भास्कर संवाददाता | चित्तौड़गढ़ राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित राजस्थान अध्यापक
पात्रता परीक्षा रीट-2018 प्रथम स्तर का परीक्षा परिणाम जारी हो गया है।
इसमें जिले के 450 परीक्षार्थी ही पास हो पाए हैं। परिणाम मात्र 35.11
फीसदी रहा। प्रथम लेवल में ढाई हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी।
इस परिणाम को देखकर सेकंड लेवल के अभ्यर्थियों में भी घबराहट है।
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा रीट 2016 का परिणाम 48 प्रतिशत रहा
था। जबकि रीट 2018 लेवल प्रथम में मात्र 64 हजार अभ्यर्थी पास हुए। ऐसे में
अब भर्ती में पुरानी रीट वाले बाजी मारते नजर आ रहे हैं। रीट की वैधता तीन
साल तक रहने से 2019 तक मान्य है। रीट 2016 में चयनित और सेवारत होते हुए
भी जिनको गृह जिला नहीं मिला था। वह भी पुराने प्रमाण पत्र से पुनः फॉर्म
भरेगा। टेट 2011 व 2012 की वैधता भी सात साल है। ऐसे में वे भी नौकरी
लेंगे। इस परिणाम में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले सभी
अभ्यर्थियों को पास किया गया है। जिले में 1713 पदों के लिए 11164
अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। प्रथम लेवल के 498 और लेवल टू के 566 पद रिक्त
है। माध्यमिक शिक्षा में लेवल वन के 89 और लेवल टू के 560 पद रिक्त है।
कुल 1713 रिक्त पदों के लिए भर्ती हुई। लेवल वन में पंजीकृत 2850
अभ्यर्थियों में से 2646 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। जिसमें से मात्र
450 उत्तीर्ण हुए हैं। दो हजार से अधिक अभ्यर्थी भर्ती से बाहर होने से
मायूस है। जिले में सैकंड लेवल में 9045 पंजीकृत अभ्यर्थियों में से 8518
अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। जिन्हें परिणाम का इंतजार है। प्रदेश में
रीट से 54 हजार अध्यापकों की भर्ती की जानी है। कक्षा एक से पांचवीं तक के
अध्यापकों को भर्ती के लिए रीट प्रथम लेवल और छह से आठवीं तक की कक्षा में
पढ़ाने के लिए द्वितीय लेवल अध्यापकों का मापदंड तय है। ऐसा पहली बार हुआ
है कि जब रीट में महिलाओं से आगे पुरुष रहे हैं।
अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल... नियम गलत होने के कारण पात्र भी हो रहे बाहर
गलत नियमों के कारण निर्दोष अभ्यर्थी हो रहे बाहर...बीएड-बीएसटीसी
अध्यापक संघर्ष समिति के संयोजक अरविंदसिंह खोडियाखेड़ा का कहना है कि गलत
नियमों से निर्दोष अभ्यर्थी मेरिट से बाहर हो रहे हैं। राज्य सरकार को
समानीकरण या स्केलिंग पद्धति लागू करनी चाहिए। एक प्रमाण पत्र का लाभ एक ही
बार मिले। ऐसा नियम लागू करना चाहिए। सरकार को शीघ्र इसका हल ढूंढना
चाहिए, क्योंकि बीकानेर निदेशालय ने भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द
अंतिम चयनित सूची भी जारी की जा सकती है। पैटर्न बदलने से मेवाड़ क्षेत्र
से भी अभ्यर्थियों का चयन कम हो रहा है। अन्य जिलों के अभ्यर्थी बाजी मार
रहे हैं। इससे पहले टेट और जिला परिषद के माध्यम से हुई भर्ती प्रक्रिया
में स्थानीय अभ्यर्थियों को लाभ मिला था।
राज्य का सामान्य ज्ञान कम रखने से भी नुकसान...अभ्यर्थी
अक्षिता, मन्नू शर्मा आदि ने कहा कि राज्य सरकार ने बिना सोचे समझे टेट को
हटाकर उसे ही रीट के नाम से मुख्य परीक्षा का दर्जा दे दिया। नियमों की
पेचीदगियों से योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा है। रीट में ना तो
ऋणात्मक अंकन है और न राजस्थान सामान्य ज्ञान को प्राथमिकता दी गई है,
जिससे अन्य राज्यों के अभ्यर्थी भी बाजी मार रहे हैं।
अभी लेवल टू का परिणाम नहीं आया...लेवल द्वितीय का मामला पेपर
लीक को लेकर कोर्ट में अटका हुआ है। सरकार रीट से 54 हजार शिक्षकों की
भर्ती कर रही है। जिसमें से 26 हजार पद लेवल प्रथम के है। अगर नई रीट के
अंकों चयन किया तो दो अभ्यर्थियों पर एक चयन आसानी से होगा, क्योंकि मात्र
64 हजार पास हुए है।
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