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समायोजित किए शिक्षकों का प्रतिवेदन तय करे बिना उन्हें रिलीव नहीं करें

हाईकोर्टने पंचायत राज विभाग से माध्यमिक शिक्षा विभाग में समायोजित किए तृतीय श्रेणी शिक्षकों के मामले में शिक्षा विभाग काे कहा है कि यदि प्रार्थी शिक्षकों को रिलीव नहीं किया है तो उनका प्रतिवेदन तय होने तक उन्हें रिलीव नहीं करें।
अदालत ने प्रार्थियों को शिक्षा विभाग के समक्ष प्रतिवेदन देने के लिए कहा है।

अधिवक्ता एसके सिंगोदिया ने बताया कि न्यायाधीश वीएस सिराधना ने यह आदेश मुकेश पटेल अन्य की याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिया। याचिकाओं में कहा था कि उनकी नियुक्ति जिला परिषदों के जरिए पंचायत राज विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर हुई थी। उन पर पंचायत राज विभाग के नियम लागू होते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ने जुलाई 2017 के आदेश से उनकी सहमति लिए बिना ही राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1971 के नियम 6 डी में चयनित कर उनका समायोजन माध्यमिक शिक्षा में कर दिया है।

नियमानुसार माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी होने पर ही वरिष्ठता के अाधार पर पंचायत राज विभाग से शिक्षकों को समायोजित कर सकते है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की वरिष्ष्ठता का ध्यान नहीं रखते हुए उनका समायोजन किया है जो गलत है। अदालत ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए प्रार्थियों को शिक्षा विभाग में प्रतिवेदन देने और प्रतिवेदन का निपटारा नहीं होने तक उन्हें रिलीव नहीं करने का निर्देश दिया।

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