बासनी (जोधपुर) खबर का
शीर्षक पढ़कर हरकोई चौंक सकता है, लेकिन यह हकीकत हैं। ऐसे कई युवा हैं,
जिन्होंने अपनी असफलता को ही सफलता में बदल खुद का मुकाम हासिल कर लिया।
उनमें से एक हैं जोधपुर जिले का सालावास निवासी पप्पूसिंह प्रजापत।
आमतौर पर माना जाता है कि स्कूली शिक्षा में कमजोर हो जाने के बाद किसी प्रतियोगी परीक्षा में भी सफल होना भी मुश्किल होता है। लेकिन पप्पूसिंह ने इस धारणा को धो डाला है।सालावास निवासी पप्पूसिंह के पिता का नाम केसाराम प्रतापत माता मिसरी देवी हैं।
अनपढ़ माता-पिता ने तीन भाईयो में सबसे छोटे पप्पूसिंह को पढ़ाने के लिएं राजकीय माध्यमिक विद्यालय सालावास में दाखिला दिलाया। पढ़ाई में शुरु से कमजोर पप्पूसिंह ने जैसे-तैसे पूरक के जरिए दसवीं बोर्ड पार कर ली। परिवार के हालात ने साथ नहीं दिया तो पढ़ाई के साथ हैण्डीक्राफ्ट की फैक्ट्री में काम करने लगा। और यहीं से उसने अपना मिशन बदल दिया।
माता-पिता के सपनों को साकार करने दुबारा पढ़ाई की तरफ रुख किया ओर स्वंयपाठी विद्यार्थी के रुप में १२वीं बोर्ड परीक्षा गे्रस के साथ में उर्तीण की। साल 2006 में स्वंयपाठी परीक्षा देकर बीए की उर्तीण की व साथ में उसी दौरान प्रीबीएड़ परीक्षा में चयन हो गया जो गांव में किसी आरएस बनने से कम नही था।
इस दौरान प्राईवेट स्कूल में पढ़ाने का काम भी साथ-साथ करने लगे। इस समय पप्पू सिंह ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रथम स्थान लाने का सपना संजोया और रोजाना नियमित सात से आठ घण्टे की पढ़ाई करने लगे।
बिना कोंचिग सफलता के झंडे
साल 2008 पप्पूसिंह के घर खुशियां लेकर आया और बिना किसी कोंचिग के पप्पूसिंह का पटवार भर्ती परीक्षा में प्रथम स्थान के साथ चयन हो गया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर के नही देखा और एक के बाद एक कई प्रतियोगी परीक्षा में उच्च स्थान के साथ चयन हुआ। जिसमें द्वितीय श्रेणी शिक्षक, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा में उच्च स्थान के साथ चयन हो गया।
वर्तमान में कॉलेज लेक्चर भर्ती परीक्षा में साक्षात्कार हेतु चयन हो रखा है। इसकी तैयारी में जुटे पप्पूसिंह ने इस कारण स्कूल व्याख्याता की नौकरी ज्वाइन नहीं की है। वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय कांकाणी (जोधपुर) में द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। अभी प्राचीन भारत पुस्तक पर लेखन का कार्य भी कर रहे हैं।
उपल्ब्धियां : एक नजर
नेट जेआरएफ इतिहास विषय
पटवार भर्ती परीक्षा 2008 में प्रथम स्थान
शिक्षक भर्ती परीक्षा 2008 सातवां स्थान
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2011 प्रथम स्थान
स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2013 में इतिहास विषय में द्वितीय स्थान
कॉलेज सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2015 में इतिहास विषय मेंं साक्षात्कार हेतु चयन
परिवार व मित्रों का रहा सहयोग-
पप्पूसिंह ने बताया कि इस सफलता में मेरे माता-पिता व बड़े भाईयों व मेरी पत्नी पूजा का अविस्मणीय योगदान रहा। इसके अलावा मेरे अध्यनशील मित्र अरविंद भास्कर, हिमांशु, गणपत राजपुरोहित, अशोक पूरी, जालम सिंह रतनू, सौरभ चारण का सदैव सहयोग रहा।
सफलता का मंत्र-
अपने अध्ययन में पूरी ईमानदार बने। हमेशा विस्तृत व प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें। नियमित रोजाना 6 से 7 घण्टे अध्ययन करें। मूल पुस्तकों का कम से कम चार बार अध्ययन करें व वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं में ज्यादा नोटस बनाना लाभकर नहीं होता है। अंत में कोई याद न रह सके या महत्वपूर्ण जानकारी हो तो नोटस बनाये। अधिक से अधिक चीजों को क्या, क्यों और कैसे पर फोकस करना चाहिए।
आमतौर पर माना जाता है कि स्कूली शिक्षा में कमजोर हो जाने के बाद किसी प्रतियोगी परीक्षा में भी सफल होना भी मुश्किल होता है। लेकिन पप्पूसिंह ने इस धारणा को धो डाला है।सालावास निवासी पप्पूसिंह के पिता का नाम केसाराम प्रतापत माता मिसरी देवी हैं।
अनपढ़ माता-पिता ने तीन भाईयो में सबसे छोटे पप्पूसिंह को पढ़ाने के लिएं राजकीय माध्यमिक विद्यालय सालावास में दाखिला दिलाया। पढ़ाई में शुरु से कमजोर पप्पूसिंह ने जैसे-तैसे पूरक के जरिए दसवीं बोर्ड पार कर ली। परिवार के हालात ने साथ नहीं दिया तो पढ़ाई के साथ हैण्डीक्राफ्ट की फैक्ट्री में काम करने लगा। और यहीं से उसने अपना मिशन बदल दिया।
माता-पिता के सपनों को साकार करने दुबारा पढ़ाई की तरफ रुख किया ओर स्वंयपाठी विद्यार्थी के रुप में १२वीं बोर्ड परीक्षा गे्रस के साथ में उर्तीण की। साल 2006 में स्वंयपाठी परीक्षा देकर बीए की उर्तीण की व साथ में उसी दौरान प्रीबीएड़ परीक्षा में चयन हो गया जो गांव में किसी आरएस बनने से कम नही था।
इस दौरान प्राईवेट स्कूल में पढ़ाने का काम भी साथ-साथ करने लगे। इस समय पप्पू सिंह ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रथम स्थान लाने का सपना संजोया और रोजाना नियमित सात से आठ घण्टे की पढ़ाई करने लगे।
बिना कोंचिग सफलता के झंडे
साल 2008 पप्पूसिंह के घर खुशियां लेकर आया और बिना किसी कोंचिग के पप्पूसिंह का पटवार भर्ती परीक्षा में प्रथम स्थान के साथ चयन हो गया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर के नही देखा और एक के बाद एक कई प्रतियोगी परीक्षा में उच्च स्थान के साथ चयन हुआ। जिसमें द्वितीय श्रेणी शिक्षक, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा में उच्च स्थान के साथ चयन हो गया।
वर्तमान में कॉलेज लेक्चर भर्ती परीक्षा में साक्षात्कार हेतु चयन हो रखा है। इसकी तैयारी में जुटे पप्पूसिंह ने इस कारण स्कूल व्याख्याता की नौकरी ज्वाइन नहीं की है। वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय कांकाणी (जोधपुर) में द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। अभी प्राचीन भारत पुस्तक पर लेखन का कार्य भी कर रहे हैं।
उपल्ब्धियां : एक नजर
नेट जेआरएफ इतिहास विषय
पटवार भर्ती परीक्षा 2008 में प्रथम स्थान
शिक्षक भर्ती परीक्षा 2008 सातवां स्थान
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2011 प्रथम स्थान
स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2013 में इतिहास विषय में द्वितीय स्थान
कॉलेज सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2015 में इतिहास विषय मेंं साक्षात्कार हेतु चयन
परिवार व मित्रों का रहा सहयोग-
पप्पूसिंह ने बताया कि इस सफलता में मेरे माता-पिता व बड़े भाईयों व मेरी पत्नी पूजा का अविस्मणीय योगदान रहा। इसके अलावा मेरे अध्यनशील मित्र अरविंद भास्कर, हिमांशु, गणपत राजपुरोहित, अशोक पूरी, जालम सिंह रतनू, सौरभ चारण का सदैव सहयोग रहा।
सफलता का मंत्र-
अपने अध्ययन में पूरी ईमानदार बने। हमेशा विस्तृत व प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें। नियमित रोजाना 6 से 7 घण्टे अध्ययन करें। मूल पुस्तकों का कम से कम चार बार अध्ययन करें व वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं में ज्यादा नोटस बनाना लाभकर नहीं होता है। अंत में कोई याद न रह सके या महत्वपूर्ण जानकारी हो तो नोटस बनाये। अधिक से अधिक चीजों को क्या, क्यों और कैसे पर फोकस करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment