जोधपुर. शिक्षा विभाग प्रदेश में करीब साढ़े चौदह हजार सीजनल छात्रावास
बनाएगा। ये छात्रावास आधे सत्र में पढ़ाई छोड़ पलायन करने वाले
विद्यार्थियों के लिए होंगे। इसके लिए विभाग ने सभी 27 जिलों को लक्ष्य दे
दिया है। योजना के तहत आवासीय, गैर आवासीय व क्षेत्रीय छात्रावासों का
संचालन किया जाएगा।
सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अपेक्षित बच्चों की सूची
बनाने के लिए कहा गया है। ये छात्रावास तीन, छह व नौ माह के लिए होंगे।
इनके अलावा शिक्षा विभाग एजुकेशन वालंटियर भी बनाएगा। 25 सितंबर को जयपुर
में प्रस्तावित बैठक में इस पर चर्चा होगी। जोधपुर जिले में 525 आवासीय व
गैर आवासीय छात्रावास बनाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि ‘पत्रिका’ ने 13 जुलाई
को ‘प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थी लापता, शिक्षा विभाग तलाश
में’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मामले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग
ने छात्रावास योजना की शुरुआत की।
ज्यादातर कृषकों के बच्चे
ग्रामीण स्कूलों में आधे सत्र में विद्यालय छोडऩे वाले ज्यादातर बच्चे
कृषकों के होते हैं। कृषक अपने बच्चों को आधे सत्र में ही स्कूल छुड़ाकर
अन्यत्र जगह शिफ्ट हो जाते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या जोधपुर में अत्यधिक
है। छात्रावास बनने के बाद ये बच्चे दूसरी जगह भी पढ़ाई जारी रख सकेंगे।
जानिए कौनसे जिलों में कितने बनेंगे आवासीय छात्रावास
जिले का नाम - सीजनल छात्रावासों की संख्या
जयपुर - 200
अजमेर - 440
उदयपुर - 1347
बीकानेर - 71
भीलवाड़ा - 2000
जैसलमेर - 2315
जालोर - 600
पाली - 35
सिरोही - 740
(प्रदेश के अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बूंदी,
चितौडगढ़़, चूरू, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर,
राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर व टोंक में 14363 सीजनल छात्रावास बनाए
जाएंगे।)
इनका कहना
आउट ऑफ स्कूल विद्यार्थियों को आवासीय व गैर आवासीय शिविर के जरिए 3
व 6 माह का कोर्स करवाया जाएगा। ये बच्चे जहां भी जाएंगे, इनके लिए शिक्षा
की सुविधा होगी।
- धर्मेन्द्रकुमार जोशी, डीईओ प्रारंभिक
शिक्षक संघ ने जताया रोष
जोधपुर. राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों
के स्थानांतरण की सूची में डीईओ माध्यमिक पर भूल का आरोप लगाया है।
जिलाध्यक्ष इन्द्रविक्रमसिंह चौहान ने कहा कि शहर के एक राजकीय माध्यमिक
विद्यालय में शिक्षकों के कार्यरत होते हुए भी 8 शिक्षकों के स्थानांतरण
माध्यमिक शिक्षा में कर दिए गए, जबकि वहां शिक्षक कार्यरत हैं और ऑनलाइन
पोर्टल पर नहीं दर्शाया गया है। एेसे में कार्यरत शिक्षक सरप्लस हो गए हैं
इस स्थिति में शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
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