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सरकारी स्कूल में पढ़े राजनेताओं व अधिकारियों के बच्चे !

-छोटी स्कूलों पर गिरेगी गाज, बड़ों को होगा फायदा -उद्देश्यों पर खरा नहीं उतरता फीस विनियमन एक्ट
-विधानसभा में चर्चा के दौरान बोले विधायक बेनीवाल नागौर. सरकारी स्कूलों में भवन निर्माण, आधुनिक प्रयोगशाला, शौचालय निर्माण और अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ावा देना चाहिए ताकि लोगों का मोह निजी स्कूलों की तरफ  ना बढ़े। राजनेताओं के साथ अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए विशेष कानून लाना
चाहिए। बेनीवाल ने मंगलवार को राजस्थान विद्यालय फीस का विनियमन 2016 विधेयक पर चर्चा के दौरान यह बात कही। बेनीवाल ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा मनमर्जी से वसूली जा रही फीस पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने एक्ट लाकर निश्चित रूप से अच्छी पहल की है, लेकिन इस विधेयक में प्रभावी कानून नहीं होने से यह एक्ट पूरी तरह से अपने उद्देश्य पर खरा नहीं उतरता।
मिशनरी स्कूलों पर नहीं रहेगा नियंत्रण
बेनीवाल ने एक्ट में दिए प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में 40हजार से ज्यादा निजी स्कूलें है और इस एक्ट से 34हजार छोटी स्कूलों पर तो सरकार नियंत्रण कर सकेगी लेकिन 6 हजार बड़ी स्कूलों, जिसमें अधिकतर शिक्षा माफिया है,पर कोई भी लगाम सरकार नहीं लगा पाएगी। साथ ही सेंट्रल बोर्ड व मिशनरी स्कूलों पर भी सरकार का कोई नियंत्रण रह पाएगा। अधिकारी इस एक्ट का फायदा उठाकर उन छोटी निजी स्कूलों को परेशान करेंगे, जो प्रदेश के दूर दराज गांव-ढाणी में सही उद्देश्य के साथ कार्य कर रही है।
कमेटी में हो जनप्रतिनिधि 
बेनीवाल ने कहा कि सरकार ने फीस निर्धारण के लिए स्कूल के अध्यक्ष, सचिव व 2 अभिभावकों को लेकर एक कमेटी बनाने की बात कही गई है लेकिन इससे भी निजी स्कूल संचालक फायदा उठा लेंगे। इसलिए बेहतर यह होता कि स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ क्षेत्र के विधायक व सांसद द्वारा नॉमिनेट किए गए प्रतिनिधि व तहसीलदार तथा उपखण्ड अधिकारी भी उस कमेटी में शामिल हो ताकि फीस बढ़ोतरी में मनमर्जी ना हो सके।
निजी स्कूलों में हो कंट्रोल रूम
बेनीवाल ने कहा कि आज प्रदेश में स्कूल की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ व दुष्क्रम तथा शोषण की घटनाएं सामने आ रही है इसलिए स्कूल की कमेटी और क्षेत्रीय प्रतिनिधि की राय पर कंट्रोल रूम की स्थापना हर निजी स्कूल में हो ताकि पीडि़त छात्र-छात्रा किसी भी घटना की आशंका होने या किसी पर संदेह होने या घटना घटित होने की स्थिति से पूर्व ही सूचना दे सके।
आज तक नहीं हुई बड़ी भर्ती
उन्होंने कहा कि २००३-०८ तक भाजपा की सरकार ने ८० हजार शिक्षकों की भर्ती की  थी, यह केवल तत्कालीन शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी की सकारात्मक सोच का परिणाम था। उसके बाद शिक्षकों की एक भी बड़ी भर्ती नहीं हुई। भाजपा आज भी उसी भर्ती का नाम लेकर जनता के बीच जाती है। हनुमान बेनीवाल ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस एक्ट को जनमत जानने के लिए प्रचारित करना चाहिए।
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