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2013 शिक्षक भर्ती प्रकरण: गड़बड़ियां इतनी कि अफसर सुलझा ही नहीं पा रहे, अभ्यर्थी डेढ़ माह से कर रहे आंदोलन

भास्कर संवाददाता | डूंगरपुर शिक्षकभर्ती 2013 में नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थी का अनशन करते हुए पंद्रह दिन गुजर चुके हैं। पंद्रह दिनों पहले विधायक, मंत्री, जिला प्रमुख और सांसद के द्वार चक्कर काट रहे हैं।
वहीं अब पंद्रह दिनों से अब सीईओ कार्यालय, पुरानी जिला परिषद, कलेक्टर ऑफिस के बाद अब एडीएम ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बावजूद शिक्षक भर्ती 2013 की सूची नहीं बन पा रही हैं। धरने पर बैठे अभ्यर्थी को रोज आश्वासन की आस में सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ता है।

पूरे मामले में अभी तक 85 पात्र उम्मीदवार अपनी दावेदारी दिखाते हुए संशोधित सूचियां बनाने की मांग कर रहे थे। वहीं भर्ती में नियुक्ति प्राप्त कई उम्मीदवार को चिंता सताने लगी है। वे पिछले तीन वर्ष से शिक्षण कार्य संभाल रहे हैं। कई ओवरएज होने के कारण अन्य भर्ती के लिए दावेदार भी नहीं रहे। ऐसे में नियुक्ति प्राप्त 284 अभ्यर्थी में कई को नई मेरिट लिस्ट से परेशानी हो सकती है।

अभीतक का घटनाक्रम : {10 अक्टूबर को कोर्ट के आधार पर शिक्षक भर्ती 2013 में लिस्टिंग तैयार कर चस्पा कर काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करनी थी।

{ जिला परिषद सीईओ ने अभ्यर्थियों को आश्वासन देकर परेशान कर रखा।

{ 16 अक्टूबर को वंचित अभ्यर्थी परेशान होकर न्यू कॉलोनी टंकी पर चढ़ गए। जिसके बाद अभ्यर्थियों को जिला प्रशासन ने सात दिन में नियुक्ति देने का आश्वासन दिया।

{16 अक्टूबर से 11 नवंबर तक सारे वंचित अभ्यर्थी सीईओ और जिला परिषद के चक्कर काटते रहे।

{ 13 नवंबर को वंचित अभ्यर्थी प्रशासन, जनप्रतिनिधियों से नाराज होकर कलेक्ट्री के बाहर अनशन पर बैठ गए।

{14 नवंबर को वंचित अभ्यर्थी के समर्थन में समानता मंच संरक्षक दिग्विजयसिंह जुड़ गए। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीईओ को उठाकर मामले को जयपुर तक पहुंचा दिया।

{15 नवंबर को भूख हड़ताल पर बैठी दो महिला अभ्यर्थी बीमार हो गई। जिसमे एक को उदयपुर रैफर किया गया। वहीं जिला परिषद सीईओ दिनभर गायब रहे।

{ 16 नवंबर को सीईओ गायब रहे। जिसके बाद मौके पर जनप्रतिनिधी पहुंचने अभ्यर्थियों ने पर खरी खोटी सुनाई गई। इसी दरम्यान एक महिला अभ्यर्थी बेहोश हो गई। जिसे अस्पताल भर्ती कराया। वहीं जयपुर में 25 महिला अभ्यर्थियों की फाइल वित्त से विधि के मध्य चला।

{17 नवंबर को सीईओ के गायब होने के बाद एडीएम की अध्यक्षता में सूची बनना शुरू हुई। जिसमें रात को गलत सूची बनाने के बाद उसे निरस्त कराया गया। जिसमें रात 1 बजे कलेक्टर निवास के बाहर हंगामा हुआ। वहीं 25 महिला अभ्यर्थी को सूची से दूर रखा गया।

{ 18 नवंबर को कलेक्टर ने उदयपुर जिला परिषद की टीम को बुलाकर नए सिरे से काम शुरू कराया।

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