प्रदेश में आरटेट 2011 और 2012 में 60 फीसदी से अधिक अंक वाले 223057 अभ्यर्थी है। इनमें से पिछली दो शिक्षक भर्तियों में 40 हजार चयनित हो चुके हैं। क्योंकि सन 2012 में 60 से अधिक अंक वाले चयनित 27 हजार और सन 2013 की भर्ती में 13 हजार अभ्यर्थी थे।
ऐसे में 1.83 लाख अभ्यर्थी तो 60 फीसदी से अधिक वाले आरटेट के है। आरटेट में करीब 29 हजार ऐसे अभ्यर्थी है जो 70 फीसदी से अधिक हैं। पंद्रह हजार पदों पर होने वाली शिक्षक भर्ती में अधिकांश तो 29 हजार में से ही सलेक्ट हो सकते हैं।
पंद्रह हजार पदों के लिए होने जा रही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। रीट का परिणाम आने के 5 दिन के भीतर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का सरकार का दावा फेल हो गया है। एक महीने बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। भर्ती प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं होने के कारणों की पड़ताल में सामने आया कि सामाजिक विज्ञान के पद खाली नहीं होने और आरटेट अभ्यर्थियों के अधिक अंकों के कारण सरकार टेंशन में है। सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की प्रस्तावित तिथि 13 जून तय भी कर ली थी। लेकिन इन दोनों कारणों से सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। दरअसल प्रदेश में आरटेट और रीट में सबसे अधिक अभ्यर्थी सामाजिक विज्ञान के हैं। लेकिन विभाग के पास लेवल टू में सामाजिक विज्ञान के पद खाली नहीं है। ऐसे में भर्ती के लिए प्रस्तावित पदों की संख्या में सामाजिक विज्ञान विषय के पदों की संख्या ही नहीं दर्शायी गई। सबसे अधिक भर्ती अंग्रेजी विषय के पदों पर प्रस्तावित है। सरकार को इस बात का अंदेशा है कि अगर सामाजिक विषय की भर्ती नहीं निकाली गई तो प्रदेशभर में बवाल मचना तय है। ऐसे में सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को लेकर बैकफुट पर है। यह भर्ती आरटेट और रीट के अंकों की मेरिट से होगी। सरकार का दूसरा टेंशन यही है। सरकार को लग रहा है कि आरटेट में अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या रीट से अधिक है। यानी आरटेट वाले रीट के अभ्यर्थियों पर भारी पड़ेंगे। ऐसी स्थिति बनती है तो रीट का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि टीएसपी एरिया में आरक्षण को लेकर कार्मिक विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है। जैसे ही मार्गदर्शन प्राप्त होगा। भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
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ऐसे में 1.83 लाख अभ्यर्थी तो 60 फीसदी से अधिक वाले आरटेट के है। आरटेट में करीब 29 हजार ऐसे अभ्यर्थी है जो 70 फीसदी से अधिक हैं। पंद्रह हजार पदों पर होने वाली शिक्षक भर्ती में अधिकांश तो 29 हजार में से ही सलेक्ट हो सकते हैं।
पंद्रह हजार पदों के लिए होने जा रही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। रीट का परिणाम आने के 5 दिन के भीतर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का सरकार का दावा फेल हो गया है। एक महीने बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। भर्ती प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं होने के कारणों की पड़ताल में सामने आया कि सामाजिक विज्ञान के पद खाली नहीं होने और आरटेट अभ्यर्थियों के अधिक अंकों के कारण सरकार टेंशन में है। सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की प्रस्तावित तिथि 13 जून तय भी कर ली थी। लेकिन इन दोनों कारणों से सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। दरअसल प्रदेश में आरटेट और रीट में सबसे अधिक अभ्यर्थी सामाजिक विज्ञान के हैं। लेकिन विभाग के पास लेवल टू में सामाजिक विज्ञान के पद खाली नहीं है। ऐसे में भर्ती के लिए प्रस्तावित पदों की संख्या में सामाजिक विज्ञान विषय के पदों की संख्या ही नहीं दर्शायी गई। सबसे अधिक भर्ती अंग्रेजी विषय के पदों पर प्रस्तावित है। सरकार को इस बात का अंदेशा है कि अगर सामाजिक विषय की भर्ती नहीं निकाली गई तो प्रदेशभर में बवाल मचना तय है। ऐसे में सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को लेकर बैकफुट पर है। यह भर्ती आरटेट और रीट के अंकों की मेरिट से होगी। सरकार का दूसरा टेंशन यही है। सरकार को लग रहा है कि आरटेट में अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या रीट से अधिक है। यानी आरटेट वाले रीट के अभ्यर्थियों पर भारी पड़ेंगे। ऐसी स्थिति बनती है तो रीट का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि टीएसपी एरिया में आरक्षण को लेकर कार्मिक विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है। जैसे ही मार्गदर्शन प्राप्त होगा। भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
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