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बेटी बचाओ..' अभियान नहीं राजस्थान में इस वजह से कम हुई बेटियों पर आफत, चौंकाने वाले हैं आंकड़े

जयपुर. । देश-प्रदेश में सरकार जहां 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की मुहिम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और नई योजनाएं भी ला रही है। वहीं, बेटियों की सुरक्षा का ग्राफ किन्हीं और वजह से सुधरता दिख रहा है। यह सफलता है सिर्फ कोख में कत्ल की घटनाओं के कम होने की वजह से... जागरुकता से आया बदलाव..

इसलिए सुरक्षित होने लगी है बेटियों के लिए कोख
आंकडों के अनुसार, राजस्थान में जागरुकता बढऩे से मां की कोख तो सुरक्षित होने लगी है। बच्चियों का ग्राफ बढ़ा है तो इसमें सफलता सिर्फ कोख में कत्ल घटाने में मिल रही है। हाल ही में कई जिलों मेेंं बेटियों की जन्मदर में वृद्धि देखी गई।
इसलिए कमी आती है बेटियों की
कोख में मारने के अलावा छेड़छाड़, दुष्कर्म, दहेज प्रताडऩा और कन्याओं-महिलाओं के आत्महत्या के मामले भी इनके कम होने की मुख्य वजहें हैं। अपराधों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। दहेज प्रताडऩा के चलते राज्य में वर्ष 2016 में 167 महिलाओं को जान देनी पड़ी जबकि इस साल जनवरी-फरवरी में ही यह आंकड़ा 31 तक पहुंच गया है।
इनमें से कोई फांसी पर झूल गई, जिन्दगी खत्म करने के लिए कोई ट्रेन के आगे जा कूदी। किसी ने विषाक्त खा लिया, किसी ने नसें काट लीं। दहेज हत्या के 2 माह में 62 और किशोरी-महिलाओं से छेड़छाड़ के 695 मामले दर्ज हो चुके हैं। दुष्कर्म के 441 मामले दर्ज हुए।
जागरुकता के साथ ही इसका असर भी
राज्य में पीसीपीएनडीटी सेल द्वारा कोख उजारते डॉक्टर्स एवं परिजनों को अरेस्ट किए जाने से बच्चियों को बचाने में काफी मदद मिल रही है। साथ ही, महिलाओं को जागरुकता का असर भी पड़ रहा है।

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