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जब पंचायत ही नहीं बदल सकते तो काउंसलिंग का दिखावा क्यों किया

भास्कर संवाददाता | चित्तौड़गढ़ माध्यमिक शिक्षा विभाग की तर्ज पर प्रारंभिक शिक्षा में भी स्टाफिंग पैटर्न लागू करने की प्रक्रिया काउंसलिंग के पहले दिन ही शिक्षकों में असंतोष का कारण बन गई। मोटा कारण यह सामने आया कि अधिकांश शिक्षक काउंसलिंग के जरिए ब्लाॅक तो दूर पंचायत भी नहीं बदल पाए।
ऐसे में शिक्षक अधिकारियों के समक्ष दुखड़ा रखते हुए यह कहते दिखे कि यही कुछ करना था तो काउंसलिंग के नाम पर हमें ठेठ यहां क्यों बुलाया गया।

जिला मुख्यालय के राउप्रावि कुंभानगर में शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे प्रक्रिया शुरू हुई। वरीयता क्रमांक से नंबर आता रहा, लेकिन काउंसलिंग कक्ष से बाहर आते शिक्षकों के चेहरों पर आक्रोश एवं दर्द छलकता रहा। शिक्षकों ने कहा कि जब मनचाही जगह नहीं देनी थी तो यहां बुलाने का क्या फायदा। ब्लाक बदलना तो दूर, वरीयता में ऊपर होते हुए भी पंचायत तक नहीं बदली। पहले दिन प्रक्रिया का अवलोकन करने आई एडीएम भूअ डा. रौनक बैरागी के समक्ष भी शिक्षकों ने पीड़ा रखी, लेकिन अधिकारी विभाग की तय गाइड लाइन के अनुसार ही काउंसलिंग होने की बात कहते रहे। इस दौरान डीईईओ लक्ष्मी चौबीसा प्रधानाचार्य गणेशलाल पूर्बिया बीईईओ घनश्याम गौड़ युसुफ मोहम्मद सहित अधिकारी मौजूद रहे। पहले दिन 128 में से 127 शिक्षकों की काउंसलिंग हुई। बताया गया कि 15 जुलाई को एक साथ पदस्थाiन आदेश जारी किए जाएंगे।

उसीपंचायत में लगाएंगे

काउंसलिंगमें अधिकांश शिक्षकों को उसी ग्राम पंचायत के प्रावि या उप्रावि स्कूल में रिक्त पद पर लगाने की बात सामने आई। यदि पंचायत में पद रिक्त नहीं था तो दूसरी पंचायत में स्कूल में रिक्त पद पर लगाया है।

अधिकारियों ने भी माना, ब्लाक लेवल पर हो सकती थीं काउंसलिंग

कईअधिकारियों ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि यह काउंसलिंग ब्लाक लेवल पर भी हो सकती थीं। जब काउंसलिंग में ग्राम पंचायत भी चेंज नहीं की जा रही तो फिर जिला मुख्यालय पर कराने का कोई तुक नहीं है।

पीटीआई की 16 को

अब16 जुलाई को पीटीआई की काउंसलिंग होगी। उसी दिन पदस्थापन हो जाएंगे। पीटीआई के स्टाफिंग पैटर्न का मामला कोर्ट में चल रहा था। जिससे इनकी काउंसलिंग तय नहीं थीं।

बच्चोंकी पढ़ाई चौपट

काउंसलिंगप्रक्रिया के चलते राउप्रावि कुंभानगर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई प्रभावती हो गई है। काउंसलिंग के कारण 8वीं तक की कक्षाएं दो कमरों में चल रही है।

माध्यमिकशिक्षा में इस तरह हुई थी काउंसलिंग

स्टाफिंगपैटर्न लागू करने के लिए गत दिनों ही माध्यमिक शिक्षा विभाग में काउंसलिंग प्रक्रिया हुई थी। इसमें वरीयता के अनुसार रिक्त पदों पर शिक्षकों का समायोजन किया। वरीयता क्रम में पहले आने वाले शिक्षक को मनचाही पंचायत या ब्लाॅक चेंज करने की सुविधा मिली थीं, लेकिन प्रारंभिक शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं हुआ।

मेरिट में दूसरे नंबर पर आई, फिर भी रह गई वहीं की वहीं

4.वरीयताक्रमांक नंबर दो पर आई शकुंतला शृंगी प्रबोधक थी। उसका टोलू का लुहारिया पंचायत के गुर्जरों की मोरवन में पदस्थापन हुआ। जो कि भैंसरोडगढ़ से करीब 70 किमी दूर है। गृह जिला कोटा होने से भैंसरोडगढ़ या उसके नजदीकी स्कूल में पोस्टिंग की चाह थी। मेरिट में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद काउंसलिंग प्रक्रिया में ऐसा नहीं हो पाया। शकुंतला के अनुसार वह 16 साल से घर से दूर टोलू का लुहारिया पंचायत में ही कार्यरत है। इस काउंसलिंग के बाद भी वहीं रही तो क्या फायदा।

विशेष कैटेगरी का नहीं रखा ध्यान

2.एकलमहिला एवं परित्यक्ता कैटेगरी की सीमा शर्मा का वरीयता क्रमांक नंबर 33 है। पहले राउमावि श्रीपुरा में कार्यरत थी। काउंसलिंग प्रक्रिया से उम्मीद जगी कि अब बेहतर जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले से और पांच किमी दूर दुर्गम इलाके के नासेरा में पदस्थापन हुआ है। जबकि उसकी मांग थीं कि अब ऑन रोड गांव के स्कूल में नियुक्ति मिले।

प्रतिनियुक्त वाले को नहीं छेड़ा, मूल पद को अधिशेष किया

3.बड़ीसादड़ीब्लाॅक से आए एक शिक्षक ने बताया कि मैं फाचर अहिरान राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में मूल पद पर लगा हुआ था। मेरे बाद किसी शिक्षक को प्रतिनियुक्ति पर लगाया। नियमानुसार प्रतिनियुक्ति वाले शिक्षक को अधिशेष करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं कर मुझे अधिशेष मानते हुए दूसरी जगह लगाने के आदेश जारी कर दिए गए।

ज्वाइन करना पड़ेगा, वर्ना वेतन नहीं

1.भूपालसागरब्लाॅक के ताणां से आई इंद्रा शर्मा ने बताया कि मेरा वरीयता क्रमांक नंबर 13 है। काउंसलिंग का मतलब मनचाही जगह मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कानडख़ेड़ा पंचायत का भीमाखेड़ा प्रावि दे दिया। जब यह स्कूल नहीं लेने की बात कही तो विभागीय अधिकारियों ने धमकाया कि जो दे रहे हैं, वही ज्वाइन करना पड़ेगा। वरना वेतन नहीं बनेगा।

^गाइडलाइन में स्पष्ट है कि उसी ग्राम पंचायत के रिक्त पद पर पदस्थापन किया जाना है। यदि पंचायत में पद रिक्त नहीं है तो निकटतम दूसरी पंचायत में पदस्थापन किए जा रहे हैं। प्रबोधक, महिला, दिव्यांगों तथा असाध्य रोग पीडि़त शिक्षकों को प्राथमिकता दी जा रही है। आगामी दिनों में इस प्रक्रिया में रिक्त पद कम रहने की दशा में विशेषकर पुरुष वर्ग को मनचाही जगह मिलना थोड़ा मुश्किल होगा। रौनकबैरागी, काउंसलिंग समिति सदस्य

^विभागकी गाइडलाइन के अनुसार ही काउंसलिंग की जा रही है। किसी भी शिक्षक पर कोई दबाव नहीं बनाया है। वरीयता क्रम का पूरा ध्यान रखा गया है। लक्ष्मीचौबीसा, डीईईओ प्रारंभिक, चित्तौड़गढ़

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