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राजस्थान : राहत की बात, आठवीं पास ही पूरी होगी आशा

आठवीं उत्तीर्ण ग्रामीण महिलाओं की आशा सहयोगिनी बनने की आस अब पूरी होगी। राज्य सरकार ने महिला शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े सात जिलों में इनको शिक्षण योग्यता में शिथिलता देने का निर्णय किया है। इससे अब इन जिलों में दसवीं की जगह आठवीं उत्तीर्ण ग्रामीण महिलाओं को आशा सहयोगिनी पद पर लगाया जाएगा।

इस निर्णय से जिले के 869 आंगनबाड़ी केन्द्रों को आशा सहयोगिनी मिलने की उम्मीद जगी है।आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच सहित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आशा सहयोगिनी का पद स्वीकृत हैं।

आशा सहयोगिनी महिला एवं बाल विकास परियोजना के साथ चिकित्सा विभाग के कार्य में भी सहयोग करती हैं। इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता दसवीं उत्तीर्ण है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में तो दसवीं उत्तीर्ण ग्रामीण महिलाएं मिल रही हैं,

लेकिन बाड़मेर सहित सात जिलों में दसवीं उत्तीर्ण महिलाएं नहीं मिलने से आशा सहयोगिनी का चयन नहीं हो रहा है। इस समस्या के चलते स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कई बार सरकार को पत्र लिख शिक्षण योग्यता में शिथिलता मांगी गई ...।
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