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आओ! दीपक बन रोशन करे ये जहाँ।

कलेंडर बदलने वाला है फिर एक बार। कलेंडर तो बस जरिया है समय के विभाजन का, समय जो कि इम्तिहान लेता है, अवसर देता है और खुद में सब कुछ समा लेता हैं। इस समय के सीने पर कुछ लोग अपने होने का तमगा लगा जाते है और ऐसे ही लोग कालजयी कहलाते है।

जीवनयापन के अनेक प्रकारों से न्यायधीश, चिकित्सक एवम शिक्षक को कही उत्तम माना जाता है। एक शिक्षक ही वह शख्स है जो सृजन के बीजारोपण से उसके प्रस्फुटन व विकास का साक्षी रहता है। हमें शिक्षक होने का सुखद अहसास है एवम हमे हमारे प्रारब्ध पर विनयपूर्ण संतुष्टि हैं।
आप सभी को शिविरा परिवार की तरफ से नव ईसवीं सन् 2017 की हार्दिक शुभकामनाएं। इस पुनित अवसर पर निवेदन कि आप अपनी क्षमताओ के अनुकूल प्रयोग से इस जहाँ को रोशन रखने के सिलसिले को अनवरत रखे।
सादर।
सुरेन्द्र सिंह चौहान।

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