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NEGLIGENCE : कागजों में दबकर रह गई तबादला नीति : हाईकोर्ट के आदेश की उड़ रही धज्जियां

आईडाणा. हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने नवम्बर 2015 में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति का प्रारूप तैयार किया, लेकिन वह प्रारुप अब कागजों में दबकर रह गया है। शिक्षा विभाग द्वारा तबादला नीति पर कार्य नहीं करने से सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
वर्ष 2015 के नवम्बर माह में तबादली नीति का प्रारूप जारी कर पन्द्रह दिन में जन साधारण से सुझाव आमंत्रित किए थे। शिक्षक स्थानान्तरण नीति का मसौदा माध्यमिक शिक्षा विभाग की वेबसाईट पर अपलोड भी किया गया था। शिक्षा विभाग ग्रुप दो के शासन उप सचिव कमलेश आबुसरिया ने स्थानान्तरण नीति का प्रारूप जारी करते हुए आमजन से ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सुझाव मांगे थे। स्थानान्तरण नीति पर सुझाव विभागीय वेबसाइट या कार्यालय समय में शासन सचिवालय जयपुर में शिक्षा विभाग ग्रुप 2 मुख्य भवन, कक्ष संख्या 1210 में लिए गए। सरकार में शिक्षा विभाग में शिक्षकों के विभिन्न संवर्गो की प्रस्तावित स्थानान्तरण नीति को अंतिम रूप दिए जाने के लिए वर्ष 2015 में मंत्रीमण्डलीय उप समिति का गठन किया गया। समिति के अध्यक्ष गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया व चार मंत्रियों को सदस्य बनाया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों के समस्त संवर्गों के स्थानान्तरण परामर्श कैम्प आयोजित कर अन्त: जिला स्थानान्तरण हेतु जिला स्तर पर एवं अन्र्तजिला स्थानान्तरण के लिए राज्य स्तर पर गठित स्थानान्तरण परामर्शदात्री समिति की अनुशंषा के आधार पर किए जाने थे। स्थानान्तरण नीति राज्य में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन सभी संवर्गो के अध्यापकों पर लागू होनी थी। इसमें अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक, शारीरिक शिक्षक, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक, शारीरिक शिक्षक प्रथम श्रेणी, व्याख्याता, प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्य सम्मिलित थे। स्थानान्तरण के पात्र शिक्षको को निर्धारित प्रारूप में ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करना था। आवेदन वेबसाईट से प्रिंट लेकर, हस्ताक्षर कर सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत करने थे। नीति के अनुसार स्थानान्तरण के लिए सक्षम अधिकारी भी तय किये थे।
तबादला नीति बनाने की उठी मांग
शिक्षक राष्टीय के पूर्व जिला मंत्री राजेन्द्र सिंह चारण ने शिक्षा मंत्री से तृतीय श्रेणी शिक्षको के तबादला नीति बना कर करने की मांग की। चारण ने बताया कि तृतीय वेतन श्रंखला शिक्षकों के स्थानान्तरण काफी समय से नहीं हुआ। ऐसे में तबादले राजनीति से परे हो, न कि राजनैतिक संरक्षण में।

प्रतिबंधित जिलों में 20 साल से तबादले नहीं हुए
प्रतिबंधित जिलो के शिक्षकों पर 20 साल से और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलो पर 8 साल से प्रतिबंध लगा है। इस कारण ना तो शिक्षक खुश है और ना ही इन शिक्षकों से जुड़े परिजन। तबादला नीति का मसौदा जारी होने से तबादलो का इंतजार कर रहे शिक्षको को नीति के माध्यम से तबादलो की आश बंधी थी, लेकिन ढाई वर्ष बाद भी तबादला नीति पर अमल नही होने से शिक्षकों में निराशा है।

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