाए या तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाण पत्र को यथावत रखा जाए। ऐसे में भर्ती के दौरान कोई चूक नहीं रहे इसलिए कई अभ्यर्थी एसडीएम के माध्यम से जारी प्रमाण पत्र बनाने में जुट गए हैं।
इधर जब बांसवाड़ा तहसीलदार शांतिलाल जैन से बात की तो उन्होंने बताया कि जिनके पहले प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से जारी हो चुके हैं, उन्हें दूसरे बनाने की जरुरत नहीं है। जैन ने बताया कि उपखंड अधिकारी से टीएसपी प्रमाण पत्र बनाने की अधिसूचना जुलाई में जारी हुई है, जिसके बाद तहसील कार्यालय से आवेदन उपखंड अधिकारी कार्यालय में पेश किए जा रहे हैं।
फॉर्म विक्रेताओं की चांदी
अभ्यर्थियों के इस असमंजस में फार्म विक्रेताओं की चांदी हो रही है, जिले में हजारों अभ्यर्थियों को विशेष मूल निवास की जरुरत है। एसडीएम द्वारा बनाए जाने वाले प्रमाण पत्र के आवेदन की कीतम 20 रुपए है। इस दुविधा से अभ्यर्थियों पर आर्थिक भार भी बढ़ रहा है। इसके अलावा 50 रुपए वंशावली रिपोर्ट का अलग से चुकाना पड़ रहा है।
जब से एसडीएम के प्रमाणपत्र के आदेश जारी हुए हैं तब से उनके और उससे पहले वाले प्रमाणपत्र में तहसीलदार द्वारा प्रमाण पत्र मान्य रहेंगे। उसके लिए कोई मना नहीं कर सकता। - भगवती प्रसाद, कलेक्टर बांसवाड़ा।
प्रमाण पत्र को लेकर कोई इश्यू नहीं होना चाहिए। जो प्रमाण पत्र तहसीलदार ने बनाए हैं वो मान्य ही रहेंगे। फिलहाल सरकार ने विशेष मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए एसडीएम को नियुक्त किया है। तहसीलदार को भी बनाने के लिए लिखा है। जो पहले से तहसीलदार ने बनाए है वो मान्य ही रहेंगे, फाइनली बनाए तो सरकार ने ही है। - भवानीसिंह देथा, संभागीय आयुक्त
बांसवाडा. वर्ष 1966 और 1988 की वोटर लिस्ट के लिए कतार में खड़े अभ्यर्थी।
एक परेशानी यह भी
दूसरे जिले में ब्याही महिलाओं के अलावा स्थानीय जिले में ब्याह करने वाली विवाहिताओं के सामने भी दिक्कत यह है कि कौन से उपखंड अधिकारी कार्यालय में जाकर प्रमाण पत्र बनाए। उदाहरण के तौर पर एक महिला जिसका पीहर गढ़ी उपखंड क्षेत्र में है और ससुराल बांसवाड़ा उपखंड क्षेत्र में। उसके द्वारा पिता के घर की 1966 और 93 की वोटर लिस्ट के साथ विवाह पंजीयन भी दस्तावेजों में शमिल किया। लेकिन उसे विशेष मूल निवास के लिए गढ़ी उपखंड अधिकारी कार्यालय में जाकर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अब व्यवस्था पर सवाल यह है कि जब विशेष मूल निवास में स्थाई और वर्तमान पता होना अनिवार्य है तो उसका मूल पता तो पति का घर होता है।
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