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बेरोजगार अंतिम युद्ध पर, अन्न—जल छोड़कर आरपार की लड़ाई में कूदे

नेशनल दुनिया, जयपुर। राजस्थान सरकार के वादों और इरादों से त्रस्त होने का अरोप लगाते हुए बेरोजगारों ने राज्य सरकार के साथ अंतिम जंग शुरू कर दी है। विधानसभा के पास प्रदर्शन के लिए पुलिस प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने पर बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव ने आज दोपहर को शहीद स्मारक पर अन्न—जल त्याग दिया।
इससे पहले प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता के दौरान यादव ने बताया कि सरकार ने करीब 30 भर्तियों को बिना वजह अघोषित रूप से रोक रखा है। इनमें से कई नौकरियां तो ऐसी हैं, जिनमें सरकार को सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट से नियुक्ति देने के आदेश तक मिले हुए हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से राज्य सरकार अड़ियल रूख अपनाए हुए हैं, उससे साफ है कि प्रदेश की सरकर व स्वयं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे किसी भी स्तर पर युवाओं को रोजगार देने के पक्ष में नहीं हैं।
नहीं उठेंगे मरने तक!
उपेन यादव ने बताया कि वे बीते चार साल से प्रदेश के युवा बेरोजगारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान एक—आधा भर्तियों के अलावा प्रदेश के बेरोजगारों को कोई नौकरी नहीं दी गई। इस बार सरकारी अधिकारियों व मंत्रियों के सभी आश्वासन दरकिनार कर मरते दम तक अनशन करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अनशन के दौरान या तो सरकार सभी मांगे मान लें, वरना इस बार हमने प्राण जाने तक अनशन करने का प्रण लिया है।
मंत्री—अधिकारी, सब झूठे
उपेन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे बीते तीन साल से सीएम राजे अपने वादे के मुताबिक नौकरियों को कोर्ट से मुक्त कर नियुक्तियां देने के प्रति इमानदार नहीं दिख रहीं है। इसी तरह सरकार के अधिकारी और मंत्री आए दिन केवल झूठे वादे कर हमें गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री और विभागों में बैठे अधिकारी महा झूठे हैं।
कोई प्रदर्शन नहीं, फिर भी अनुमति नहीं दी
बेरोगारों ने बताया कि ज्योति नगर टी—पॉइंट पर किसी भी संगठन का आज कोई प्रदर्शन नहीं होने के बावजूद पुलिस ने तानाशाही दिखाते हुए हमें बैठने की अनुमति नहीं दी। इसके चलते शहीद स्मारक पर अनशन के लिए बैठना पड़ रहा है।
ये हैं मांगे
—साल 2013 के 7000 चयनितों को सरकार जल्द से जल्द नियुक्ति दें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आए 26 दिन बीत चुके हैं।
—वर्ष 2012 के रिवाइज रिजल्ट में च​यनित शिक्षकों की 2 मार्च को कांउसलिंग के द्वारा नियुक्ति होनी थी, लेकिन शिक्षामंत्री ने एक मार्च को ही रोक लगा दी। सरकार चयनितों को जल्दी नियुक्ति दें।
—रीट शिक्षक भर्ती 2016 के सहित ओबीसी मामले में लंबित सभी तीस भर्तियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें।
—बजट में बेरोजगारों के मुकद्दमें लेने की सरकार के द्वारा घोषणा नहीं की गई है, इससे उनकी भर्तियां प्रभावित होने वाली है। धरने—प्रदर्शन के दौरान लगे उनके सभी केस हटाएं। साथ ही नई भर्तियों की भी घोषणा की जाए।

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