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विवादों में आई कॉमर्स एसोसिएट शिक्षक भर्ती

राजस्थान विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्तियाें का विवादों से नाता छूट नहीं पा रहा है। नया विवाद कॉमर्स फैकल्टी में एसोसिएट प्रोफेसर भर्ती की स्क्रूटनी में एक रिटायर्ड प्रोफेसर को डीन की जगह शामिल किए जाने पर बरपा है। कॉमर्स फैकल्टी के डीन विनय शर्मा को बाईपास कर रिटायर्ड प्रो. एससी बर्डिया को इसमें शामिल किया गया था।
डीन ही स्क्रूटनी कमेटी का कन्वीनर भी होता है, ऐसे में एक्सपर्ट के अनुसार डीन के होते हुए किसी रिटायर्ड प्रोफेसर को डीन की जगह स्क्रूटनी कमेटी में शामिल करना नियम विरुद्ध है। विवाद यहीं नहीं थमा बल्कि विभिन्न विभागों के एचओडी की जगह रिटायर्ड प्रोफेसर को भी इस स्क्रूटनी कमेटी में शामिल कर लिया गया।

रिटायर्ड प्रोफेसर को स्क्रूटनी कमेटी में डीन के बतौर शामिल करने पर उठे सवाल

पहले एक्ट का हवाला और अब ऑर्डिनेंस की बात

आरयू एक्ट 1946 की धारा 24 बी (ए-1) हवाला दे कर पहले सीनियर प्रोफेसर को दरकिनार कर एक कॉलेज प्रिंसिपल को डीन बनाया गया। उस समय भी इस पर विवाद हुआ। अब ऑर्डिनेंस 141 सी का हवाला दे कर रिटायर्ड प्रो. को डीन की जगह शामिल कर स्क्रूटनी करा दी। अब भी विवाद जारी है।

स्क्रूटनी कमेटी में सब वीसी की मर्जी के सदस्य

कॉमर्स फैकल्टी के एबीएसटी डिपार्टमेंट में डीन (रिटायर्ड), एचओडी (रिटायर्ड प्रोफेसर), वीसी नॉमिनी (एक सदस्य), सब्जेक्ट एक्सपर्ट (विभाग, एकेडमिक काउंसिल, सिंडीकेट, तीन सदस्य कमेटी के बताए नामों में से वीसी नोमिनी होता है) इस तरह स्क्रूटनी कमेटी के चारों सदस्य कुलपति प्रो आरके कोठारी ने ही नॉमिनेट किए हैं। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जब कुलपति स्वयं कॉमर्स फैकल्टी से रह चुके हैं, ऐसे में उन्होंने स्क्रूटनी कमेटी भी अपनी पसंद की ही बना दी।

इसकी जांच होनी चाहिए। चयन प्रक्रिया बेहद संवेदनशील मामला है, इससे विवि की प्रतिष्ठा जुड़ी रहती है इसलिए सभी नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। - डॉ. जयंत सिंह (अध्यक्ष, राजस्थान विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन)

141 सी ऑर्डिनेंस में कुलपति को समिति के गठन के लिए अधिकृत किया गया है। इसी ऑर्डिनेंस के प्रावधानों के अनुसार समिति का गठन किया गया है। यह स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी तकनीकी समस्या होने पर कुलपति समिति का गठन करेंगे। - विवि प्रवक्ता

सेवानिवृत्त व्यक्ति का डीन के स्थान पर स्क्रूटनी कमेटी में होना जबकि डीन भी विवि में मौजूद है, स्क्रूटनी कमेटी के गठन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। ऐसे में अवैध कमेटी द्वारा किए गए चयन भी अवैध माने जाने चाहिए। - तनवीर अहमद, (एडवोकेट, राजस्थान हाइकोर्ट) 

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