Advertisement

विद्यालय योजना निर्माण करते समय ध्यान में रखे जाने योग्य बिंदु

विद्यालय योजना निर्माण करते समय ध्यान में रखे जाने योग्य बिंदु।

1. विद्यालय योजना उपलब्ध क्षमता, संसाधन, व आवश्यकता के आधार पर जरुरी।


2. योजना निर्माण हेतु अध्यापको, अभिभावको, विद्यार्थियों व समुदाय का सहयोग जरुरी।

3. निम्न क्षेत्रो को आवश्यक रूप से शामिल करे- शैक्षिक, सहशैक्षिक, भौतिक, वातावरण निर्माण एवम विभागीय कार्यक्रम।

4. प्रत्येक क्षेत्र के विकास हेतु उन्नयन बिंदु निर्माण के पश्चात उनकी भी उपलब्ध संसाधनों व आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता निधारित कर प्रभारी नियुक्ति, समयावधि तैयार करना व कार्य के चरण बनाना।

5. संस्था प्रधान द्वारा मासिक व त्रिमासिक प्रबोधन करना।

6. अर्द्ध वार्षिक व वार्षिक मूल्यांकन जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित करना।

7. प्रत्येक उन्नयन बिंदु का प्रगति सुचना ग्राफ बनाना।

************

#विद्यालय योजना के चरण#

A. विद्यालय योजना निर्माणका प्रारूप।

1. विद्यालय संबंधी सुचना- (बिंदु 1 से 7 तक)

विद्यालय नाम, विद्यालय का संक्षिप्त इतिहास, संस्था प्रधान नाम-योग्यता-अनुभव, छात्र संख्या- कक्षावार व आयु वर्गवार, अनुसूचित जाति वर्ग नामांकन सुचना, विद्यालय परिवार- अध्यापक वर्ग ( पूर्ण व विस्तृत संस्थापन सुचना) व अन्य वर्ग के कार्मिको की पूर्ण सुचना, विषय जो विद्यालय में पढ़ाये जाते है, विद्यालय भवन सम्बन्धी सम्पूर्ण विवरण ( परिसर, स्थान, कक्षाकक्ष, विविध कक्ष, उपस्कर, उपकरण, सुविधाएं इत्यादि), खेल के मैदान, पुस्तकालय, वाचनालय, परीक्षा परिणाम, सत्र में उपलब्ध कार्य दिवस, विद्यालय के आर्थिक संसाधन , सामाजिक परिवेश, वातावरण व अन्य अधिकतम सूचनाये।

2. विद्यालय द्वारा चयनित योजना बिंदु- ( बिंदु 8 से 13 तक)

इसमें विद्यालय की विभिन्न आवश्यकताए ( क्षेत्रवार), समुन्नयन कार्य बिंदु( इसमें शैक्षिक, सहशैक्षिक, अध्यापक उन्नयन, भौतिक, विशेष कार्यक्रम, विभागीय कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम सम्मिलित करते हुए उन्हें सैद्धान्तिक व टेबल में प्रदर्शित करना), प्रत्येक बिंदु की कार्य योजना निर्माण ( इसमे क्षेत्रवार प्रत्येक समुन्नयन कार्य की योजना- कार्य का नाम-आवश्यकता-महत्व, संयोजक का नाम, वर्तमान स्तिथि का विश्लेषण, कार्य का लक्ष्य, समय सीमा, उपलब्ध साधन सुविधाएं, क्रियान्विति सम्बंधित सोपान, मूल्यांकन विधि व प्रबोधन को सम्मिलित करना है) की जाती है।

इस योजना में सम्मिलित समुन्नयन कार्यक्रम में सम्मिलित समस्त तथ्य स्पष्ठ, आवश्यकता आधारित व संख्यात्मक होने चाहिए। लक्ष्यों का निर्धारण स्पष्ठ व मापन योग्य होना चाहिए। क्रियान्विति के चरणों में क्रमबद्धता, सार्थकता, लचीलापन होना अपेक्षित है। प्रयुक्त किये जाने वाले एवम उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उल्लेख होना चाहिए। मूल्यांकन का समय, तरीका व सम्भवता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

3. स्व-मूल्यांकन प्रपत्र- ( बिंदु 14 से 18 तक)

संस्था प्रधान को योजना के हर पहलु के मूल्यांकन हेतु प्रपत्र तैयार कर के अपने रिकॉर्ड में रखना चाहिए एवम जब भी योजना का मूल्यांकन किया जाए तो इनके सतत प्रयोग से योजना का सतत व समग्र बिंब प्राप्त करे।

B. विद्यालय योजना का क्रियान्वन।

विद्यालय योजना के निर्माण के समय ही संस्थाप्रधान द्वारा मूल्यांकन प्रपत्रो का निर्माण कर प्रत्येक क्षेत्र के लिए निर्मित समुन्नयन बिन्दुओं के आधार पर सम्बंधित प्रभारी के द्वारा सम्पादित कार्यो का अवलोकन व सम्बलन प्रदान किह जाता है। विद्यालय में निरीक्षण हेतु आने वाले अधिकारी को भी निरीक्षण के समय उनके समक्ष विद्यालय योजना प्रस्तुत कर उनके द्वारा किये गए मूल्यांकन व प्रदत्त सुझावो को सम्मिलित किया जाना चाहिए।

C. विद्यालय योजना प्रगति प्रतिवेदन।

विद्यालय योजना के निर्माण एवम सतत मूल्याङ्कन के पश्चात विद्यालय योजना का प्रगति प्रतिवेदन उपसत्र, अर्धवार्षिक व वार्षिक आधार पर नियंत्रण अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में प्रेषित किया जाता हैं।

********

विशेष- निदेशालय द्वारा विद्यालय योजना समीक्षा में यह सामने आया है कि अधिकांश जिलो में दीर्घकालीन योजना का निर्माण नहीं किया गया। विद्यालय योजना के प्रति प्राथमिक स्तर पर उत्साह भी कम पाया गया। अधिकतर मामलो में प्रभारी का चयन उनसे सहमति लिए बिना किया गया एवम स्टाफ की सहभागिता भी बहुत कम नज़र आई। परिविक्षण अधिकारियों द्वारा भी वक्त निरीक्षण इसे पूर्ण अधिमान नहीं दिया।

***********

सार-

1. विद्यालय योजना एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभिलेख, उपकरण व दर्शन है जिसके बिना एक सफल विद्यालय का निर्माण अत्यंत मुश्किल हैं।

2. विद्यालय योजना निर्माण के समय अल्पकालीन एवम दीर्घकालीन लक्ष्यों को आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए।

3. वर्तमान परिद्रश्य के अनुसार शेक्षिक, सहशैक्षिक, भौतिक लक्ष्यों के साथ वातावरण निर्माण, विभागीय कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम व विद्यालय मोटो को भी विद्यालय योजना में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

4. विद्यालय योजना निर्माण में सभी क्षेत्रो, पक्षों व दर्शन को सम्मिलित करने के पश्चात इसका सतत मूल्यांकन पश्चात प्रतिवेदन नियंत्रण अधिकारी को अवश्य प्रेषित करना चाहिए।

सादर,

सुरेन्द्र सिंह चौहान
प्रधानाचार्य,
राउमावि नारवा, जोधपुर

UPTET news

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Photography

Popular Posts