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अब राजस्थान के बेरोज़गार भरेंगें सरकार का खज़ाना, लाखों-करोड़ों नहीं अरबों के होंगें 'वारे-न्यारे', जानें कैसे

जयपुर। राजस्थान सरकार की आर्थिक स्थिति को सुधारने में हर बार की तरह इस बार भी युवा बेरोज़गार मददगार साबित होंगें। बात सुनने में अटपटी ज़रूर लगे लेकिन ये हकीकत है। दरअसल, राज्य सरकार की ओर से बजट में एक लाख भर्तियों की घोषणा की है।
माना जा रहा है कि घोषित हुई भर्तियों से सरकार को लाखों या करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपए के राजस्व अर्जन की तैयारी हो गई है।

इसकी बानगी भर देखने को मिली हाल ही में रविवार को आयोजित हुई रीट परीक्षा में। इस परीक्षा से सरकार को शुल्क के रूप में 50 करोड़ रुपए से भी अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए आयोजित हुई रीट परीक्षा, 2011 के बाद की अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा थी।

रविवार को आयोजित हुई रीट परीक्षा में 9,79,768 परीक्षार्थी परीक्षा में पंजीकृत थे। इसमें से द्वितीय स्तर की परीक्षा में कुल 8,04,122 और प्रथम स्तर की परीक्षा में 2,08,877 परीक्षार्थी परीक्षा के लिए पंजीकृत रहे। इसमें केवल एक परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क रुपए 550 और दोनों परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क 750 रुपए रखा गया था।

यह परीक्षा शुल्क 2015 की रीट परीक्षा के मुकाबले 150 रुपए ज्यादा था। ऐसे में शुल्क बढ़ा कर सरकार ने करीब 15 करोड़ रुपए तो अतिरिक्त ऐसे ही कमा लिए। वहीं दोनों परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों का वसूला गया औसतन शुल्क 550 रुपए मानें तो परीक्षा में पंजीकृत अभ्यर्थियों से राजस्व में करीब 50 करोड़ रुपए अभ्यर्थियों से वसूले गए शुल्क से ही आ गए है। यह भर्ती 35 हजार पदों के लिए थी।

ऐसे में अब बजट घोषणा में की गई भर्तियां आने पर सरकार को अरबों रुपए का राजस्व मिलने के आसार हैं। इससे पहले आरटेट 2011 में दोनों लेवल में 10 लाख 79 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए। इनमें फीस के रूप में 34.56 करोड़ रुपए मिले थे। वहीं आरटेट 2012 में 4.60 लाख अभ्यार्थियों से 21.23 करोड़ रुपए और आरटेट 2013 में 4.50 लाख अभ्यर्थियों से आवेदन शुल्क से 21.63 करोड़ रुपए मिले थे। वहीं रीट 2015 में 21 करोड़ का शुल्क मिला था।


हर परीक्षार्थी ने खर्चे औसतन एक हजार रुपए
इस परीक्षा को देने वाले एक अभ्यर्थी पर करीब एक हजार तक का खर्चा आया। दरअसल गृह जिले से दूसरे जिले में परीक्षा केंद्र बनाए जाने से हर अभ्यर्थी को करीब पांच सौ रुपए तक ट्रांसपोर्ट का वहन करना पड़ा। इस कारण घाटे में चल रोडवेज के खाते में भी करोड़ों रुपए का राजस्व आया।

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