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सरकारी नौकरी से परेशान शिक्षक करना चाहते हैं ये काम

बांसवाड़ा। प्रदेश में तबादलों के लिए प्रतिबंधित दस जिलों में कार्यरत शिक्षक परेशान, पांच से दस साल की नौकरी छोडऩे की ठानी।गृह जिले में नई नौकरी के लिए रीट परीक्षा दी मरता क्या नहीं करता। प्रतिबंधित जिले से तबादला नहीं करने की अपनी नीति से परेशान शिक्षकों ने अपनी पांच से दस साल की नौकरी तक को छोडऩे की ठान ली और अपने गृह जिले में नई नौकरी हासिल करने की कोशिश लिए दुबारा रीट की परीक्षा दे डाली और अब इन्हें परिणाम का इंतजार है।

ये थी अड़चन
प्रदेश में स्थानांतरण के लिए दस जिले प्रतिबंधित हंै। इनमें जैसलमेर, बाड़मेर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा,जालौर, झालावाड़, सिरोही तथा बीकानेर जिला वर्ष 2006 से तथा वर्ष 2008 से बारां और वर्ष 2010 से प्रतापगढ़ जिला प्रतिबंधित जिलों की श्रेणी में रखा गया। इन जिलों में अर्से से बड़ी संख्या में शिक्षक गृह जिले में तबादला कर भेजने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई और उसके इस रवैये के कारण जायज लोग भी पिस रहे हैं।
कुछ समय पूर्व सरकार ने नॉन टीएसपी से टीएसपी में तथा टीएसपी से नॉन टीएसपी में तबादलों की मंशा को लेकर प्रक्रिया जरूर की। इसके आधार पर नॉन टीएसपी से टीएसपी में तो शिक्षक आ गए, लेकिन टीएसपी से नॉन टीएसपी का इंतजार अब भी हजारों शिक्षकों को है।
ये राह चुनी
प्रतिबंधित जिले कुछ शिक्षकों ने सरकार के रवैये को देखते हुए पांच से दस साल तक टीएसपी में सेवा को भी दांव पर लगाने का फैसला कर लिया। प्रारंभिक शिक्षा के 120 अध्यापकों ने रीट परीक्षा- 2016 में सम्मिलित होने के लिए आवेदन किया, जिनमें से 90 अध्यापकों को अनुमति दी गई। यदि वे सफल रहते हैं तो उनके लिए गृह जिले में पदस्थापन पाने का मकसद पूरा हो जाएगा। हालांकि इस खेल में उनकी पांच से दस साल की प्रतिबंधित जिले में सेवा व्यथ चली जाएगी।इससे पूर्व रीट परीक्षा-2013 में भी प्रतिबंधित जिलों के कई शिक्षक इसी तरह कामयाब होकर अपने गृह जिले में जाने में सफल हो गए थे।
गौरतलब है कि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि शिक्षकों की तबादला नीति प्रक्रियाधीन है, एेसे में प्रतिबंधित जिलों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को भी इस नीति का इंतजार करना होगा।
नौकरी छोडऩे की नौबत
लंबे समय से तबादले की मांग उठ रही है, लेकिन अब तक सार्थक परिणाम सामने नहीं आए हैं। एेसे में कई शिक्षक नौकरी छोड़कर नई भर्ती में चयन के आधार पर अपने गृह क्षेत्र में जाने के लिए प्रयासरत हैं। यदि इस बार भी तबादले नहीं होते हैं तो संगठन धरना प्रदर्शन करेगा।
सुरेश मिर्धा, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिबंधित शिक्षक संघर्ष समिति
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